बात उस समय की है, जब रंगून में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फोज में भर्ती होने के लिए भीड़ लगी हुई थी।
नेताजी ने एक मंच से जनता को संबोधित करते हुए कहां, दोस्तों, आजादी बलिदान चाहती है, तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। भीड़ चिल्ला उठी, नेताजी, आप के एक इशारे पर हम अपना तन,मनऔर धन सब कुछ भारत माता के चरणों में समर्पित कर देंगे।
तब नेताजी ने कहा ठीक है दोस्तों, आगे आइए इस शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कीजिए। भीड़ में आपाधापी मच गई। हर एक व्यक्ति शपथपत्र पर हस्ताक्षर के लिए आगे आना चाहता था।
शपथपत्र पर पहले हस्तात्क्षर कर नेताजी की नजरों में महान बनने की फिराक में सभी थे। इससे पहले की नेताजी की आवाज गूंजी ठहरो, मुझे तुम्हारे खून के हस्ताक्षर चाहिए। जो आजादी के लिए सर्वस्व अर्पित करने का दंभ भरता हो वह अपने खून से हस्ताक्षर करे, यह सुनकर भीड़ में मौजूद सभी लोग सहम गए और धीर-धीरे पीछे जाने लगे।
तभी अचानक 17 लड़कियां आगे बढ़ीं और आनन-फानन में उन्होंने अपनी कमर से छुरियां निकालीं और अपनी अंगुलियों को काट कर शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किए।
In English
The talk is about the time when there was a mob to recruit Netaji Subhash Chandra Bose in the Azad Hind Foz in Rangoon.
Addressing the public from a platform, Netaji wants , you give me blood, I will give you freedom. The crowd shouted, Netaji, on one of your warnings, we dedicate our body, mind and wealth to the feet of Bharat Mata.
Then Netaji said, ok guys, come forward, sign this affidavit. Crowds raged in the crowd Everybody wanted to come forward for signing the affidavit.
Initially signing the affidavit was all about to become great in Netaji’s eyes. Before that Netaji’s voice should be a gong, I need your blood signature. All those present in the crowd agreed and, after listening to this, who would fill the pillar of sacrifice for freedom, sign it with his blood, and started to go back slowly.
Suddenly, 17 girls went forward and in the funeral, they took out the knives on their waist and cut their finger and signed the affidavit.