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काजी का न्याय !!

एक दिन तीन भाई न्याय पाने के लिए काजी के पास गए। उनका मामला बड़ा अनोखा था। वे काजी से बोले, “हमारे पिता की मृत्यु हो चुकी है। मरने से पहले हमारे पिता ने कहा था कि आधी जायदाद बड़े बेटे की होगी.

जायदाद का एक-चौथाई हिस्सा दूसरे बेटे और जायदाद का छठवाँ हिस्सा तीसरे बेटे का होगा। इसलिए हमने उनकी मृत्यु के बाद जमीन-जायदाद को उसी तरह बाँट लिया।

लेकिन हम ग्यारह ऊँटों को नहीं बाँट पा रहे हैं। हम उन्हें किस प्रकार बाँटे?” उनकी बात सुनकर कुछ देर तो काजी सोच में पड़ गया लेकिन फिर बोला,

“यदि तुम्हें एतराज न हो तो मैं तुम्हारे पशु समूह में अपने ऊँट को भी शामिल करना चाहता हूँ।” वे बोले, “नहीं, हमें कोई एतराज नहीं है।” अब उनके पास बारह ऊँट हो गए थे।

तब बड़े बेटे को बारह ऊँटों के आधे छह ऊँट मिले, वहीं दूसरे बेटे को एक-चौथाई के हिसाब से तीन ऊँट मिले और सबसे छोटे बेटे के हिस्से छठवें भाग के हिसाब से दो ऊँट आए।

बटवारा करने के बाद काजी ने अपना ऊँट वापस ले लिया। तीनों भाई काजी के चतुराईपूर्ण न्याय से बहुत खुश थे।

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कम्पार्टमेंट

उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी