वैष्णव देवी माँ शेरावाली दुखिओं की करती है रखवाली भोग न मांगू, मोक्ष ना मांगू, धन दौलत कुछ भी ना जानू तुम कहलाती हो हिमालय सुपुत्री, ममता प्यार मांगू मतवाली नव रूपों में, नव कल्पना में, नव रसों में, नव ग्रहों में सृष्टि की रचना तेरी दृष्टि से, लालन पालन करती मेहरा वाली काल नाशिनी, दुःख हारिणि, शूल धारिणी, सिंह …
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श्रीराधातत्त्व
श्रीराधा के संबंध में आलोचना करते समय सबसे पहले वैष्णवों के राधातत्त्व के अनुसार ही आलोचना करनी पड़ती है । वायुपुराण आदि में राधा की जैसी आलोचना है, इस लेख में हम उसका अनुसरण न कर वैष्णवोचित भाव से ही कुछ चर्चा करते हैं । राधातत्त्व के इतिहास के संबंध में किसी दूसरे निबंध में आलोचना की जा सकती है …
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