बहुत पुराणी बात है, किसी नगर में राजेश नाम का एक लड़का रहता था। उस बेचारे माँ-बाप की मृत्यु हो चुकी थी। बहुत ही गरीबी में उसके दिन गुजर रहे थे। जैसे तैसे काम करके वह अपने खाने के लिए आटा और चावल ले आता था। घर आकर वह अपना भोजन बनाता और खा-पीकर सो जाता। उसकी जिंदगी ऐसेही संघर्षो से गुजर रही थी। एक के बाद एक मुशीबत उसके जिंदगी में लगी हुई थी।एक दिन उसने अपने खाने के लिए चार रोटियां बनाई। हाथ मुँह धो कर जब वह वापस आया तब उसने देखा की तीन ही रोटियां बची है। दूसरे दिन भी यही हुआ। तीसरे दिन उसने रोटियां बनाने के बाद उस स्थान पर नजर रखी। और उसने देखा की कुछ देर बाद वहाँ एक मोटा सा चूहा आता है और एक रोटी उठाकर वहाँ से चला जाता है। और उस दिन लड़के ने उस चूहे को पकड़ ही लिया।चूहा बोला, “भइया मेरी किस्मत का क्यों खा रहे हो? मेरे हिस्से की रोटी मुझे ले जाने दो।” तो राजेश बोला, “तुम्हे अगर यह रोटी ले जाने दी तो मेरा पेट कैसे भरेगा?” मैं पहले से ही अपने जिंदगी से परेशान हूँ और उपर से पेट भरकर खाना भी न मिले तो क्या करूँगा? न जाने मेरी जिंदगी में खुशिया कब आएगी? आखिर कब मेरी जिंदगी से यह दुःख और परेशानिया खत्म होंगे?” तो इस पर चूहे ने बोला,“तुम्हारे सारे सवालों का जवाब तुम्हे मतंग ऋषि दे सकते है।” तो राजेश ने पूछा, “कौन है वह?” चूहे ने उत्तर दिया, “वह एक बहुत ज्ञानी ऋषि है। उत्तर दिशा में कई पर्वतो और नदीओ को पार करके ही उनके आश्रम तक पहुँचा जा सकता है। तुम उन्ही के पास जाओ वही तुम्हारा उद्धार करेंगे।”राजेश चूहे की बात मान गया और अगले दिन ही खाने-पिने की गठरी बांधकर उस ऋषि से मिलने के लिए निकल पड़ा। काफी दूर चलने के बाद उसे एक हवेली दिखाई दी। और राजेश ने वहाँ रुकने के लिए उनसे रात भर के लिए शरण मांगी। उस हवेली के मालकिन ने पूछा, “बेटा कहाँ जा रहे हो?” तो राजेश बोला, “मैं मतंग ऋषि के आश्रम जा रहा हूँ।” तो वह मालकिन बोलने लगी, “बहुत अच्छा। उनसे मेरी भी एक प्रश्न का उत्तर मांगकर लाना की मेरी बेटी 20 साल की हो गई है, वह दिखने में बहुत सुन्दर है, उसमे हर प्रकार के गुण भी विद्यमान है लेकिन अभी तक बेचारी ने एक भी शब्द मुँह से नहीं बोला है। उनसे यह पूछना की मेरी बेटी कब बोलना शुरू करेगी?”ऐसा कहते कहते वह हवेली की मालकिन बहुत रोने लगी। तो राजेश ने उनसे कहा, “आप बिलकुल भी परेशान मत हो। मैं आपका उत्तर लेकर जरूर आयूंगा। अगले दिन राजेश आगे की यात्रा के लिए निकल पड़ा। रास्ता बहुत ज्यादा लंबा था। रास्ते में उसे बहुत बड़े बड़े बर्फीले पहाड़ मिले। उसे समझमे नहीं आ रहा था की कैसे पार करना है? समय बीतता जा रहा था। तभी उसे रास्ते में एक तांत्रिक दिखाई दिया जो वहाँ पर बैठकर तपस्या कर रहा था। राजेश तांत्रिक के पास गया और उनसे बोला, “मुझे मतंग ऋषि के दर्शन के लिए जाना है। और यह रास्ता तो बहुत परेशनिवाला लग रहा है। मैं आगे कैसे जाऊँ।” उस तांत्रिक ने कहा, “मैं तुम्हारा सफर आसान बना दूंगा पर तुम्हे मेरे एक प्रश्न का उत्तर लाना होगा।” तो राजेश उनसे कहने लगा, “अगर आप मुझे वहाँ पहुँचा सकते है तो आप खुद वहाँ क्यों नहीं चले जाते?” वह तांत्रिक कहने लगा, “अगर मैंने इस स्थान को छोड़ा तो मेरी तपस्या भंग हो जाएगी।” तो राजेश ने उनसे कहा, “आप मुझे अपना प्रश्न बताए, मैं आपका उत्तर जरूर लेकर आऊँगा।” तो वह तांत्रिक कहने लगा, “उन ऋषि से पूछना की मेरी तपस्या कब सफल होगी? मुझे आत्मज्ञान कब प्राप्त होगा।”इसके बाद तांत्रिक ने अपने तांत्रिक बिद्या से उस लड़के को पहाड़ पार करा दिया। अब आश्रम तक पहुँचने के लिए सिर्फ एक नदी ही पार करनी थी। और वह लड़का इतनी बड़ी नदी देखकर बहुत घबरा गया। तभी उसे नदी किनारे एक बहुत बड़ा कछुआ दिखाई दिया। उस लड़के ने कछुए से मदद मांगी। राजेश ने कहा, “आप मुझे पीठ पर बैठाकर नदी पार करा दीजिए।” कछुए ने कहा, “ठीक है, मैं तुम्हारी मदद जरूर करूँगा।”जब दोनों नदी पार कर रहे थे तो कछुए ने पूछा, “तुम कहाँ जा रहे हो” तो उस लड़के ने उत्तर दिया, “मैं मतंग ऋषि से मिलने जा रहा हूँ।” तो कछुआ कहने लगा, “यह तो बहुत अच्छी बात है। क्या तुम मेरा एक प्रश्न उनसे पूछ सकते हो?” तो राजेश ने कहा, “हाँ मैं उनसे आपके प्रश्न का उत्तर जरूर ले आऊँगा।” तो वह कछुआ कहने लगा, “मैं एक असाधारण कछुआ हूँ जो समय आने पर ड्रैगन बन सकता है। मैं 500 सालो से इसी नदी में हूँ और ड्रैगन बनने की कोशिश कर रहा हूँ ,लेकिन मैं कब ड्रैगन बनूँगा? इस प्रश्न का उत्तर तुम उनसे पूछकर आना।”नदी पार करके कुछ दूर जाने पर मतंग ऋषि का आश्रम दिखाई देने लगा। आश्रम में प्रवेश करने के बाद शिष्यों ने उसका बहुत अच्छी तरह स्वागत किया। संध्या समय में उस ऋषि ने राजेश को अपने दर्शन दिए। ऋषि ने राजेश से कहा, “हे पुत्र, मैं तुम्हारे किसी भी तीन प्रश्न का उत्तर दे सकता हूँ। तुम अपना प्रश्न पूछो।”राजेश बहुत सोच में पड़ गया की वह अपना प्रश्न पूछे या फिर मदद करने वाले मालकिन, तांत्रिक या कछुए का प्रश्न पूछे। वह अपना प्रश्न पूछना चाहता था पर उसने सोचा की उसे मुशीबत में मदद करने वाले लोगों का उपकार नहीं भूलना चाहिए। उसे यह नहीं भूलना चाहिए की उसने उन लोगों से उनके प्रश्न का उत्तर लाने का वादा किया है। उसी पल उसने निश्चय किया की वह खूब मेहनत करेगा और अपनी जिंदगी को बदल देगा। लेकिन इस समय पर उन तीन लोगों के जिंदगी पर बदलाब लाना बहुत जरुरी है।यही सोचते सोचते राजेश ने ऋषि से पूछा,“हवेली की मालकिन की बेटी कब बोलना शुरू करेगी।”तो ऋषि ने जवाब दिया,“जैसे ही उसका विवाह होगा वह बोलना शुरू कर देगी?”फिर उसने दूसरा प्रश्न किया,“तांत्रिक को मोक्ष कब प्राप्त होगा? आत्मज्ञान कब प्राप्त होगा?”तो ऋषि उत्तर देने लगे,“जब वह तांत्रिक अपने तंत्र से प्राप्त की गई सारी शक्तिया, सारी सिद्धिया किसी और को दे देगा तो उसी क्षण उसे आत्मज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी।”फिर उसने तीसरा प्रश्न किया,“वह कछुआ ड्रैगन कब बनेगा?”तो ऋषि ने उत्तर दिया,“जिस दिन उसने अपना कबज उतार दिया वह उसी वक़्त ड्रैगन बन जाएगा।”वह लड़का ऋषि से उत्तर जानकर बहुत खुश हुआ। और अगली सुबह वह उन ऋषि का धन्यवाद दे करके वहाँ से निकल गया। वापस रास्ते में कछुआ मिला। उसने उस लड़के को नदी पार करा दी। और अपने प्रश्न के बारे में पूछा।तब राजेश ने कछुए से कहा,“अगर तुम अपना कबज उतार दो तो तुम इसी समय ड्रैगन बन जाओगे।”जब उस कछुए ने यह उत्तर सुना तो वह बहुत खुश हो गया। और कछुए ने जैसे ही कबज उतारा उसमे से ढेरो मोती झड़ने लगे। कछुए ने वह सारे मोती राजेश को दे दिए और कुछ ही पलो में वह एक ड्रैगन में बदल गया। वह बहुत खुश था। उसने फॉरेन उस लड़के को अपने पीठ पर बैठाया और सारी बर्फीला पहाड़े पार करा दी। थोड़ा आगे जाने पर उसे तांत्रिक मिला। राजेश ने तांत्रिक को ऋषि की सारी बातें बता दी की जब आप अपनी तांत्रिक विद्या, अपनी शक्तिया किसी और को दे देंगे तो आपको उसी क्षण मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी, आत्मज्ञान की प्राप्ति हो जाएगी।तो वह तांत्रिक बोला,“अब मैं कहाँ किसे ढूंढने जाऊँगा? एक काम करो तुम ही मेरी विद्या ले लो।”और ऐसा कहते ही उस तांत्रिक ने अपनी सारी शक्तिया राजेश को दे दिए। और अगले ही क्षण उसे मोक्ष की प्राप्ति हो गई। राजेश वहाँ से आगे बढ़ा और तांत्रिक से मिली शक्तिओ के दम पर वह क्षण भर में ही हवेली पर पहुँच गया।हवेली की मालकिन ने उसे देखते ही पूछा,“क्या बताया ऋषि मतंग ने मेरी बेटी के बारे में?”तो राजेश कहने लगा,“जिस दिन आपकी बेटी की शादी होगी वह अपने आप बोलने लग जाएगी।”मालकिन बोली,“तो देर किस बात की है? तुम इतनी बड़ी खुशखबरी लेकर आए हो, भला तुमसे अच्छा लड़का इसके लिए और कौन हो सकता है।”उस हवेली की मालकिन ने उन दोनों की शादी करा दी और सचमुच वह लड़की बोलने लग गई। राजेश अपनी पत्नी को लेकर अपने गांव पहुँचा। उसने सबसे पहले उस चूहे को धन्यवाद दिया। और अपनी नई हवेली में उसके रहने के लिए एक जगह भी बनवा दी। कभी अपने जिंदगी से हार चुके राजेश के पास आज सब कुछ था। धन-दौलत था, परिवार था, ताकत थी उसने सब कुछ प्राप्र्त कर ली थी क्यूंकि उसने अपने प्रश्न का त्याग कर दिया था और दुसरो के बारे में सोचा था।
यह जिंदगी भी ऐसी ही है। कई बार जब हम अपना स्वार्थ छोड़कर किसी दूसरे की मदद करते है, किसी और का भला करते है तो वह कुदरत वह प्रकृति हमें उस भलाई का बदला शो गुना करके लौटाती है। हम चाहे माने या न माने लेकिन जो भी हम कर्म करते है अच्छा या बुरा सही या गलत उन कर्मो का फल हमें जरूर मिलता है। अगर आपने किसी के साथ भलाई की है अच्छाई की है तो विश्वास रखना उस भलाई का फल एक दिन आपको जरूर मिलेगा।