मोहन अंग्रेजी स्कूल में पड़ता है , वह पढ़ने लिखने में बेहद ही होनहार है। उसकी गणना विद्यालय के मेधावी छात्रों में की जाती है , वह अपनी कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है और पूरे विद्यालय में अधिक अंक प्राप्त करने का भी हौसला रखता है।
एक दिन की बात है
विद्यालय में पर्यावरण पर एक निबंध प्रतियोगिता होने की घोषणा हुई , और समय एक महीने आगे का रखा गया। सभी विद्यार्थी उत्साहित थे कि उन्हें निबंध प्रतियोगिता में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना है और अन्य छात्रों से अधिक अंक प्राप्त करना है।
किंतु मोहन उत्साहित नहीं था , वह इसे विद्यालय के द्वारा की गई गलती समझ रहा था क्योंकि निबंध लिखना उसके लिए बेहद ही आसान काम था। जिसके लिए विद्यालय ने एक महीने आगे का समय रखा है यह केवल समय की बर्बादी है।
मोहन कुछ कर भी नहीं सकता था , इसलिए वह चुपचाप रहा और एक महीने बीतने का इंतजार करने लगा।
जब महीना बीतने में दो दिन मात्र शेष रहे , मोहन को अब लगा कि उसे कुछ तैयारी कर लेनी चाहिए ताकि वह अन्य छात्रों से अधिक अंक लाकर प्रथम स्थान प्राप्त कर सके।
मोहन ने झटपट सारी पुस्तकें निकाली और अन्य स्रोतों के माध्यम से निबंध की तैयारी करने का पूरा सांचा तैयार किया।
किंतु इस तैयारी में उसे दो दिन भी कम पड़ गए।
विद्यालय में प्रतियोगिता का आयोजन हुआ , जब परिणाम की घोषणा की गई तो प्रथम पुरस्कार रोहित को मिला जो कक्षा में सबसे कम अंक प्राप्त करता था।
ऐसा देखकर मोहन को काफी दुख हुआ।
वह निराशा के साथ रोने लगा और उसने किसी भी मित्र से कुछ बात नहीं की।
मोहन रोते-रोते अपने घर पहुंचा जहां उसकी बहन ने उसके रोने का कारण पूछा किंतु वह अपनी बहन से भी अपने रोने की बात साझा नहीं किया।
किंतु उसकी बहन समझ गई कि मोहन को पुरस्कार नहीं मिला है जिसके कारण रो रहा है।
क्योंकि मोहन की बहन सारी परिस्थितियां जानती थी उसने मोहन को अपने पास बिठाया और उसे ध्यान से समझाया कि जब प्रतियोगिता के लिए एक महीने का समय मिला था तुमने उसमें कुछ तैयारी नहीं की। यह तुम्हारा अधिक विश्वास है , जो तुम्हें धोखा दे गया। इसलिए किसी भी तैयारी के लिए उसमें पूरा समय और अपना समर्पण देना होता है , तभी जाकर सफलता हाथ लगती है।
बड़ी बहन की बातों में अधिक विश्वास और प्यार था जिसके कारण मोहन ने रोना बंद कर अपनी बहन से वादा किया कि वह कभी भी किसी काम को आसान नहीं समझेगा उसमें अपना पूरा समर्पण और मेहनत से कार्य करेगा।
कुछ समय बाद जब मोहन की शिक्षा पूरी हुई
वह एक बड़े अस्पताल में एक प्रतिष्ठित डॉक्टर के रूप में कार्य करने लगा। उसके कार्य से मरीज अधिक प्रसन्न रहते और मोहन से इलाज करवाने के लिए लंबी संख्या में मरीजों की पंक्तियां खड़ी रहती थी।
नैतिक शिक्षा
1. कभी घमंड मत करो।
2. समय से पहले ज्यादा मत सोचो। अभी पर ध्यान दो और कोशिश में जुट जाओ।
3. अति का त्याग करना चाहिए।
Moral of this motivational kahani in hindi
1. We should always focus on upcoming things from the beginning.
2. We should utilize every time given to us for any particular work.
3. To get the best results we have to focus on more and more practice.