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Tag Archives: gurukul

उदार ह्दय का सबसे सुंदर उदाहरण

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हरिद्वार के गुरुकुल कांगड़ी में स्वामी श्रद्धानंद के पास दिल्ली से हकीम अजमल खां, डॉ. अंसारी और कुछ मुस्लिम धर्म के अनुयायी मिलने पहुंचे। गुरुकुल में एक बड़ी यज्ञशाला थी जिसमें उस समय संध्या वंदन और हवन आदि हो रहा था। मुस्लिम मित्र यज्ञशाला के पास खड़े आश्चर्य से हवन को देखते रहे। हवन समाप्त हुआ। स्वामीजी बड़े प्रेम से …

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कर्म से बनती हैं हाथ की रेखाएं

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एक बालक को उसके पिताजी ने विद्या अध्यनन के लिए गुरुकुल भेजा। बालक गुरुकुल में विद्या ग्रहण करने लगा। एक दिन गुरुजी ने बच्चे को एक पाठ याद करने के लिए दिया। परंतु बहुत कोशिशों के बाद भी उस बालकर को पाठ याद नहीं हुआ। गुरुजी को बहुत गुस्सा आ गया और उन्होंने दंड देने के लिए छड़ी उठाई, तो …

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सुदामा का सत्कार

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सुदामा नाम के एक ब्राह्मण श्रीकृष्ण के परम मित्र थे। उन्होंने श्री कृष्ण के साथ गुरुकुल में शिक्षा पायी थी। वे ग्रहस्थ होने पर भी संग्रह- परिग्रह से दूर रहते हुए प्रारब्ध के अनुसार जो कुछ भी मिल जाता उसी में संतुष्ट रहते थे। भगवान की उपसना और भिक्षाटन यही उनकी दिनचर्या थी। उनकी पत्नी परम पतिव्रता और अपने पति के साथ हर अवस्था में सतुष्ट रहने वाली थी। एक दिन दु:खिनी पतिव्रता भूख से कांपते हुए अपने पति के पास गयी और बोली

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आचार्य बहुश्रुत के शिष्यों की कांटों भरी अंतिम परीक्षा

The final examination of the thorns of Acharya Purshuva's disciples

एक बार गुरुकुल में तीन शिष्यों की विदाई का अवसर आया तो आचार्य बहुश्रुत ने कहा की सुबह मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी अंतिम परीक्षा होगी। आचार्य बहुश्रुत ने रात्रि में कुटिया के मार्ग पर कांटे बिखेर दिए। सुबह तीनों शिष्य अपने-अपने घर से गुरु के निवास की ओर चल पड़े। मार्ग पर कांटे थे। लेकिन शिष्य भी कमजोर नहीं …

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तो क्या ऐसी होती है ‘विद्या की रेखा’

बहुत पुरानी बात है। एक बार एक बालक को उसके पिताजी ने गुरुकुल में अध्ययन के लिए भेजा। उस बालक ने गुरुकुल में विद्या अध्ययन करने लगा। तभी एक दिन गुरुजी ने उस बच्चे को एक सबक याद करने के लिए दिया। लेकिन वह बहुत कोशिश करने के बाद भी सबक याद न कर सका। तब गुरुजी को गुस्सा आ …

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गुरु के प्रति सच्ची दक्षिणा यही है

प्राचीनकाल के एक गुरु अपने आश्रम को लेकर बहुत चिंतित थे। गुरु वृद्ध हो चले थे और अब शेष जीवन हिमालय में ही बिताना चाहते थे, लेकिन उन्हें यह चिंता सताए जा रही थी कि मेरी जगह कौन योग्य उत्तराधिकारी हो, जो आश्रम को ठीक तरह से संचालित कर सके। उस आश्रम में दो योग्य शिष्य थे और दोनों ही …

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आखिरी उपदेश (The last sermon)

Jeevan Main Guru Ka Mehtav

गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त कर रहे शिष्यों  में आज काफी उत्साह था , उनकी बारह वर्षों की शिक्षा आज पूर्ण हो रही उन्होंने ऊँची आवाज़ में कहा , ” आप सभी एक जगह एकत्रित हो जाएं , मुझे आपको आखिरी उपदेश देना है .”थी और अब वो अपने घरों को लौट सकते थे . गुरु जी भी अपने शिष्यों की शिक्षा-दीक्षा …

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दृष्टिकोण (point of view)

point of view

एक बार दो भाई, रोहित और मोहित थे। वे 9 वीं कक्षा के छात्र थे और एक ही स्कूल में पढ़ते थे। उनकी ही कक्षा में अमित नाम का भी एक छात्र था जो बहुत अमीर परीवार से था। एक दिन अमित अपने जन्मदिन पर बहुत महंगी घड़ी पहन कर स्कूल आया, सभी उसे देख कर बहुत चकित थे। हर …

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कृष्णदर्शन – भगवान शिव के अवतार

krshnadarshan - bhagavaan shiv ke avataar

श्राद्धदेव नामक मनु के सबसे छोटे पुत्र का नाम नभग था । भगवान शिव ने उन्हें ज्ञान प्रदान किया था । मनुपुत्र नभग बड़े ही बुद्धिमान थे । जिस समय नभग गुरुकुल में निवास कर रहे थे उसी बीच उनके इक्ष्वाकु आदि भाईयों ने नभग लिए कोई भाग न देकर पिता की सारी संपत्ति आपस में बांट ली और अपना …

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