“क्या बताऊँ मम्मी, आजकल तो , बासी कढ़ी में भी उबाल आया हुआ है|
जबसे पापा जी रिटायर हुए है , दोनों लोग फिल्मी हीरो हीरोइन की तरह दिन भर अपने बगीचे में ही झूले पर विराजमान रहते हैं|
न अपने बालों की सफेदी का लिहाज है न बहू बेटे का इस उम्र में दोनों मेरी और नवीन की बराबरी कर रहे हैं|
ठीक है मां मैं आपसे बाद में बात करती हूं शायद सासुमा आ रही हैं।”
सासु मां ने बहू की बातें कमरे के बाहर सुन ली थी,
पर नज़रअंदाज़ करते हुए खामोशी से चाय सोनम को दे दी|
सासू मां बहू सोनम को चाई देने के पश्चात पति देव अशोक जी के लिए चाय ले जाने लगी,
ऐसा देखकर बहू सोनम के चेहरे पर व्यंगात्मक मुस्कान तैर गयी|
पर सासू मां, समझदारी दिखाते हुए बहू की इस नाजायज हरकत को नज़र अंदाज़ करते हुए सिर झुकाए वन्हा से निकल गईं|
पति के रिटायर होने के बाद कुछ दिन से उनकी यही दिनचर्या हो गयी थी|
आजकल सासुमा प्रभा जी अपने पति देव अशोक जी को उनकी इच्छानुसार अच्छे से तैयार होकर अपने घर के सबसे खूबसूरत हिस्से में अपने पति देव के साथ झूले में बैठ कर उनको कंपनी देती थी।
प्रभाजी ने सारी उम्र तो उनकी बच्चों के लिए लगा दी थी|
कोठीनुमा घर अशोक और प्रभा का जीवन भर का सपना था, जो उन्होंने बड़ी मेहनत से साकार किया था।
ऐसे मनमोहक वातावरण में वहां पर लगा झूला मन को असीम शांति प्रदान करता।
पहले वह और अशोक इस मनमोहक जगह में कम समय के लिए ही बैठ पाते थे।
प्रभा अनमनी होतीं तो अशोक बड़े ज़िंदादिल शब्दों में कहते,
“पार्टनर रिटायरमेंट के बाद दोनों इसी झूले पर साथ बैठेंगे और खाना भी साथ में ही खायेंगे|
आपकी हर शिकायत हम दूर कर देँगे|
फ़िलहाल हमें बच्चों के लिये जीना है|
बच्चों के कैरियर पर बहुत कुछ बलिदान करना पड़ा,
खेर अब बेटा अच्छी नौकरी में था और बेटी भी अपने घर की हो चुकी थी |
रिटायरमेंट के बाद घर में थोड़ी रौनक रहने लगी थी,
अशोक जी को भी घर में रहना अच्छा लग रहा था|
पहले तो बड़े पद पर थे तो कभी उनके कदम घर में टिकते ही नहीँ थे|
लेकिन उनकी बहू सोनम अपने पति नवीन को उसके माता पिता के लिये ताने देने का कोई मौका न छोड़ती|
उसने उस कोने के बागीचे से छुटकारा पाने के लिये नवीन को एक रास्ता सुझाते हुए कहा,”क्योँ न हम बड़ी कार खरीद लें…नवीन”|
“आईडिया तो अच्छा है पर रखेंगे कहाँ एक कार रखने की ही तो जगह है घर में”,नवीन थोड़ा चिंतित स्वर में बोला|
“जगह तो है न, वो गार्डन तुम्हारा..जहाँ आजकल दोनों लव बर्ड्स बैठते हैं।”
सोनम व्यागतमक स्वर में बोली|
“थोड़ा तमीज़ से बात करो,”
नवीन क्रोध से बोला।
लेकिन फिर भी सोनम ने अपने पति को पापा जी से बात करने का मन बना लिया।
अगले दिन नवीन कुछ कार की तस्वीरों के साथ शाम को अपने पिता के पास गया और बोला,
” पापा !मैं और सोनम एक बड़ी गाड़ी खरीदना चाहते हैं “
“पर बेटा एक बड़ी गाड़ी तो घर में पहले ही है, फिर उस नई गाड़ी की रखेंगे भी कहाँ?”
अशोक जी ने प्रश्न किया|
“ये जो बगीचा है यहीँ गैराज बनवा लेंगे वैसे भी सोनम से तो इसकी देखभाल होने से रही और मम्मी कब तक देखभाल करेंगी?
इन पेड़ों को कटवाना ही ठीक रहेगा|
वैसे भी ये सब जड़े मज़बूत कर घर की दीवारें कमज़ोर कर रहें है|”
यह सुनकर प्रभा तो वहीँ कुर्सी पर सीना पकड़ कर बैठ गईं,
अशोक जी ने क्रोध को काबू में करते हुए कहा,
मुझे तुम्हारी माँ से भी बात करके थोड़ा सोचने का मौका दो|
क्या पापा… मम्मी से क्या पूछना ..वैसे भी इस जगह का इस्तेमाल भी क्या है नवीन थोड़ा चिड़चिड़ा कर बोला|
“आप दोनों दिन भर इस जगह बगैर कुछ सोचे समझे,चार लोगों का लिहाज किये बग़ैर साथ में बैठे रहते हैं|
अब आप दोनों कोई बच्चे तो नहीं हो |
लेकिन आप दोनों ने दिन भर झूले पर साथ बैठे रहने का रिवाज बना लिया है और ये भी नहीँ सोचते कि चार लोग क्या कहेंगे|
इस उम्र में मम्मी के साथ बैठने की बजाय आप अपनी उम्र के लोगों में उठा बैठी करेंगे तो वो ज़्यादा अच्छा लगेगा न कि ये सब।”
और वह दनदनाते हुए अंदर चला गया| अंदर सोनम की बड़बड़ाहट भी ज़ारी थी।
अशोक जी कड़वी सच्चाई का एहसास कर रहे थे।
पर आज की बात से तो उनके साथ प्रभा जी भी सन्न रह गईं,
अपने बेटे के मुँह से ऐसी बातें सुनकर दोनों को दिल भर आया था और टूट भी चुका था।
रिटायरमेंट को अभी कुछ ही समय हुआ जो थोड़ा सकून से गुजरा था।
पहले की ज़िन्दगी तो भागमभाग में ही निकल गयी थी, बच्चों के लिए सुख साधन जुटाने में|
अशोक जी आज पूरी रात ऊहापोह में लगे रहे,
कुछ सोचते रहे, कुछ समझते रहे और कुछ योजना बनाते रहे ।
लेकिन सुबह जब वे उठे तब बड़े शांत और प्रसन्न थे।
वे रसोई में गये और खुद चाय बनाई |
कमरे में आकर पहला कप प्रभा को उठा कर पकड़ाया और दूसरा खुद पीने लगे|
आपने क्या सोचा?प्रभा ने रोआंसे लहज़े में पूछा|
मैं सब ठीक कर दूँगा बस तुम धीरज रखो,अशोक बोले| पर हद से ज़्यादा निराश प्रभा उस दिन पौधों में पानी देने भी न निकलीं,और न ही किसी से कोई बात की|
दिन भर सब सामान्य रहा,लेकिन शाम को अपने घर के बाहर To Let का बोर्ड टँगा देख नवीन ने भौंचक्के स्वर में अशोक से प्रश्न किया,”पापा माना कि घर बड़ा है पर ये To Let का बोर्ड किसलिए”?
” अगले महीने मेरे स्टाफ के मिस्टर गुप्ता रिटायर हो रहें है,तो वो इसी घर में रहेँगे”,
उन्होंने शान्ति पूर्ण तरीके से उत्तर दिया| हैरान नवीन बोला,
“पर कहाँ?” “तुम्हारे पोर्शन में”,अशोक जी ने सामान्य स्वर में उत्तर दिया|
नवीन का स्वर अब हकलाने लगा था,”और हम लोग ” “तुम्हे इस लायक बना दिया है दो तीन महीने में कोई फ्लैट देख लेना या कम्पनी के फ्लैट में रह लेना,अपनी उम्र के लोगों के साथ |
“अशोक एक- एक शब्द चबाते हुए बोल रहे थे|
हम दोनों भी अपनी उम्र के लोगों में उठे बैठेंगे।
तुम्हारी माँ की सारी उम्र सबका लिहाज़ करने में निकल गयी|
कभी बुजुर्ग तो कभी बच्चे|
अब लिहाज़ की सीख तुम सबसे लेना बाकी रह गया था | “पापा मेरा वो मतलब नहीँ था”,नवीन सिर झुकाकर बोला|
नही बेटा तुम्हारी पीढ़ी ने हमें भी प्रैक्टिकल बनने का सबक दे दिया,
जब हम तुम दोनों को साथ देखकर खुश हो सकते है तो तुम लोगों को हम लोगों से दिक्कत क्योँ है| “?
इस मकान को घर तुम्हारी माँ ने बनाया, ये पेड़ और इनके फूल तुम्हारे लिए माँगी गयी न जाने कितनी मनौतियों के साक्षी हैं,
तो यह अनोखा कोना छीनने का अधिकार में किसी को भी नहीं दूँगा|
पापा आप तो सीरियस हो गये, नवीन के स्वर अब नम्र हो चले थे|
न बेटा… तुम्हारी मां ने जाने कितने कष्ट सहकर, कितने त्याग कर के मेरा साथ दिया आज इसी के सहयोग से मेरे सिर पर कोई कर्ज़ नहीँ है|
इसलिये सिर्फ ये कोना ही नहीं पूरा घर तुम्हारी माँ का ऋणी है| ।
घर तुम दोनों से पहले उसका है, क्योंकि जीभ पहले आती है, न कि दाँत|
जब मंदिर में ईश्वर जोड़े में अच्छा लगता है तो मां बाप साथ में बुरे क्योँ लगते हैं?
ज़िन्दगी हमें भी तो एक ही बार मिली है|
इसलिए हम इसे अपने हिसाब से जीना चाहते हैं।🙏
English Translation
“What can I tell mommy, nowadays, stale curry has boiled too.”
Ever since Papa ji has retired, both people sit on the swing in their garden all day like a film hero heroine.
Neither is it a matter of whiteness of your hair nor daughter-in-law at this age both are equal to me and Naveen.
Okay mother I talk to you later maybe Sasuma is coming. “
Mother-in-law had heard the daughter-in-law outside the room,
Ignoring but silently gave tea to Sonam.
After giving chai to mother-in-law Sonam’s mother-in-law, husband Dev started taking tea for Ashok ji,
Seeing this, a sarcastic smile floated on daughter-in-law Sonam’s face.
But mother-in-law, sensibly ignoring the illegitimate act of her daughter-in-law, left Vanha with her head bowed.
After the husband retired, this was his routine for a few days.
Nowadays Sasuma Prabha ji used to dress her husband Dev Ashok ji well according to her wish and sit in a swing with her husband Dev in the most beautiful part of her house and give them company.
Prabhaji had spent his entire life for his children.
Ashok and Prabha had a dream of a lifetime, which they had worked hard for.
In such an enchanting environment, the swing there would give infinite peace to the mind.
Previously he and Ashoka could sit in this charming place for a short time only.
If Prabha was unhappy, Ashok would have said in a very lively words,
“After retirement, both will sit on this swing together and will also eat food together.
We will clear all your complaints.
Right now we have to live for the children.
A lot had to be sacrificed on children’s careers,
Kher, now the son was in a good job and the daughter was also in her home.
After retirement, the house was a little bright,
Ashok ji also liked to stay at home.
At first, he was in a big position, so his steps never stood at home.
But her daughter-in-law Sonam leaves no opportunity to taunt her husband Naveen for her parents.
He suggested to Naveen a way to get rid of the garden of that corner and said, “Why don’t we buy a big car … Naveen”.
“Idea is good but will you keep a car where there is a place in the house”, Naveen said in a slightly worried voice.
“The place is there, that garden is yours … where both love birds sit nowadays.”
Sonam spoke in a vocational voice.
“Talk to a little tameez,”
Naveen spoke with anger.
But even then Sonam made up her mind to talk to Papa ji.
The next day Naveen went to his father in the evening with some car pictures and said,
“Papa! Me and Sonam want to buy a big car”
“But the son is already in a big car, then where will he keep that new car?”
Ashok ji asked the question.
“This is the garden that will be built here, anyway, Sonam has been taking care of it and how long will mommy take care of it?”
It will be fine to cut these trees.
Anyway, by strengthening all these roots, the walls of the house are weakening. “
Hearing this, Prabha sat there holding a chest on the chair,
Ashok ji controlled the anger and said,
Give me a chance to think a little by talking to your mother too.
What father … what to ask my mother .. What is the use of this place anyway, Naveen said a little irritable.
“Both of you sit at this place all day without thinking anything, regardless of the four people.
Now both of you are no children.
But both of you have made it a custom to sit together on the swing all day and do not even think what the four people will say.
At this age, instead of sitting with your mother, you will be able to sit in the people of your age, then it will be better rather than all this. “
And he went inside with a shout. Sonam’s murmur was also released inside.
Ashok ji was realizing the bitter truth.
But from today’s talk, Prabha ji was also shocked with him,
Hearing such things from their son’s mouth, both of them were heartbroken and had broken.
Retirement took place only a short time, which had gone through a little trouble.
The earlier life had gone out in the Bhagam Bhag itself, in raising the means of happiness for the children.
Ashok ji kept busy in the night,
Some kept thinking, some kept thinking and some kept making plans.
But when he woke up in the morning, he was very calm and happy.
He went to the kitchen and made tea himself.
Prabha picked up the first cup and came into the room and started drinking herself.
What did you think? Prabha asked in a soft tone.
I will make everything right, just be patient, Ashok said. But on that day Prabha did not even give water to the plants, nor did she talk to anyone.
All was normal throughout the day, but seeing the board of To Let outside his house in the evening, Naveen asked Ashok in a bewildered voice, “Papa thought that the house is big but what is this To Let board for?”
“Next month Mr. Gupta of my staff is retiring, so he will stay in this house”,
He answered in a peaceful manner. Shocked Naveen said,
“but where?” “In your posture”, Ashok ji replied in a normal voice.
Naveen’s voice was now stuttering, “And we the people” “has made you fit to see a flat in two to three months or stay in a company flat, with people of your age.”
“Ashoka was speaking while chewing every single word.
Both of us will also sit in the people of our age.
Your mother’s entire life went out of consideration for everyone.
Sometimes elderly and sometimes children.
Now the lesson of consideration was left to you. “Papa, I didn’t mean that”, Naveen bowed his head.
No son, your generation has also taught us the lesson of becoming practical,
When we can be happy to see both of you together, then why do you guys have problems with us? “?
Your mother built this house, this tree and its flowers have been asked for you.
So I will not give anyone in the right to snatch this unique corner.
Father, you have become serious, Naveen’s voice was now becoming humble.
Neither son … Your mother, after suffering so much suffering, sacrificed so much and supported me today, with this support, there is no debt on my head.
Therefore, not only this corner, the whole house is indebted to your mother. .
The house belongs to both of you, because the tongue comes first, not the teeth.
When God is good in pairs in the temple, then why do parents feel bad together?
We too have got life only once.
So we want to live it according to ourselves.