माकन बरसाने की राधा तू नन्द गाव वाला से
मैं गोरी गोरी गुजरी तू घना काला से,
तू मटकी भी फोड़े दुःख सेहवे गोपियाँ
जब कपड़े उठावे चुप रेह वे गोपियाँ,
छोटी सी उमर में तू चोरी करे से
मैं गोरी गोरी गुजरी तू घना काला से,
रोज रोज कान्हा तू तो माखन चुराए
पूरा नन्द परेशान तू तो सब को सताए
घर घर जाके वैरी तूने डाको डाला से
मैं गोरी गोरी गुजरी तू घना काला से,
बांसुरी तो कान्हा ठीक ठाक तू भ्जाये,
चाहे भी तो दूर कोई रह न पाए
सुना हां हुटर तेरी माया से
मैं गोरी गोरी गुजरी तू घना काला से,,,,,,,,,,