राधे ठीक नहीं है तेरा रोज देर में आना
बड़ा मुस्किल होता है कान्हा रोज बहाने लगाना|
अरे पनघट आजा आखिर राधा लेके बहाना पानी का
रोज मैया न भेज के राजी केहती आज तुझे नही जाना
राधे ठीक नहीं है तेरा रोज देर में आना|
कभी कभी तू आजा आकर रोज मुझे क्यों बुलाता है
मैं बरसाने आऊंगा तो पड़े दूसरा भेष बनाना
बड़ा मुस्किल होता है कान्हा रोज बहाने लगाना|
चल हो गई पक्की बात इक दिन मैं और इक दिन तू आये,
बात सही है बिना मिले तो न रेह पाए तेरा कान्हा
बड़ा मुस्किल होता है कान्हा रोज बहाने लगाना|
चले गए मथुरा कान्हा दिल तड़पा के
क्या मिला बतादो अपनी राधा को रुला के।
बेरुखी दिखाई मुझको तनहा है छोड़ा
करते थे प्रेम तो फिर दिल क्यों है तोड़ा।
छल किया है तूने झूठे प्रीत को निभा के।
क्या मिला बतादो,,,
दर्द को सहा है मैंने चोट कैसी खायी है
तुझे क्या पता ओह कान्हा तू तो हरजाई है।
बड़ा चैन पाया तूने मुझपे सितम डा के।
क्या मिला बतादो ,,,,,
मुरली की धुन को तरसती धरती आहे भर्ती
नदिया ये नीर बहाकर मुझसे पूछा करती।
आएंगे कब्र कन्हाई बासुरी बजा के।
क्या मिला बतादो ,,,,,
माँ को वो झूला झुलाना ममता बुलाई है
नन्द बाबा की याद तुझको क्यों न आयी है।
माखन चुराना तेरा ग्वालो के संग में
मधुवन में रास रचाना सखियों के संग में
गोकुल के गाओ को भुला मथुरा में जाके।
क्या मिला बतादो ,,,,,
चले गए मथुरा कान्हा दिल तड़पा के
क्या मिला बतादो अपनी राधा को रुला के।