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किस्मत का खजाना !!

एक किसान बुद्ध के पास आया और बुद्ध से बोला, “हे बुद्ध, मेरी किस्मत बहुत ख़राब है। मैं जो भी काम करता हूँ वह सब बिगड़ जाता है। मुझे मेरी मेहनत का कोई फल नहीं मिलता। मैं एक किसान हूँ, में खेती करता हूँ लेकिन मेरी फसल अच्छी नहीं हो पाती इस बजह से मैं बड़ा परेशान रहता हूँ। मैंने कई सन्यासियों से इसका उपाय पूछा है, उन्होंने जो जो कहा वह मैंने किया। सभी तरह के अनुष्ठान और पूजा मैंने कराए लेकिन फिर भी मुझे इसका कोई लाभ नहीं मिला। इस बार भी मेरी फसल अच्छी नहीं हुई जब की मेरी गांव वालों की फसल बहुत अच्छी होती है। मैंने सुना है की आप सभी की समस्याओं का समाधान करते है तो क्या आप मेरी समस्या का समाधान कर सकते है बुद्ध? क्या आप मेरी किस्मत को बदल सकते है बुद्ध?”

बुद्ध मुस्कुराए और बोले, “तुम्हारी किस्मत तो बहुत अच्छी है। सभी कुछ तो तुम्हारे पास है।”

किसान बोला, “मेरे पास क्या है? मेरी किस्मत कैसे अच्छी है?”

बुद्ध ने कहा, “तुम्हारे पास एक स्वस्थ शरीर है, तुम्हारे सारे अंग काम करते है, तुम्हारा मष्तिस्क भी अच्छा काम करता है और तुम्हारे पास जमीन भी है, तुम्हारे पास किस चीज की कमी है? तुम्हारी किस्मत तो अच्छी है।”

किसान ने कहा, “बुद्ध आप यह समझ नहीं रहे है यह सब तो सभी के पास होता है, मेरे गांव वालो के पास भी है और वह सभी सुखी भी है। उनके पास अच्छी फसल भी है लेकिन मेरे पास नहीं है। हर बर्ष मेरा सिर्फ नुकशान ही होता है। आप मुझे कोई उपाय या मंत्र देने की कृपया करें जिससे मेरी किस्मत चमक जाए।”

बुद्ध ने कहा, “ठीक है, मंत्र तो तुम्हे अबश्य मिल ही जाएगा लेकिन क्या तुम्हे यह पता है की तुम्हारे खेत में खजाना है।”

यह सुनकर किसान चौंका और बुद्ध से बोला, “बुद्ध आप यह क्या कह रहे है? मेरे खेत में खजाना! पर कहाँ है? मुझे बताइए मैं वहां से उसे निकाल लूंगा।”

बुद्ध ने कहा, “ऐसे नहीं मिलेगा तुम्हे खजाना। इसके लिए मैं जैसाजैसा कहूँ तुम वैसा वैसा करते जाना। तो फिर खजाना तुम्हे अवश्य ही मिल जाएगा।”

किसान ने कहा, “मुझे क्या करना होगा?” बुद्ध ने कहा, “अपनी खेत की मिटटी एक टोकरी में भरकर यहाँ लाओ।” फिर किसान भागा भागा खेत पर गया और अपने खेत की मिटटी एक टोकरी में भरकर ले आया।

बुद्ध ने कहा, “अब एक महा बार अपनी खेत की खुदाई करना और जब तुम अपना पूरा खेत खोद लो तो उसकी एक टोकरी मिटटी मेरे पास लेकर आना।”

वह किसान बोला, “वह खजाना जब मेरे खेत में है ही तो आप मुझे बता दें की वह कहाँ है? मैं उसे अभी खोदकर निकाल लूंगा। इतना इंतजार करने की क्या जरुरत है?”

बुद्ध ने कहा, “हर कार्य का एक समय होता है और वह कार्य उसी समय पर किया जाए तो उचित होता है। अगर तुम अभी वह खजाना निकालने की कोशिश करोगे तो तुम्हारे हाथ कुछ नहीं आएगा।”

वह किसान बुद्ध को प्रणाम करके वहां से चला गया। वह बड़ा बेचैन रहा। उसे रात को खजाने के सपने आते और वह दिन भर खजाने के बारे में सोचता रहता था।वह खेत में बैठा रहता और सोचता की जब उसे खजाना मिल जाएगा तो वह एक अमीर आदमी बन जाएगा।

एक महीने बीतते ही वह किसान अपने खेत से एक टोकरी मिटटी लेकर बुद्ध के पास पहुंचे और बुद्ध से बोला, “हे बुद्ध, यह मेरी खेत की मिटटी है। आप मुझे बता दें की वह खजाना कहाँ हैं? मैं उसे खोदकर वहां से निकाल लूंगा।”

बुद्ध ने कहा, “अपने खेत को जोतो और जब तुम अपने खेत को जोतलो तब उसकी एक टोकरी मिटटी लेकर मेरे पास लाना।”

वह किसान बोला, “हे बुद्ध, पूरा खेत जोतने की क्या जरुरत है? आप मुझे बता दें की खजाना कहाँ है? मैं वही खोदकर खजाना निकाल लूंगा।”

बुद्ध ने कहा, “खजाना खेत जोतने से ही बाहर निकलेगा। अगर तुम खेत नहीं जोतोगे तो खजाना बाहर नहीं आ पाएगा।”

वह किसान फिर बुद्ध को प्रणाम करके चला गया। उसने अपना पूरा खेत जोत दिया। और एक बार फिर वह एक टोकरी मिटटी लेकर बुद्ध के पास उपस्थित हुआ।

बुद्ध ने कहा, “अभी तुम्हारा खेत ठीक से नहीं जोता गया है। एक बार फिरसे अपने खेतों में हल चलाओ।”

वह किसान बोला, “बुद्ध मेरे पास बैल नहीं है, मैंने खुद ही पूरा खेत जोता है।”

बुद्ध ने कहा, “एक बार और परिश्रम करो ,इस बार परिश्रम का फल तुम्हे अवश्य ही मिलेगा।” किसान ने फिरसे खेत में हल चलाया और फिरसे एक टोकरी मिटटी लेकर बुद्ध के पास गए।

बुद्ध ने मिटटी देखकर कहा, “अब ठीक है। अब तुम्हे एक दूसरा काम करना है। अपनी खेत में अब जो फसल तुम ले सकते हो उस फसल का बीज डालो।”

किसान बोला, “आपने तो खजाने की बात की थी अब फसल की बात कहाँ से आ गई?”

बुद्ध ने कहा, “अगर तुम्हे खजाना चाहिए तो तुम्हे मिटटी में बीज तो डालने ही होंगे।”

किसान बोला, “ठीक है, जैसा आप कहे वैसा मैं करूँगा लेकिन अगर इस समय बीज लेने जाऊँगा तो वह मुझे बहुत महंगे पड़ेंगे और मेरे पास इतना धन भी नहीं है अगर मैं कुछ समय बाद जाऊँगा तो वह बीज मुझे सस्ते में मिल जाएंगे।”

बुद्ध ने कहा, “हर कार्य का एक समय होता है, अगर वह कार्य उस समय पर नहीं होता तो उसका फल सम्पूर्ण नहीं मिलता। चाहे कम बीज ले आओ लेकिन आज ही ले आओ और अपने खेतो में बीज डालो।”

वह किसान बुद्ध की बात मानकर बीज ले आया और उसने अपने खेतो में वह बीज डाल दी। वह फिर बुद्ध के पास आया और बुद्ध से बोला, “बुद्ध जैसा आपने कहा था मैं अपने खेतो में बीज डाल आया हूँ। अब मुझे बता दे की वह खजाना कहाँ है? ताकि मैं उसे निकाल सकू।”

बुद्ध ने कहा, “अब तुम्हे एक और काम करना है उसके बाद वह खजाना तुम खुद ही देख पाओगे। तुम्हे अपने उन बीजो को जो तुमने खेतो में डाले है उनकी देखभाल करनी है, उन्हें प्यार से सींचना है। ध्यान रखना उन्हें कोई तकलीफ न हो, वह स्वस्थ रहे, उन्हें कोई कीड़ा न लगे अगर ऐसा हुआ तो तुम्हे खजाना नहीं मिल पाएगा और अगर तुम्हारे खेत का हर बीज अंकुरित हुआ और वह अपने सम्पूर्णता तक पहुंचा तो वह खजाना तुम्हे अवश्य ही दिखाई देगा। तुम्हे मेरे पास आने की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी।”

किसान ने बुद्ध का धन्यवाद किया और अपने खेत में चला गया। उसने अपने खेत पर पूरा ध्यान दिया। उसे सपने में खजाना ही दिखाई देता था। वह सोचता था की यह फसल पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाए तो वह खजाना भी मुझे मिल ही जाएगा।

फिर एक दिन ऐसा भी आया जब उसकी फसल लहलाकर उसके खेत में  खड़ी थी और उसे बुद्ध की बातें याद आ गई थी।

बुद्ध ने कहा था की तुम्हे तुम्हारा खजाना मिल ही जाएगा और उसके आंखो में आंसू आ रहे थे। खजाना जो जमीन में था बाहर आ चूका था। उसके जैसे फसल उस गांव में किसी की नहीं हुई थी। उसकी फसल से उसकी सभी कर्ज पुरे होने वाले थे। वह बैल भी खरीद सकता था। सब गांव वाले उसकी मेहनत के तारीफ कर रहे थे। तब वह अपने आपको रोक नहीं पाया और बुद्ध के पास उपस्थित हुआ।

बुद्ध के चरणों में बैठकर वह बोला, “वह खजाना जो आपने बताया था वह मुझे मिल गया है। लेकिन मुझे यह बात पता नहीं चल रही की वह खजाना मुझे पहले क्यों नहीं मिला था।”

तब बुद्ध ने कहा, “हमेशा किस्मत को दोष देना सही नहीं। पहले तुम अपने किस्मत को सही करने में लगे थे जब की वह पहले से ही सही थी। तुम सही कर नहीं पा रहे थे।तुम चाहते थे की तुम्हारे कर्म करें बिना ही तुम्हारी फसल उतपन्न हो जाए। खजाने के लालच में ही सही लेकिन जब तुमने सही समय पर सही कर्म किया तो तुम्हे सही फल भी मिला। अब तुम यह बातें जान गए हो की हमारा सबसे बड़ा खजाना हमारा शरीर ही है। और इस शरीर से हम इस दुनिआ में जो चाहे पा सकते है। लेकिन महत्वपूर्ण है कर्म। जो किस्मत पर रोता है और कर्म में विशवास नहीं करता वह कभी अपने लक्ष तक नहीं पहुँचता।

किसान ने बुद्ध से कहा, “हे बुद्ध क्या किस्मत जैसी कोई चीज नहीं होती?”

बुद्ध मुस्कुराए और बोले “किस्मत तो हमारे सब कर्म है और यह सब कर्म ही हमें ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते है। और इस कर्म से ही हम अपने जीवन के लक्ष को प्राप्त कर सकते है।”

वह किसान बुद्ध के चरणों में गिर गया और बोला , “हे बुद्ध, मुझे आज यह पता चल गया है की मेरी किस्मत ख़राब नहीं थी, मेरे कर्म ख़राब थे। आज से मैं अपनी किस्मत को नहीं अपनी कर्मों को सुधारूंगा।”

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