अभिनेता चंद्रशेखर का 7 july 1923 में जन्म हैदराबाद के पूर्ववर्ती राज्य में हुआ था, बहुत कम उम्र में ही वह फिल्मी दुनिया में आ गए थे, जिस वजह से उन्हें कॉलेज की पढ़ाई छोडऩी पड़ी। अपने करियर में उन्होंने 110 फिल्में की, जिनमें से साल 1964 में आई फिल्म ‘चा चा चा’ और 1966 में आई फिल्म ‘स्ट्रीट सिंगर’ का उन्होंने निर्देशन भी किया है। लोग इस दिग्गज कलाकार इंडस्ट्री में ‘चंद्रशेखर साब’ के नाम से पुकारते थे।
उनकी हिंदी और उर्दू काफी अच्छी थी, इसलिए लोगों ने उन्हें तेलुगू फिल्मों की जगह हिंदी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने की सलाह दी। सन् 1940 के शुरुआती दिनों में वह बंबई आ गए और ब्रिटेन से वेस्टर्न डांसिंग में डिप्लोमा किया।
उस वक्त हिंदी फिल्मों के ब्लैक एंड व्हाइट दौर में दिलीप कुमार, राज कपूर, देव आनंद और राजेंद्र कुमार जैसे कलाकारों का दबदबा था, लेकिन कड़ी मेहनत से चंद्रशेखर ने वहां अपनी पहचान बनाई। उस समय चंद्रशेखर जी को ‘‘दिवंगत गायिका शमशाद बेगम की सिफारिश से को पुणे में शालिमार स्टूडियो में नौकरी मिल गई थी।’’
चंद्रशेखर फिल्ममेकर वी. शांताराम की साल 1953 में रिलीज हुई फिल्म ‘सुरंग’ में पहली बार बतौर हीरो नज़र आए। इसके बाद वो ‘कवि’, ‘मस्ताना’, ‘बरादरी’, ‘काली टोपी लाल रूमाल’, ‘स्ट्रीट सिंगर’ जैसी कई फिल्मों में बतौर लीड हीरो के तौर पर नजर आए।
‘ चा चा चा’ एक भारतीय रोमांस फिल्म है , जो 1964 में रिलीज़ हुई थी। पटकथा चंद्रशेखर की है , जिन्होंने फिल्म का निर्देशन भी किया और मुख्य पुरुष भूमिका निभाई। इसमें हेलेन को उनकी पहली प्रमुख भूमिका में भी दिखाया गया है।
फिर जब बतौर हीरो उन्हें काम मिलना कम हुए, तो वो चरित्र अभिनेता बन गए। 60 और 70 के दशक में ‘कटी पतंग’, ‘हम तुम और वो’, ‘अजनबी’, ‘महबूबा’, ‘अलग-अलग’, ‘शक्ति’, ‘शराबी’, ‘डिस्को डांसर’, ‘नमक हलाल’, ‘द बर्निंग ट्रेन’, ‘संसार’, ‘हुकूमत’ सरीखी फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं निभाई।
साल 1950 में आई फिल्म ‘बेबस’ के अभिनेता व हिंदी फिल्मों के पहले ‘चॉकलेटी ब्वॉय’ भारत भूषण संग जान-पहचान बढ़ी तो उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में एक अभिनेता के तौर पर अपने पैर जमाने में मदद मिली।
इसके बाद उन्होंने 1953 में ‘सुरंग’ से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की, जिसके बाद साल 1954 में उनकी दो फिल्में आई ‘कवि’ और ‘मस्ताना’, ‘बरा-दरी (1955)’, ‘बंसत बहार (1956)’, ‘काली टोपी लाल रूमाल (1959)’, ‘बरसात की रात (1960)’ और ‘बात एक रात की (1961)’ जैसी कई फिल्मों में उन्होंने काम किया।
वह बॉलीवुड के कुछेक कलाकारों में से थे जिन्होंने उस दौर के शीर्ष निर्देशकों और मेगा-स्टार्स संग काम किया जैसे कि वी. शांताराम, नितिन बोस, देवकी बोस, विजय भट्ट, भगवान, बी.आर.चोपड़ा, प्रकाश मेहरा, मनमोहन देसाई, शक्ति सामंत, रामानंद सागर, प्रमोद चक्रवर्ती, दिलीप कुमार, देव आनंद, राजेंद्र कुमार, भारत भूषण, दारा सिंह, राजेश खन्ना, मनोज कुमार और अमिताभ बच्चन इत्यादि…
बाद में जब हीरो के तौर पर काम नहीं मिलने के चलते चंद्रशेखर ने 60 और 70 के दशकममे कटी पतंग, हम तुम और वो, अजनबी, महबूबा, अलग-अलग, शक्ति, शराबी, डिस्को डांसर, नमक हलाल, द बर्निंग ट्रेन संसार, हुकूमत जैसी तमाम फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं निभाईं थीं.
गेट वे ऑफ इंडिया, फैशन, बरसात की रात, बात एक रात की, अंगुलीमाल, रुस्तम-ए-बगदाद, किंग कॉन्ग और जहां आरा जैसी फिल्मों में चंद्रशेखर द्वारा निभाईं चरित्र भूमिकाएं लोगों द्वारा काफी पसंद की गईं थीं।
रामानंद सागर के धारावाहिक ‘रामायण’ में ‘सुमंत’ की यादगार भूमिका निभाई। जाने-माने टीवी सीरियल निर्माता ‘अशोक शेखर’ उनके पुत्र और टीवी एक्टर ‘शक्ति अरोड़ा’, चंद्रशेखर के पोते हैं।
वहीं चंद्रशेखर ग्यारह साल तक सिंटा के अध्यक्ष भी रहे ।उनकी मृत्यु पे सिंटा के संयुक्त सचिव अमित बहल ने कहा था, ‘यह एक बड़ा नुकसान है । चंद्रशेखर सर, आशा पारेख, मिथुन दा, अमरीश पुरी, अमजद खान और राम मोहन ने ही हमारे ऑफिस की नई बिल्डिंग के लिए सरकार से जगह ली थी, जो अब बनने वाली है। हम उद्घाटन में उनकी उपस्थिति के लिए बहुत उत्सुक थे, लेकिन भाग्य की अन्य योजनाएं थीं।’
लंबी बीमारी से चलते दिग्गज अभिनेता चंद्रशेखर का 16 जून 2022 (98 साल की उम्र में ) को निधन हो गया था। उनकी आखिरी ख्वाहिश थी परिवार वालों के साथ ही अपने आखिरी दिन बिताएं। इसीलिए उनको होस्पिटल से घर ले आये थे और घर में उनकी देखभाल के लिए अस्पताल जैसी तमाम व्यवस्था कर दी गई थीं।