बहुत पुरानी बात है। किसी नगर में एक डाकू रहता था। वह लूट-पाट करता और कुछ धन गरीबों में बांट देता और कुछ अपने पास रखता था। एक दिन कुछ व्यापारियों का समूह उसके इलाके से गुजरा। व्यापारियों को डाकूओं ने घेर लिया। तभी एक व्यापारी, डाकुओं से नजर बचाक दूर पेड़ की आड़ में छिप गया। वहीं नजदीक एक …
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जब सिकंदर को खुद का अभियान लगा मूर्खतापूर्ण
विश्वविजय पर निकला सिकंदर यूनान से भारत तक आ पहुंचा था। वह एक जंगल से आगे बढ़ रहा था। तभी एक साधु शिला पर लेटे हुए मिले। सिकंदर को देखकर भी वह ज्यों के त्यों लेटे रहे। सिकंदर ने गुस्से में कहा, ‘आपको मालूम है कि आपके सामने विश्वविजेता खड़ा है?’ साधु ने तब निश्चिंत होकर कहा, तुम खून …
Read More »बड़े काम की हैं ये चार बातें
एक साधु थे। उनसे शिक्षा लेने के लिए बहुत से स्त्री पुरुष आते थे। साधु उन्हें बड़ी ही उपयोगी बातें बताया करते थे। एक दिन उन्होंने कहा, ‘तुम लोग चार बातें याद रखो तो जीवन का आनंद ले सकते हो।’ लोगों ने पूछा, ‘स्वामी जी, वे चार बातें क्या हैं ?’ स्वामीजी बोले, पहली बातः तुम जहां भी रहो, अपने को आवश्यक …
Read More »Achievements of Swami Akhandanand ji
Swami Akhandanand Ji (1864-1937) In his youth, Akhandanand went to Jhusii, to meet Brahmachari Prabhudatta, a saint. There, he met Udiya Baba, and had discussed Vedanta. He was captivated by Udiya Baba’s conviction in the principle of non-dual reality. He received initiation for Sanyas (monkhood) from the Shankaracharya of Jyotishpeethadhishver, Brahmanand Saraswati in February 1942, following which his name was …
Read More »Life of Swami Akhandanand ji
Swami Akhandanand Ji (1864-1937) He was born on Friday, 25 July 1911 in Pushya Nakshatra (Shravana Amavasya v.s. 1968 per Vikram Calendar) in the village of Maharai in the district of Varanasi. His Saryupareen Brahmin family named him Shantanu Behari, after the god of the same name.[citation needed] He was aged 10 when his grandfather made him read the …
Read More »Swami Akhandanand ji
Swami Akhandanand Ji (1864-1937) He was born on Friday, 25 July 1911 in Pushya Nakshatra (Shravana Amavasya v.s. 1968 per Vikram Calendar) in the village of Maharai in the district of Varanasi. His Saryupareen Brahmin family named him Shantanu Behari, after the god of the same name.[citation needed] He was aged 10 when his grandfather made him read the …
Read More »पेड़ नहीं छोड़ता !
एक बार की बात है . एक व्यक्ति को रोज़-रोज़ जुआ खेलने की बुरी आदत पड़ गयी थी . उसकी इस आदत से सभी बड़े परेशान रहते. लोग उसे समझाने कि भी बहुत कोशिश करते कि वो ये गन्दी आदत छोड़ दे , लेकिन वो हर किसी को एक ही जवाब देता, ” मैंने ये आदत नहीं पकड़ी, इस आदत …
Read More »जो चाहोगे सो पाओगे !
एक साधु था , वह रोज घाट के किनारे बैठ कर चिल्लाया करता था ,”जो चाहोगे सो पाओगे”, जो चाहोगे सो पाओगे।” बहुत से लोग वहाँ से गुजरते थे पर कोई भी उसकी बात पर ध्यान नहीँ देता था और सब उसे एक पागल आदमी समझते थे। एक दिन एक युवक वहाँ से गुजरा और उसनेँ उस साधु की आवाज सुनी , “जो चाहोगे सो …
Read More »कंस वध
भगवान श्री कृष्ण और बलराम ने चाणूर, मुष्टिक, कूट, शल और तोशल—इन पाँचों पहलवानो को मारा। इसके बाद जो बचे वो जान बचाकर भाग गए। उनके भाग जाने पर भगवान श्रीकृष्ण और बलरामजी अपने दोस्त ग्वाल-बालों को खींच-खींचकर उनके साथ भिड़ने और नाच-नाचकर भेरीध्वनि के साथ अपने नूपुरों की झनकार को मिलाकर मल्लक्रीडा—कुश्ती के खेल करने लगे। भगवान श्रीकृष्ण और …
Read More »कमला नयना वासुदेव कारिवरदा माँ पाही
कमला नयना वासुदेव कारिवरदा माँ पाही(2) कमला मृदुला नलाना वादना(2) अच्युता मुकाम दही -2 * जला छोरा मेरुधिरा साधु जाना मंडरा जला रहिता गोरा कलुशा भावा जलधि गांबीरा * कमला नयना वासुदेव कारिवरदा माँ पाही(2) कमला मृदुला नलाना वादना(2) अच्युता मुकाम दही -2 * नारदादी घाना लोला नंदा गोपा बाला वारिजसा नणु कूला ममिता गुना शीला रामा जानका श्यामा सुंदरा …
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