मान मंदिर की ज्योति जगाडो, घाट घाट बसी रे मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी ना दिखे सूरत तेरी युग बीते ना आई मिलन की पुरानामसी रे द्वार दया का जब तू खोले पंचम सुर में गूंगा बोले अँधा देखे लंगड़ा चल कर पहुँचे कसी रे पानी पी कर प्यास बूझौं नैनों को कैसे समझाओन आँख मिचौली छ्चोड़ो अब मान …
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अब जाग मुसाफिर होश मे आ
अब जाग मुसाफिर होश मे आ अब जाग मुसाफिर होश मे आ अब जाग मुसाफिर होश मे आ कुच्छ मोल साँझ इश्स जीवन का कुच्छ मोल साँझ इश्स जीवन का स्वास स्वास पेर कृष्णा भाज ब्रीदा स्वास मत खोए स्वास स्वास पेर कृष्णा भाज ब्रीदा स्वास मत खोए ना जाने या स्वास को आवाँ होये ना हो फिर आवाँ होये …
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