अपने मन को ही मंदिर बना लो
श्याम सुंदर को उस में बिठा लो
चाहे देश में रहो प्रदेश में रहो
किसी वेश में रहो परिवेश में रहो
अपने मन में प्रभु को बसा लो
श्याम सुंदर को उस में बिठा लो
उनकी करुना में कोई कमी है नही उनको पा लो कही तुम बुला लो कही
उनके चरणों को कुर से लगा लो श्याम सुंदर को उस में बिठा लो
नैन के आंसूयो से प्खारो चरण
पाहि केह कर के जाओ प्रभु की शरण
अपनी करुना से परभू को रिजा लो
श्याम सुंदर को उस में बिठा लो……….