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जल्दी कामयाब हो जाऊ

आरुष मेरी क्लॉस का वो छात्र है जो जब से स्कूल खुले है तब से एक दिन भी अनुपस्थित नहीं रहा । एक दिन उसके पापा उसको स्कूल से ११:०० बजे लेकर गए के काम है जरूरी ।लेकिन २:०० आरुष वापिस बैग लेकर आया स्कूल ।मैंने पूछा क्या हुआ बोला काम खत्म हो गया था इसलिए मैं वापिस आ गया ।उसको देखकर मुझे इतना अच्छा लगा के उसके लिए शब्द नहीं हैं मेरे पास काश मेरी क्लॉस के सभी बच्चे आरुष जैसे बन जाए जल्दी। कोशिश कर रही हूं।शायद जल्दी कामयाब हो जाऊ उसके एक भी दिन absent ना रहने का रिज़ल्ट ये हैं

एक कलेक्टर ऐसा भी

वाह, टी अंबाजगेन कलेक्टर साहब ,धन्य है वे माँ बाप जिन्होंने तुम मानव सेवा के संस्कार दिए

80 साल की बूढ़ी माता। घर में बिल्कुल अकेली। कई दिनों से भूखी। बीमार अवस्था में पड़ी हुई। खाना-पीना और ठीक से उठना-बैठना भी दूभर। हर पल भगवान से उठा लेने की फरियाद करती हुई। खबर तमिलनाडु के करूर जिले के कलेक्टर टी अंबाजगेन के कानों में पहुंचती है। दरियादिल यह आइएएस अफसर पत्नी से खाना बनवाता है। फिर टिफिन में लेकर निकल पड़ता है वृद्धा के चिन्नमालनिकिकेन पट्टी स्थित झोपड़ी में।

जिस बूढ़ी माता से पास-पड़ोस के लोग आंखें फेरे हुए थे, कुछ ही पल में उनकी झोपड़ी के सामने जिले का सबसे रसूखदार अफसर मेहमान के तौर पर खड़ा नजर आता है। वृद्धा समझ नहीं पातीं क्या माजरा है। डीएम कहते हैं-माता जी आपके लिए घर से खाना लाया हूं, चलिए खाते हैं।

वृद्धा के घर ठीक से बर्तन भी नहीं होते तो वह कहतीं हैं साहब हम तो केले के पत्ते पर ही खाते हैं। डीएम कहते हैं-अति उत्तम। आज मैं भी केले के पत्ते पर खाऊंगा। किस्सा यही खत्म नहीं होता। चलते-चलते डीएम वृद्धावस्था की पेंशन के कागजात सौंपते हैं। कहते हैं कि आपको बैंक तक आने की जरूरत नहीं होगी, घर पर ही पेंशन मिलेगी। डीएम गाड़ी में बैठकर चले जाते हैं, आंखों में आंसू लिए वृद्धा आवाक रहकर देखती रह जातीं हैं।

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