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दो सांपों की कहानी !!

बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में देवशक्ति नामक राजा रहा करता था। उसके पुत्र के पेट में एक सांप ने अपना डेरा जमा लिया था। पेट में सांप के होने से राजकुमार दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा था। यह देख राजा ने कई प्रसिद्ध वैद से उसका उपचार कराया, लेकिन राजकुमार के स्वास्थ्य में किसी तरह का सुधार नजर नहीं आ रहा था। राजकुमार के स्वास्थ्य के कारण राजा हमेशा परेशान रहता। यह देखकर एक दिन राजकुमार अपने राज्य से दूर दूसरे राज्य में चला गया और मंदिर में भिखारी की तरह रहने लगा।

राजकुमार जिस राज्य में गया था, वहां बलि नामक राजा राज करता था। उसकी दो जवान बेटियां थीं। दोनों रोज सुबह अपने पिता का आशीर्वाद लेने जाती थीं। एक सुबह दोनों में एक बेटी ने राजा को प्रणाम करते हुए कहा “महाराज की जय हो, आपकी कृपा से ही संसार में सब सुखी हैं।” वहीं दूसरी बेटी ने कहा “महाराजा, ईश्‍वर आपको आपके कर्मों का फल दे।” यह सुनकर राजा क्रोधित हो जाता है और मंत्रियों को आदेश देता है “कठोर शब्द बोलने वाली इस लड़की की शादी किसी गरीब लड़के के साथ कर दो, ताकि ये अपने कर्मों का फल स्वयं चख ले।”

राजा के आदेश के चलते मंत्री मंदिर के पास बैठे भिखारी से उसकी शादी कर देते हैं। वह भिखारी वही राजकुमार था, जिसके पेट में सांप ने डेरा बना रखा था। राजकुमारी उसे ही अपना पति मानकर सेवा करने लगती है। कुछ दिन बाद दोनों मंदिर छोड़कर दूसरे देश की यात्रा पर निकल जाते हैं, क्योंकि दोनों मंदिर में रहना सही नहीं समझते।

सफर के दौरान रास्ते में राजकुमार थक जाता है और एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगता है। राजकुमारी पास के गांव से भोजन लाने के लिए चली जाती है। जब वह वापस आती है, तो सोए हुए पति के मुंह से एक सांप को निकलते देखती है। साथ ही पास के एक बिल से भी सांप निकलता है। दोनों सांप बात करने लगते हैं, जिसे छिपकर राजकुमारी सुन लेती है।

एक सांप कहता है “तुम इस राजकुमार के पेट में रहकर इसे तकलीफ क्यों दे रहे हो। साथ ही तुम खुद के जीवन को भी खतरे में डाल रहे हो। अगर किसी ने राजकुमार को जीरा और सरसों का सूप पिला दिया, तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी।” फिर राजकुमार के मुंह से निकला सांप कहता है “तुम इस बिल में रखे सोने के घड़ों की रक्षा क्यों करते हैं, जो तुम्हारे किसी काम के नहीं हैं। अगर किसी को इन घड़ों के बारे में पता चल गया, तो वो बिल में गर्म पानी या गर्म तेल डालकर तुम्हारी जान ले लेगा।”

थोड़ी देर बाद दोनों सांप अपनी-अपनी जगह वापस चले जाते हैं, लेकिन राजकुमारी दोनों सांपों के रहस्य को जा चुकी थी। इसलिए, राजकुमारी पहले राजकुमार को भोजन के साथ जीरा और सरसों का सूप पिला देती है। इसके कुछ समय बाद राजकुमार ठीक होने लगा। फिर उसके बाद बिल में गर्म पानी और तेल डाल देती है, जिससे दूसरे सांप की भी मृत्यु हो जाती है। इसके बाद बिल में रखे सोने से भरे घड़े को बाहर निकालकर दोनों अपने शहर लौट जाते हैं। राजा देवशक्ति अपने बेटे और उसकी पत्नी का धूमधाम से स्वागत करता है।

कहानी से सीख : इस कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर कोई किसी का बुरा सोचता है, तो उसका भी बुरा होना तय है। सांप ने राजकुमार का बुरा सोचा, तो उल्टा उसका बुरा हुआ।

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