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प्राइवेसी (privacy)

विदेश में इतनी दूर आई थी बेटे के पास अकेला रहता था, सोंचा था कि चलो कुछ समय उसके साथ बिताएगी। बेचारे को अच्छा खाना भी तो नसीब नहीं होता होगा हालांकि कभी रितेश ने ऐसी कोई शिकायत नहीं की थी परन्तु वो ऐसा सोंचती थी। बड़ी आशाएँ लेकर अमेरिका की धरती पर उतरी थी। बेटा लेने आया पर समय की कमी का अहसास दिलाते हुए बोला, “मम्मा मुझे बहुत काम है आप को घर छोड़ कर मुझे वापस ऑफिस जाना होगा।” चुप रहने के सिवा और कोई चारा नहीं था। छब्बीसवीं मंजिल पर फ्लैट था उसका। कुल जमा पचपन मंजिला इमारत थी पूरे घर में गलीचे बिछे थे। एक बार जब वो इंडिया आया था तब अपनी बैठक के लियें गलीचा लेना चाहा था तब रितेश ने यह कर कर टाल दिया था बहुत सफ़ाई करनी पड़ेगी आपको।

किचन में सभी तरह की सुविधाएं जुटा रखी थी रितेश ने फ़्रिज, वाशिंग मशीन, माइक्रोवेव, डिशवाशर ये सारे उपकरण तो जीवन को सुखी बना देते हैं तकरीबन अपने यहाँ भी सम्पन्न घरों में सभी के पास हैं।घर का निरीक्षक करने के बाद उसे चाय की इच्छा हुई और चाय बनाने लगी। चाय पत्ति नहीं मिली ‘टी बैग’ एक कप में डाला चीनी मिला पीने लगी अजीब स्वाद लगा अपने घर उसने कभी टी बैग इस्तेमाल नहीं किये थे। कुछ भूख लगी थी साथ लाई मठरी खा ली। बिस्तर पर लेट सुस्ताने लगी पता ही नहीं चला कब नींद ने घेर लिया। घर की घंटी की आवाज़ सुन दरवाज़े की तरफ़ भागी रितेश अंदर आते ही बोला,”मम्मा, देर हो गई” और सीधा अपने रूम में चला गया। काम करके थक गया होगा अमेरिका के रंग ढंग तो वो कुछ जानती नहीं पर अपने यहाँ के बच्चे आजकल लैपटॉप और फ़ोन पर ही व्यस्त रहते हैं। यहाँ के हिसाब से रात हो चुकी थी रेखा को बहुत भूख लग रही थी।

फ्रिज में ‘रेडी तो ईट’ वाले खाने के डिब्बे ही मिले। सब्जी के नाम पर अल्लू टमाटर प्याज़ ही पड़े मिले सोंचा चलो सब्जी बना लूँ। रितेश किचेन में आ बोलने लगा आप क्यों बना रही हो। वो जो पैक में आलू परांठा पड़ा है गर्म कर लेते हैं। दोनों ने खाना खाया रितेश कुछ अधिक नहीं बोला रेखा ही बोलती रही उसे बेटा अजनबी लग रहा था अजनबी देश का वासी। वैसे तो अपने देश में भी तो बच्चों से बात नहीं हो पाती पर वहाँ और बहुत कुछ होता है। रितेश ने टी वी के वो सब चैनल समझा दिए जो वह दिन में देख सकती थी।अगले दिन सुबह रितेश को अपने लाये बेसन के लड्डू दिए पर उसने खाने से मना कर दिया बोला बहुत कैलेस्ट्रोल है इन में मम्मा। अपनी सबसे पसंदीदा मिठाई को साफ नकार दिया रेखा का दिल टूट गया। ‘रेडी टू इट’ उपमा खा कर आफिस निकल गया। सब्जी तो अब शनिवार को ही आएगी क्योंकि रितेश तब ही खरीदारी करता है।

रेखा उदासी से विदेश में समय बिताने लगी। पूजा पाठ का समान साथ लाई थी एक दिन अगरबत्ती जला दी उसके धुंए से घर में लगा सायरन बज उठा सोता सोता रितेश भागा कर आया और रेखा को घूरने लगा। तब से दीया बाती भी नहीं करने का निश्चय किया। क़रीब बीस दिन ही हुए थे मन बिल्कुल नहीं लग रहा था बार बार खुद को कोसती क्यों चली आई, सुरेश जी ने मना किया था और वो साथ भी नहीं आये कैसे काटेगी बाकी समय। वो तो शुक्र हुआ कि छः सप्ताह के लियें ही आई थी।एक दिन अचानक रितेश से बात करने उसके रूम में चली गई उस ने लताड़ दिया “अरे मेरे रूम में क्यों चली आई कोई “प्राइवेसी” भी होती है पूछ लेतीं, आप जब से आई हो मुझे परेशान करके रख दिया है। मना किया था मत आओ पर नहीं आप को तो अमेरिका आने का शौक लगा था। पापा ने तो अच्छा ही किया जो नहीं आये पर आप जबरदस्ती अपनी मनमानी करती हो। अरे ये पिछड़ा हुआ आपका देश नहीं है यहाँ के तौर तरीके अलग हैं। यहाँ पंद्रह साल का बच्चा अपने माता पिता को नहीं पूछता मैं तो हर साल आप लोगों से मिलने आता हूँ।”रेखा समझ ही नहीं पाई की आखिर क्यों इतना सुना रहा है। सोंचा काम के कारण चिड़चिड़ा हो रहा है अब से कभी इसके रूम की तरफ नहीं आऊँगी परंतु माँ की उत्सुकता रोक नहीं पाई खुद को, रितेश की गैरहाजरी में रूम की तरफ चल दी दरवाजा खोलना चाहा पर रूम लॉक मिला रेखा की आँखों से झर झर आँसू बहने लगे। सुरेश जी को फोन लगा सारी बात बताई आज से पहले रेखा ने यहाँ की कोई बात सुरेश जी को नहीं बताई थी। उन की सांत्वना पाकर कुछ शांत हुई।

रितेश आफिस से वापस आया तो उसका व्यवहार कुछ बदला बदला लगा। बोला, “पापा ने कॉल करके पूछा कि मैं आप का ठीक से ख़्याल तो रख रहा हूँ ,मम्मा मुझे माफ़ कर दो हम बच्चे ना माता पिता के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते और उन्हें बिना ही बात रास्ते की रुकावट मानने लगते हैं। आप मेरे प्यार में इतनी दूर अकेले आईं और मैं आप से परेशान हो गया।” रितेश रेखा के गले लग रुआँसा हो गया। सुरेश जी को मन ही मन धन्यवाद देने लगी उन के इस गंभीर व्यवहार पर रेखा बहुत नाज करती है। उन्होंने कभी रेखा को टूटने नहीं दिया और आज बेटे को सही रास्ते पर ला कर माँ के रिश्ते का सम्मान करना सीखा दिया। रेखा ने पति को रितेश की सारी बात कॉल कर बताई। वो खुश थी कि बेटा चाहे मन मर्जी करे पर अब कुछ तो ध्यान रखेगा। आजकल फ़ोन करने की सुविधा के चलते कभी भी आसानी से बात हो जाती है शादी के बाद अपनी माँ से बात करने के लिए एसटीडी बूथ पर जाना पड़ता था मिनटों का हिसाब रखना पड़ता था।

माता पिता दूसरे शहर में थे जब भी उनसे बात करने की इच्छा होती पूरी तैयारी करनी पड़ती थीं। खैर शुक्र है कि आज मुठ्ठी में फ़ोन दबाये घूमो जब जिससे बात करनी हो करों। सुबह उठी तो देखा रितेश अपना नाश्ता बना रहा था बोला, “मुझे पांच दिन के लियें दूसरे शहर जाना है।” सुनते ही घबरा गई रेखा पांच दिन की जैसे जेल हो गई वो अकेली कैसे झेल पाएगी। याद है जब कभी सतीश जी आफिस के काम से शहर से बाहर जाते थे तब या तो सतीश जी की मम्मी रेखा के साथ रहने आती थीं या फिर रेखा उनके पास चली जाती थी आना जाना आसन था तीस पैंतीस किलोमीटर का ही फासला था दोनों घरों के बीच, रेखा अकेले में बहुत घबरा जो जाती थीं। ये कैसी नई मुश्किल डाल दी रितेश ने, अभी तो सुबह शाम रितेश से दो चार बातें हो ही जाती हैं पर पांच दिन कैसे कटेंगें। रेखा की प्रतिक्रिया जाने बिना रितेश अपना सामान लेने लगा तभी डोर बेल बजी अंदर आते ही एक लंबी गौरी लड़की रितेश के गले मे झूल गई। “ये केटी है मम्मा” रितेश बोला “ये मेरे साथ ही रहती है किसी काम से एक महीने से दूसरे शहर गई हुई थी।” रेखा की जुबान जम गई क्या बोले कैसे बोले कुछ समझ ही नहीं पा रही थी।

गर्दन हिला मात्र हाँ ही बोल पाई। दोनों रितेश के रूम में चले गए। रेखा ठगी सी खड़ी रह गई।अपने रूम में जा कर बिस्तर पर धड़ाम गिर गई। तो ये है रितेश की ‘प्राइवेसी’ पता नहीं कब से इस गौरी मेम के साथ रह रहा होगा। इसीलिए रूम में आने पर झँझलाया था। इस लड़की का समान मैं देख लूँगी। माँ के प्रश्नों से बचना चाहता था। रितेश रूम में ही था, गया नहीं कुछ देर पहले तक तो इसे जाने की जल्दी थी। रेखा अंदर ही अंदर भुनभुना रही थी पर उससे क्या होगा। उसे तो ये सोचना था कि क्या अब इस लड़की के साथ ही रहना होगा इसके अलावा उसके पास और क्या चारा है।सुरेश जी को फ़ोन लगा सारी बात बताई उन्होंने सलाह दी शांति से उस लड़की के साथ रहो पर रेखा कैसे शांति रख पाएगी। रितेश की प्राइवेसी का पर्दाफाश हो चुका था। पिछली बार इंडिया आया था तब सगाई कर के आया था। जब इस लड़की के साथ रहता है तो उस बेचारी अनन्या से सगाई क्यों की। ओहो, अब समझी रेखा, उस इंडियन लड़की को नौकरानी बनाने का प्लान था रितेश का। अभी तक रेखा ख़ुद को अमेरिका आने के लियें कोस रही थी पर अब सारी स्तिथि संभालने की ठान ली। अनन्या से बात कर सारी परिस्थितिलयाँ बता दी और रितेश से शादी ना करने के लियें मना लिया। किसी तरह वापसी तक कि अवधि पूरी हुई।आज एक बार फ़िर से रेखा हवाई अड्डे पर खड़ी थी अपना देश,अपने देश की महक अपनेपन का एहसास लिए। उसे तस्सली थी कि रितेश को आज़ाद कर आई और अब कभी भी उसकी ‘प्राइवेसी’ में नहीं झाँकेगी।

गीतांजलि गुप्ता

नई दिल्ली

Hindi to English

Had come so far abroad, lived alone with the son, thought that let’s spend some time with him. The poor person would not have had any good food, although Ritesh had never made any such complaint, but he used to think so. Had landed on American soil with great hopes. The son came to pick him up, but feeling the paucity of time, he said, “Mama, I have a lot of work, I have to leave the house and go back to the office.” There was no other option but to remain silent. He had a flat on the twenty-sixth floor. The total deposit was a fifty-five storey building, the whole house was carpeted. Once when he came to India, he wanted to take the rug for his meeting, then Ritesh had avoided doing this, you will have to do a lot of cleaning.

Ritesh had kept all kinds of facilities in the kitchen. Fridge, washing machine, microwave, dishwasher, all these appliances make life happy, almost everyone has them in their homes too. After inspecting the house, he got tea. Got the desire and started making tea. Didn’t get tea leaves ‘Tea Bag’ Added sugar mixed in a cup Started drinking It tasted strange He had never used tea bags in his house. Was hungry for something and ate mathri with it. Laying down on the bed, I did not know when sleep surrounded me. Hearing the bell of the house, Ritesh ran towards the door and said as soon as he came in, “Mama, it is late” and went straight to his room. She must have been tired of working, she doesn’t know anything about the colors of America, but her children are busy with laptops and phones these days. According to here it was night, Rekha was feeling very hungry.

Only cans of ‘ready to eat’ food were found in the fridge. In the name of vegetable, allu tomato and onion were found, thought let’s make vegetable. Ritesh came in the kitchen and started saying why are you making it. Those who have potato paratha in the pack heat it. Both ate food, Ritesh did not say anything more, Rekha kept on talking, her son seemed a stranger, a resident of a stranger’s country. Well, even in our own country, children are not able to talk, but a lot more happens there. Ritesh explained all the TV channels that she could watch during the day. The next morning, Ritesh gave her gram flour ladoos but he refused to eat, saying there is a lot of cholesterol in them, Mama. Rekha was heartbroken after she flatly refused her favorite sweet. After eating the ‘ready to it’ analogy, left the office. Vegetables will now come only on Saturdays because Ritesh does the shopping only then.

Rekha sadly started spending time abroad. Had brought the same as the worship lesson, one day the incense sticks were lit, due to its smoke, the siren sounded in the house, while sleeping, Ritesh came running and started staring at Rekha. Since then he has decided not to light the lamp. It had been only about twenty days, I was not feeling at all, why did I keep cursing myself again and again, Suresh ji had refused and how would she spend the rest of the time even if she did not come along. She was thankful that she had come only for six weeks. One day suddenly she went to his room to talk to Ritesh. I have kept troubling me. I was forbidden, don’t come, but you were fond of coming to America. Papa did a good job of not coming, but you forcefully do your own thing. Oh this is not your backward country. Here the modalities are different. Here a fifteen year old child does not ask his parents, I come every year to meet you guys. Thought is getting irritable due to work, from now on I will never come towards her room but mother’s curiosity could not stop herself, in Ritesh’s absence, tried to open the door but got room lock. Started flowing Suresh ji got a call and told everything. Before today, Rekha had not told anything about this to Suresh ji. There was some calm after getting their consolation.

When Ritesh came back from the office, his behavior changed somewhat. Said, “Papa called and asked if I am taking good care of you, Mama, forgive me, we children are not able to keep pace with the parents and they start considering them as a hindrance in the way without talking to me. Came so far alone in love and I got upset with you.” Ritesh got teary-eyed while hugging Rekha. Rekha is very proud of this serious behavior of Suresh ji in her heart. He never let the line break and today by bringing the son on the right path, he learned to respect the mother’s relationship. Rekha called her husband and told everything about Ritesh. She was happy that the son wanted to do whatever he wanted, but now something will take care of him. Nowadays, due to the convenience of calling, it is easy to talk at any time, after marriage, to talk to your mother, one had to go to the STD booth to keep track of the minutes.

When the parents were in another city, every time there was a desire to talk to them, all the preparations had to be made. Well, thankfully, press the phone in your fist today and go around when you want to talk. When I woke up in the morning, I saw Ritesh making his breakfast and said, “I have to go to another city for five days.” On hearing this, Rekha was terrified as she was jailed for five days, how would she be able to bear it alone. Remember, whenever Satish ji used to go out of the city for office work, either Satish ji’s mother used to come to live with Rekha or Rekha used to go to him, it was easy to come and go, there was only a distance of thirty five kilometers between both the houses. Meanwhile, Rekha used to get very nervous in private. What new difficulties did Ritesh put in this, now two or four things happen with Ritesh in the morning and evening, but how will five days be spent. Without knowing Rekha’s reaction, Ritesh started taking his belongings, when the doorbell rang, as soon as he came inside, a tall Gauri girl swung around Ritesh’s neck. “This is Katie Mama” Ritesh said, “She lives with me, had gone to another city for a month for some work.” Rekha’s tongue was frozen, what did she say, how she could not understand anything.

Shaking her neck, she could only say yes. Both went to Ritesh’s room. Rekha stood like a swindler. Going to her room, she fell on the bed. So this is Riteish’s ‘privacy’, don’t know how long he must have been living with this Gauri meme. That’s why I was shocked when I entered the room. I will look like this girl. Wanted to avoid mother’s questions. Ritesh was in the room, did not go till some time ago so it was in a hurry to leave. Rekha was grumbling inside but what would happen to her. He had to think whether he would have to live with this girl now, apart from this, what other option does he have. Suresh ji called and told the whole thing, he advised to stay with that girl in peace, but how will Rekha be able to keep peace. Ritesh’s privacy was exposed. The last time he came to India, he had come after getting engaged. When he lives with this girl, why did he get engaged to that poor Ananya. Oh, now understand Rekha, Ritesh had a plan to make that Indian girl a maid. Till now Rekha was cursing herself to come to America but now she is determined to handle the whole situation. Talking to Ananya, told all the circumstances and convinced Ritesh not to marry. Somehow, till the return period came to an end. Today once again Rekha was standing at the airport, feeling the smell of her country, her own country. She was reassured that she had come free Ritesh and would never again peep into his ‘privacy’.

Geetanjali Gupta

New Delhi

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