एक घर में एक बच्चे का जन्म होता है। सब खुश होते है बच्चे को देखकर कि उनके घर में एक फौजी फौजी आ गया। वह बच्चा चार साल का हो गया। सब उसे कहते है कि बेटा तुझे एक दिन फौजी बनना है, वह दूर बैठे दुश्मनों को मार गिराना है। बच्चा दस साल का हो गया। वह अभी से तैयारी करने लग गया। उसका एक ही सपना बन गया कि उसे एक फौजी बनना है।
वह अब बिश साल का हो गया। बहुत साल से वह फौजी बनने के लिए मेहनत कर रहा है। फौजी बनने और अपने लक्ष को हासिल करने के लिए उसने कभी भी गलत काम नहीं किया। उसका सिर्फ एक ही गोल है वह है इस धरती माँ के लिए अपनी जान कुर्बान करना, देश की रक्षा करते-करते शहीद होना।
आखिरकार वह अपने मेहनत और लगन से एक बेहतर फौजी बन जाता है। घर में सब खुश होते है कि हमारा बेटा अपनी देश की माँ के लिए अपनी जान कुर्बान करने को तैयार है। उस फौजी की ट्रैंनिंग होती है। ट्रेनिंग पास करने के बाद उसे देश की सीमा पर तैनात कर दिया जाता है।
वह दिन-रात अपनी देश की रक्षा करने के लिए तैयार रहता है। दो साल हो गए वह घर नहीं गया। अपनी धरती माँ के मर्यादा के लिए वह हर दिन सीमा पर तैनात रहता है।
वह बाइश साल का हो गया। अब घरवाले उसके शादी के लिए लड़की ढूंढने लग गए और अपने बेटे को कहने लगे कि बेटा इस साल तेरी शादी करवानी है इसलिए तू घर आ जा। लेकिन दूसरे देश के खींचातानी से वह उस साल भी घर न जा सका।
घर में बैठी माँ दिन-रात अपने बेटे को याद करके आँसू बहाती है। उसने भी कभी अपने बेटे को अपने से दूर नहीं रखा। लेकिन उसकी माँ यह जानती है कि इस माँ से जरुरु उस धरती माँ की रक्षा करना जरुरी है।
देश की सीमा पर दिन-रात गोलाबारी होती है और वह फौजी अपने बुलंद हौसलों से उनका डटकर सामना करता है। असेही एक साल ओर बीत जाता है। घर में अब भी उसका सब बेसब्री से इंतज़ार करते रहे। अगले साल उसे छुट्टी मिलती है और वह घर जाता है।
घर में सब उसे देखकर इतने खुश होते है कि शब्दो में बयां नहीं कर सकते। फिर उस फौजी की शादी हो जाती है और फिर छुट्टी ख़त्म होने के बाद घर से जाता है। अपने पीछे अपने प्यारे से परिवार को छोड़कर चला जाता है। बाहर से सभी फिर भी खुश है कि हमारा बेटा फिरसे धरती माँ की सेवा के लिए जा रहा है।
एक साल बाद फिरसे देश की सीमा पर गोलाबारी होती है और फिरसे वह अपनी घर की यादों को भूलकर अपने बुलंद हौसलों से दुश्मन का सामना करता है। लेकिन इस बार दुश्मन से लड़ते-लड़ते वह भी शहीद हो जाता है। घर में जब शहीद होने की बात जाती है तो उस माँ पर क्या बीतती है, एक साल शादी को हुए उस पत्नी पर क्या बीतती है यह तो सिर्फ वहीं जाने।
अंदर ही अंदर उनका हाल बेहाल होता है। लेकिन उस घर में फिरसे एक जवान पैदा होता है, अपनी धरती माँ पर अपनी जान कुर्बान करने के लिए। मात्रा 24-25 साल की उम्र में न जाने कितने जवानों ने इस तिरंगे की शान के लिए अपनी जाने दी है और आगे भी इस तिरंगे में लिपटकर अपनी जाने देते रहेंगे।