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Tag Archives: dhaarmik

छोटा चार धाम

उत्तराखंड में स्थित बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री को “छोटा चार धाम” कहा जाता है। इन चारों धार्मिक स्थलों की अलग-अलग मान्यताएं हैं। यह चार धाम एक ही राज्य में होने के कारण भक्तों के लिए सुगम माने जाते हैं। माता दुर्गा और शिवजी से संबद्ध रखने वाले पर इन धार्मिक स्थलों को हिंदू श्रद्धालु पवित्र मानते हैं। मान्यता है …

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वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग

vaidyanath-jyotirlinga

एक धार्मिक मान्यता है कि परली ग्राम के निकट स्थित वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirling Temple) वास्तविक ज्योतिर्लिंग है. “परलीग्राम” निज़ाम हैदराबाद क्षेत्र के अंतर्गत पड़ता है. यहां का मन्दिर अत्यन्त पुराना है, जिसका जीर्णोद्धार रानी अहिल्याबाई ने कराया था. लेकिन शिव पुराण के अनुसार झारखण्ड प्रान्त के जसीडीह के समीप देवघर का श्री वैद्यनाथ शिवलिंग ही वास्तविक वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग है. …

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जगन्नाथ मंदिर

jagannaath mandir

जगन्नाथ मंदिर उड़ीसा के पुरी शहर में स्थित हिंदुओं का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। भगवान जगन्नाथ को श्रीकृष्ण का अवतार माना जाता है। यह मंदिर हिंदुओं के चार प्रमुख धामों में से एक है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ उनके भाई बलभद्र तथा बहन सुभद्रा की भी मूर्ति स्थापित है। जगन्नाथ की उत्पत्ति से संबंधित कई कथाएं …

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बेगमपुरी मस्जिद

begamapuree masjid

बेगमपुरी मस्जिद दिल्ली के जहाँपनाह नगर में स्थित है। इसका निर्माण मोहम्मद बिन तुगलक के काल में हुआ था। मुहम्मद तुगलक ने लगभग 1350 ई में इसका निर्माण कराया था।

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श्रीकृष्ण अवतार

Maiya Yashoda Jb Kahe Makhan chor hai gaval Story

  श्रीकृष्णावतार – प्रभु का साक्षात स्वरूप यह ईश्वर और अवतार का रहस्य दृष्टि में रखकर अब भगवान श्रीकृष्ण के चरित्रों की आलोचना कीजिए, तो स्फुटरूप से भासित हो जाएंगा कि वे ‘पूर्णावतार’ हैं । दुराग्रह छोड़ दिया जाएं तो विवश होकर कहना ही पड़ेगा कि ‘कृष्णस्तु भगवान्स्वयम्’ (श्रीकृष्ण साक्षात् भगवान – परब्रह्म परमेश्वर हैं ) । पहले बुद्धि के …

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पर्वों और त्यौहारों का महत्त्व क्यों ?

chalo man shri vrindavan dham bhajan

पर्व और त्यौहारों में मनुष्य के बीच, मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य को सर्वाधिक महत्त्व प्रदान किया गया है । यहां तक कि उसे पूरे ब्रह्मांड के कल्याण से जोड़ दिया है । इनमें लौकिक कार्यों के साथ ही धार्मिक तत्वों का ऐसा समावेश किया गया है, जिससे हमें न केवल अपने जीवन निर्माण में सहायता मिले, बल्कि समाज …

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सुनीथा की कथा (अभिभावक उपेक्षा न करें)

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

अभिभावकों को चाहिए कि वे अपनी संतान की संभाल में तनिक भी उपेक्षा न आने दें । इनके द्वारा की गयी थोड़ी भी उपेक्षा संतान के लिए घातक बन जाती है । सुनीथा मृत्यु देवता की कन्या थी । बचपन से ही वह देखती आ रही थी कि उसके पिता धार्मिकों को सम्मान देते हैं और पापियों को दण्ड । …

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भगवान की एक लीला

chalo man shri vrindavan dham bhajan

पुराणों में भगवान की लीलाओं का वर्णन है । परंतु आजकल इतिहास पुराण ग्रंथों पर से लोगों की श्रद्धा घटती जाती है । उनका पठन – पाठन, उनकी कथा धीरे – धीरे लोप हो रही है । यहीं कारण है कि जनसाधारण में से स्वधर्म का त्रान नष्ट हो रहा है और धार्मिक प्रवृत्ति भी मंद हो गयी है । …

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रामकृष्ण परमहंस चरित्र

Ram Krishan PermHans Chariter

रामकृष्ण अपने को अपने युवा शिष्यों के बराबर मानते थे । वह उनके बंधु सखा थे, उनके साथ सहज आत्मीयता से बात करते थे, किसी गुरुता के साथ नहीं । मानो इन बढ़ते हुए मानव पौधों के और सूर्य के प्रकाश के बीच में आकर वह इनके विकास में बाधक होना नहीं चाहते थे । दूसरों के व्यक्तित्व के प्रति …

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नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों?

भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है । आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है …

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