Breaking News

जानिए रामायण का एक अनजान सत्य…

जानिए रामायण का एक अनजान सत्य…
केवल लक्ष्मण ही मेघनाद का वध कर सकते थे..
क्या कारण था ?..पढ़िये पूरी कथा
हनुमानजी की रामभक्ति की गाथा संसार में भर में गाई जाती है। लक्ष्मणजी की भक्ति भी अद्भुत थी। लक्ष्मणजी की कथा के बिना श्री रामकथा पूर्ण नहीं है। अगस्त्य मुनि अयोध्या आए और लंका युद्ध का प्रसंग छिड़ गया ।
भगवान श्रीराम ने बताया कि उन्होंने कैसे रावण और कुंभकर्ण जैसे प्रचंड वीरों का वध किया और लक्ष्मण ने भी इंद्रजीत और अतिकाय जैसे शक्तिशाली असुरों को मारा ॥
अगस्त्य मुनि बोले- श्रीराम बेशक रावण और कुंभकर्ण प्रचंड वीर थे, लेकिन सबसे बड़ा वीर तो मेघनाध ही था ॥ उसने अंतरिक्ष में स्थित होकर इंद्र से युद्ध किया था और बांधकर लंका ले आया था॥
ब्रह्मा ने इंद्रजीत से दान के रूप में इंद्र को मांगा तब इंद्र मुक्त हुए थे ॥ लक्ष्मण ने उसका वध किया, इसलिए वे सबसे बड़े योद्धा हुए ॥
श्रीराम को आश्चर्य हुआ लेकिन भाई की वीरता की प्रशंसा से वह खुश थे॥ फिर भी उनके मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि आखिर अगस्त्य मुनि ऐसा क्यों कह रहे हैं कि इंद्रजीत का वध रावण से ज्यादा मुश्किल था ॥
अगस्त्य मुनि ने कहा- प्रभु इंद्रजीत को वरदान था कि उसका वध वही कर सकता था जो…..
(१) चौदह वर्षों तक न सोया हो,
(२) जिसने चौदह साल तक किसी स्त्री का मुख न देखा हो, और
(३) चौदह साल तक भोजन न किया हो ॥
श्रीराम बोले- परंतु मैं बनवास काल में चौदह वर्षों तक नियमित रूप से लक्ष्मण के हिस्से का फल-फूल देता रहा ॥
मैं सीता के साथ एक कुटी में रहता था, बगल की कुटी में लक्ष्मण थे, फिर सीता का मुख भी न देखा हो, और चौदह वर्षों तक सोए न हों, ऐसा कैसे संभव है ॥
अगस्त्य मुनि सारी बात समझकर मुस्कुराए॥ प्रभु से कुछ छुपा है भला! दरअसल, सभी लोग सिर्फ श्रीराम का गुणगान करते थे, लेकिन प्रभु चाहते थे कि लक्ष्मण के तप और वीरता की चर्चा भी अयोध्या के घर-घर में हो ॥
अगस्त्य मुनि ने कहा – क्यों न लक्ष्मणजी से पूछा जाए ॥
लक्ष्मणजी आए प्रभु ने कहा कि आपसे जो पूछा जाए उसे सच-सच कहिएगा॥
प्रभु ने पूछा- हम तीनों चौदह वर्षों तक साथ रहे फिर तुमने सीता का मुख कैसे नहीं देखा ?, फल दिए गए फिर भी अनाहारी कैसे रहे ?, और १४ साल तक सोए नहीं ? यह कैसे हुआ ?
लक्ष्मणजी ने बताया- भैया जब हम भाभी को तलाशते ऋष्यमूक पर्वत गए तो सुग्रीव ने हमें उनके आभूषण दिखाकर पहचानने को कहा ॥
आपको स्मरण होगा मैं तो सिवाए उनके पैरों के नुपूर के कोई आभूषण नहीं पहचान पाया था क्योंकि मैंने कभी भी उनके चरणों के ऊपर देखा ही नहीं.
चौदह वर्ष नहीं सोने के बारे में सुनिए – आप औऱ माता एक कुटिया में सोते थे. मैं रातभर बाहर धनुष पर बाण चढ़ाए पहरेदारी में खड़ा रहता था. निद्रा ने मेरी आंखों पर कब्जा करने की कोशिश की तो मैंने निद्रा को अपने बाणों से बेध दिया था॥
निद्रा ने हारकर स्वीकार किया कि वह चौदह साल तक मुझे स्पर्श नहीं करेगी लेकिन जब श्रीराम का अयोध्या में राज्याभिषेक हो रहा होगा और मैं उनके पीछे सेवक की तरह छत्र लिए खड़ा रहूंगा तब वह मुझे घेरेगी ॥
आपको याद होगा राज्याभिषेक के समय मेरे हाथ से छत्र गिर गया था।
अब मैं १४ साल तक अनाहारी कैसे रहा! मैं जो फल-फूल लाता था आप उसके तीन भाग करते थे. एक भाग देकर आप मुझसे कहते थे लक्ष्मण फल रख लो॥
आपने कभी फल खाने को नहीं कहा- फिर बिना आपकी आज्ञा के मैं उसे खाता कैसे?
मैंने उन्हें संभाल कर रख दिया॥ सभी फल उसी कुटिया में अभी भी रखे होंगे ॥ प्रभु के आदेश पर लक्ष्मणजी चित्रकूट की कुटिया में से वे सारे फलों की टोकरी लेकर आए और दरबार में रख दिया॥ फलों की गिनती हुई, सात दिन के हिस्से के फल नहीं थे॥
प्रभु ने कहा- इसका अर्थ है कि तुमने सात दिन तो आहार लिया था?
लक्ष्मणजी ने सात फल कम होने के बारे बताया- उन सात दिनों में फल आए ही नहीं :—
१–जिस दिन हमें पिताश्री के स्वर्गवासी होने की सूचना मिली, हम निराहारी रहे॥
२–जिस दिन रावण ने माता का हरण किया उस दिन फल लाने कौन जाता॥
३–जिस दिन समुद्र की साधना कर आप उससे राह मांग रहे थे, ।
४–जिस दिन आप इंद्रजीत के नागपाश में बंधकर दिनभर अचेत रहे,।
५–जिस दिन इंद्रजीत ने मायावी सीता को काटा था और हम शोक में रहे,।
६–जिस दिन मेघनाद ने मुझे शक्ति मारी,
७–और जिस दिन आपने रावण-वध किया ॥
इन दिनों में हमें भोजन की सुध कहां थी॥ विश्वामित्र मुनि से मैंने एक अतिरिक्त विद्या का ज्ञान लिया था- बिना आहार किए जीने की विद्या. उसके प्रयोग से मैं चौदह साल तक अपनी भूख को नियंत्रित कर सका जिससे इंद्रजीत मारा गया ॥
भगवान श्रीराम ने लक्ष्मणजी की तपस्या के बारे में सुनकर उन्हें ह्रदय से लगा लिया ।
जय सियाराम जय जय राम
जय शेषावतार लक्ष्मण भैया की
जय संकट मोचन वीर हनुमान की

English Translation

Know the unknown truth of Ramayana …
Only Lakshmana could kill Meghnad ..
What was the reason? .. Read the full story
The saga of Hanumanji’s devotion is sung all over the world. Laxmanji’s devotion was also amazing. Sri Ramakatha is not complete without the story of Laxmanji. Agastya Muni came to Ayodhya and the incident of Lanka war broke out.
Lord Shri Ram told how he killed raging heroes like Ravana and Kumbhakarna and Lakshmana also killed powerful asuras like Indrajit and Atikayya.
Agastya Muni said- Sri Ram was undoubtedly Ravana and Kumbhakarna, a brave hero, but the greatest hero was Meghnadh. He had fought with Indra by being located in space and had brought him to Lanka.
When Brahma asked Indra as a donation from Indrajit, Indra was freed. Laxman killed him, so he became the greatest warrior.
Shri Ram was surprised but he was happy with the praise of his brother’s bravery. Still, there was curiosity in his mind that why Agastya Muni is saying that Indrajit’s slaughter was more difficult than Ravana.
Agastya Muni said- Lord Indrajit had a boon that he could slaughter him only…
(1) Have not slept for fourteen years,
(2) Who has not seen the face of any woman for fourteen years, and
(3) Have not eaten for fourteen years.
Shri Ram said – But I continued to give flowers of Laxman’s share regularly for fourteen years in Banavas period.
I lived in a hut with Sita, there were Lakshmana in the adjacent cottage, then I have not even seen the face of Sita, and should not have slept for fourteen years, how is this possible?
Agastya Muni smiled after understanding everything. Is there anything hidden from God? Actually, all the people used to sing praise of Shriram only, but Prabhu wanted that the tenacity and valor of Lakshmana should also be discussed in the house of Ayodhya.
Agastya Muni said – why not ask Lakshmanji?
Laxmanji came to the Lord said that what you are asked will be told truthfully.
Prabhu asked- The three of us stayed together for fourteen years, how could you not see the face of Sita? How were Anahari still living, and did not sleep for 14 years? how did this happen ?
Laxmanji told- Brother, when we went to Mount Sagemook looking for sister-in-law, Sugriva asked us to identify her by showing her jewelery.
You will remember that I could not identify any ornaments of Nupur except his feet, because I had never seen him above his feet.
Hear about not sleeping for fourteen years – you and mother used to sleep in a hut. I used to stand outside in the night with an arrow on a bow. Nidra tried to capture my eyes, then I had Nidra pierced with my arrows.
Nidra loses and accepts that she will not touch me for fourteen years, but she will surround me when Sri Ram is being crowned in Ayodhya and I will stand behind her with a parasol like a servant.
You will remember that the parasol had fallen from my hand at the time of the coronation.
Now how have I been Anahari for 14 years? You used to do three parts of the fruits and flowers that I used to bring. You used to tell me by giving a portion, keep the Lakshman fruit.
You never asked to eat fruit – then how do I eat it without your permission?
I kept them safe. All the fruits must still be kept in the same hut. On the orders of God, from the hut of Laxmanji Chitrakoot, he brought a basket of fruits and kept them in the court. Fruits were counted, there were no fruits for seven days.
God said- it means that you had taken food for seven days?
Laxmanji told about the seven fruits being deficient – fruits did not come in those seven days: –
1 – On the day we received information about the father’s death, we were a non-vegetarian.
2 – On the day Ravana killed his mother, who would go to fetch the fruit?
3 – On the day you were seeking a path to the sea, you were asking for it.
7 – The day you tied in Nagpash of Indrajit and remained unconscious throughout the day.
5 – The day Inderjit cut off the elusive Sita and we remained in mourning.
7 – The day Meghnad killed me,
7 – And the day you killed Ravana
Where did we have the knowledge of food in these days? From Vishwamitra Muni, I had learned an additional discipline – the science of living without eating. With his use, I was able to control my hunger for fourteen years, so that Indrajit was killed.
Hearing about the penance of Lakshmanaji, Lord Shri Ram took him to heart.
Jai Siyaram Jai Jai Ram
Jai Sheshavatar Laxman Bhaiya Ki
Jai Sankat Mochan Veer Hanuman’s

Check Also

pakshi-budiyaa

बेजुबान रिश्ता

आँगन को सुखद बनाने वाली सरिता जी ने अपने खराब अमरूद के पेड़ की सेवा करते हुए प्यार से बच्चों को पाला, जिससे उन्हें ना सिर्फ खुशी मिली, बल्कि एक दिन उस पेड़ ने उनकी जान बचाई। इस दिलचस्प कहानी में रिश्तों की महत्वपूर्णता को छूने का संदेश है।