कहा ठौर थी हम गरीबो को जग में,
अगर तुमने दिल में बसाया ना होता,
मर ही गए होते हम तो कभी के,
अगर तेरी रेहमत का साया ना होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घनश्याम हुआ है।।
लिए जो आँख में कोई बुलाता है,
लिए संग मोर छड़ी दौड़ा चला आता,
फांसी जो नाव कभी मांझी बन जाता है,
अपने प्रेमी को सदा जीत दिलवाता है,
मेरे मोहन मेरे माधव सँवारे मेरे प्यारे,
जमाना तो कब का मिटा देता हमको,
अगर तुमने आकर बचाया ना होता।।
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घनश्याम हुआ है।।
कभी भी आंच ना आएंगे सारे गम पीले,
सर पे रखे हाथ साथ सदा ना हो नैना गीले,
कभी मीरा कभी कर्मा कभी सुदामा के,
छाव बन जाए घनी ख़ुशी के पुष्प खिले,
मेरे मोहन मेरे माधव सँवारे सँवारे मेरे प्यारे।।
क्या हाल होता ना जाने हमारे,
तरस जो हमपे जो तुमने खाया ना होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घनश्याम हुआ है।।
कहा ठौर थी हम गरीबो को जग में,
अगर तुमने दिल में बसाया ना होता,
मर ही गए होते हम तो कभी के,
अगर तेरी रेहमत का साया ना होता,
साथी मेरा श्याम हुआ है,
राजी घनश्याम हुआ है।।