हमारे अंदर सुख की कामना ही क्यों उठती है ? हम सब जीवों का एक लक्ष्य है। सुख मिले। वो सुख कहाँ है ? कहाँ मिलेगा ? संसार का सबसे बड़ा सुख क्या है ? सुख के पीछे …
1️⃣ पहला सुख निरोगी काया
(शरीर का स्वस्थ रहना पहला सुख माना गया है, क्योंकि यदि स्वास्थ्य अच्छा नहीं है तो बाकी कुछ भी अच्छा नहीं लगता)
2️⃣ दूजा सुख घर में हो माया
(धन का होना नंबर दो का सुख है। लोग इसे पहला सुख मान कर इसके पीछे अपनी जान लगा देते हैं)
3️⃣ तीजा सुख सुलक्षणा नारी
(यदि किसी की पत्नी अच्छे चाल-चलन वाली न हो तो जीवन नरक बन जाता है)
4️⃣ चौथा सुख सुत आज्ञाकारी
(पुत्र पिता की आत्मा कहलाता है। यदि वह आज्ञा नहीं मानता है तो पिता को इससे बढ़ कर दु:ख क्या हो सकता है?)
5️⃣ पांचवा सुख हो स्वदेश वासा
(जीवन-यापन करने के लिए अपना देश, अपनी जन्मभूमि और अपने स्वजनों को छोड़ कर अन्य कहीं न जाना पड़े)
6️⃣ छठवां सुख हो राज में पासा
(सरकारी दफ्तरों में पहुंच-पैरवी होना बहुत जरूरी है, अन्यथा कई प्रकार के काम अटक जाते हैं)
7️⃣ सातवां सुख संतोषी जीवन
(प्रारब्ध के अनुसार जो परिवार मिला है और मेहनत करने के बाद जो भोग-समग्री मिली है, उसमें संतोष करना ही
सातवां सुख कहलाता है)
प्रारब्ध पहले रचा पीछे रचा शरीर।
तुलसी चिन्ताक्यों करे भज ले श्री रघुवीर।।
ऐसा है तो धन्य है जीवन