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सांवरिया थारी प्रीत में

मैं दीवानी श्याम की,
श्याम म्हारे सिरमौर,
रोम रोम में बस रयो,
म्हारे नन्द किशोर,

लत लागी थारी गिरधारी,
तन मन की सुध खो दी सारी,
सांवरिया मने थारे आगे सारो यो जग फीको लागे,
दुनिया सारी भूल भुला के जोगन हो गई रे,
सांवरिया थारी प्रीत में बैरागन हो गई रे,
लत लागी थारी गिरधारी,
तन मन की सुध खो दी सारी…..

थारो नाम लिखूं मैं हर दम थारो ही मैं बाँचूँ,
थारे आगे मैं सांवरिया बाँध घूंघरा नाचूं,
मैं मीरा थारे गिरधारी अर्पण हो गई रे,
सांवरिया थारी प्रीत में बैरागण हो गई रे…….

मैं हूँ प्रेम दीवानी मीरा म्हारो प्रेम क़बूलो,
म्हारी नैया पार लगाओ श्याम मने मत भूलो,
फूलों में ढूंढूं चाहे कलियों में,
सांवरिया सांवरिया पुकारूँ गलियों में……

पियो ज़हर को प्यालो लेकर नाम सांवरा थारो,
थारे ही कारण नन्द लाला जनम सुधरियो म्हारो,
मैं भव पार सांवरा थारे कारण हो गई रे,
सांवरिया थारी प्रीत में बैरागन हो गई रे,
गोविन्द मेरो है गोपाल मेरो हो,
वो तो राधा रमण नन्द लाल मेरो है.,,,,,,,,,,,,

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