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गोपाल कन्हैयो नंदजी रो


गोपाल कन्हैयो नंदजी रो मेरे घर पे चढ़ गेयो री,
दूध दही विखरायो माखन को चट कर गया री,
गोपाल कन्हैयो नंदजी रो…

चलो रे सखी री करे शिकायत यशोदा घर चालो जी,
महारानी जी बैठे महल में लाला नहीं संभाले री,
मोरी बनी रसोई पूरी कचोरी गइयो को खवाये गया री,
दूध दही विखरायो माखन को चट कर गया री,
गोपाल कन्हैयो नंदजी रो…

पहरण ओढ़न मेरा कपड़ा गोबर में लपटायो री,
कासन बर्तन बाँध के डोरी कुया में लटकायो री,
मोरी पलंग पे सोहे नई बहुहँ का केस क़तर गयो री,
दूध दही विखरायो माखन को चट कर गया री,
गोपाल कन्हैयो नंदजी रो…

खोल गया गइयन का बछड़ा सारा दूध पिलाओ री,
ग्वाल बाल रबड़ी  मिठाई भर भर पेटन चढ़ाओ री,
मेरा डेड महीने का पोता छीके पे दर गया जी,
दूध दही विखरायो माखन को चट कर गया री,
गोपाल कन्हैयो नंदजी रो…

मात यशोदा तेरे लाल की आदत है कैसी खोटी,
सासु मोरी दोकड़ी बंध्यो खतियन में चोटी,
देखे रमेश कान्हा घर के द्वार में तालो झड़ गया री,
दूध दही विखरायो माखन को चट कर गया री,
गोपाल कन्हैयो नंदजी रो…………

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