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निंदा करना एक बहुत बड़ा दुर्गुण है

एक बार अपना राजा चुनने के लिए पक्षियों की सभा हुई। उसमें जंगल के सभी पक्षी एकत्र हुए। सबके आ जाने पर सबसे बुजुर्ग एक चील ने उठकर सभा में कहा, “इंसानों ने अपने बीच में से एक व्यक्ति को राजा चुन लिया है। जो उनकी भलाई के लिए सभी काम करता है।”

“जंगल के जानवरों ने भी शेर को अपना राजा चुन लिया है। केवल हम पक्षियों में ही राजा का चुनाव नहीं हुआ है। अगर हम भी अपने बीच से किसी पक्षी को राजा चुन लेते हैं तो यह बहुत फायदेमंद होगा।”

“किसी भी विवाद अथवा सार्वजनिक महत्व के कार्य में राजा का निर्णय कई समस्याओं से हमें बचाएगा। मैं राजा बनाने के लिए उल्लू का नाम प्रस्तावित करता हूँ। क्योंकि हम लोग दिन में तो अपनी देखभाल कर लेते हैं। लेकिन रात में आने वाले खतरों से केवल उल्लू ही निपट सकता है। अगर किसी को कोई आपत्ति हो तो बताये।”

“यह सुनकर सभा में बैठा एक कौआ उठकर बोला, “मुझे इस उल्लू का न तो स्वभाव पसंद है न ही इसका मुख। इस प्रसन्नता के अवसर पर भी यह किस प्रकार मुंह बनाकर बैठा है? अगर कोई समस्या आएगी तो इसका मुख कैसा होगा?”

“यह राजा मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।” बार बार यह कहता हुआ कौवा आकाश में उड़ गया। उधर कौवे की बात सुनकर क्रोधवश उल्लू भी उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे उड़ चला।

इधर सभी पक्षियों ने सर्वसम्मति से गरुण को अपना राजा चुन लिया। राजा का चुनाव तो खत्म हो गया। लेकिन कौवे द्वारा की गई निंदा के कारण उल्लू और कौवे में आज भी दुश्मनी है।

Moral of Story- सीख : निंदा करना एक बहुत बड़ा दुर्गुण है। अगर किसी की कमियों को बताना भी हो। तो उसे अकेले में बताना चाहिए। सार्वजनिक रूप से की गई निंदा दुश्मनी का कारण बनती है।

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