अपने तीसरे भाई की कहानी सुनाने के बाद, नाई ने अपने चौथे भाई की कहानी सुनाई। नाई का चौथा भाई था, अलकूज जिसकी एक आंख नहीं थी। उसकी एक आंख न होने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प थी। नाई ने बताया कि उसका भाई एक कसाई था। उसे भेड़-बकरियों को परखने की अच्छी जानकारी थी। इसके साथ वह भेड़ों को लड़ाया भी करता था। उसे भेड़ों-बकरियों की कई किस्मों के बारे में भी खूब जानकारी थी। नगर के कई बड़े लोग उसकी भेड़ों की लड़ाई देखने आते थे। अलकूज भेड़-बकरियों का मांस भी बेचता था। इस तरह वह नगर में काफी प्रसिद्ध था।
एक बार एक बूढ़ा आदमी अलकूज के पास आया और उससे चार से पांच किलो मांस लेकर चला गया और बदले में उसे चांदी के नए चमचमाते सिक्के दे गया। चांदी के चमकते सिक्के देखकर अलकूज खुश हो गया और उसने उन्हें अपने संदूक में अलग रख दिया। फिर पांच महीने तक रोज इसी तरह वह बुजुर्ग आदमी अलकूज के पास आता रहा और उसे मांस के बदले चांदी के सिक्के देता रहा।
ऐसे ही दिन बीतते जा रहे थे, लेकिन एक दिन जब अलकूज ने अपना संदूक खोल कर देखा, तो वह दंग रह गया। उसने देखा कि वो चांदी के सिक्के कागज के टुकड़ों में बदल चुके थे। अलकूज यह देख कर बहुत दुखी हुआ और रोने-चिल्लाने लगा। उसने रो-रोकर सारे नगर को इकठ्ठा कर लिया था। लोगों ने जब अलकूज की आवाज सुनी, तो सभी उसके पास जमा हो गए। अलकूज ने नगरवासियों को अपनी कहानी सुनाई।
अलकूज आखिर क्या करता बस रोता रहा और मन ही मन उस बुजुर्ग आदमी को कोसता रहा। उसके मन में आता रहा कि अगर वह बुजुर्ग आदमी उसे मिल जाए, तो वह उसकी अच्छे से खबर ले। अलकूज अपने गुस्से को मन ही मन बढ़ा रहा था कि तभी गली में उसे वही बूढ़ा आदमी दिखाई दिया। अलकूज ने तुरंत उसे पकड़ लिया और फिर जोर-जोर से चिल्लाकर आसपास के सभी लोगों को इक्कठा कर लिया। अलकूज ने सभी को उस लालची और धोखेबाज बूढ़े की हरकत के बारे में बता दिया।
मेरे भाई के इस तेवर और उसके द्वारा सुनाई गई कहानी के बीच वह धोखेबाज बूढ़ा कूद पड़ा और बोला, ‘अच्छा होगा कि तुमने जो मेरा अपमान किया है और मुझे जो बुरा-भला सुनाया है, उसके लिए तुम मुझसे माफी मांग लो। तुमने जो मुझपर यह झूठा आरोप लगाया है, उसे वापस ले लो और अगर तुमने ऐसा नहीं किया, तो मैं तुम्हारा ऐसा अपमान कराऊंगा कि तुम कभी नहीं भूलोगे।’ वह बुजुर्ग व्यक्ति इतना कहकर भी चुप नहीं हुआ। उसने गुस्साते हुए मेरे भाई को कहा कि ‘मैं नहीं चाहता कि तुम जो लोगों को भेड़ का मांस कह कर खिलाते हो, उसकी सच्चाई का लोगों को पता चले।’ तभी मेरा भाई क्रोधित होकर बोला, ‘यह क्या अजीब बकवास की बात कर रहे हो तुम। तुम्हें जो करना है करो, लेकिन मैं डरता नहीं हूं। मैंने कभी किसी का बुरा और कभी किसी के साथ धोखेबाजी नहीं की, तो मुझे कोई डर नहीं है।’
इतना सुनते ही बूढ़ा भड़क गया और मेरे भाई से कहने लगा, ‘तू अगर नहीं मान रहा, तो ले करा ले अपनी बेइज्जती। सुनो भाई लोग, यह कसाई आप सभी को भेड़-बकरी का नहीं, बल्कि अब तक इंसान का मांस बेचता आया है।’ इतना सुनते ही मेरा भाई अलकूज चिल्ला पड़ा और बोला, ‘अरे पापी, तू बुढ़ापे में भी झूठी बातें करने से बाज नहीं आ रहा। क्यों इस तरह की अफवाह फैला रहा है, क्यों इतना झूठ बोल रहा है?’
वह बूढ़ा अब भी बाज न आया और चिल्लाते हुए कहने लगा, ‘मैं क्यों झूठ बोलूंगा, मैं तो सच बोल रहा हूं। अभी भी तुम्हारे दुकान में एक बिना सिर वाली आदमी की लाश पड़ी है। अगर किसी को सच जानना है, तो वो वहां जाकर देख सकता है। भाईयों आप लोग इसकी दुकान में जाकर देखो और बताओ यह झूठ बोल रहा है या मैं।’ अलकूज ने भी बिना डरे, तिलमिलाते हुए कहा कि ‘जो मेरी दुकान में आना चाहता है आ जाए और मेरी दुकान के अंदर आकर देख ले।’
दोनों के इस कहा-सुनी के बाद सभी ने तय किया कि वे लोग उस बूढ़े के साथ मेरे भाई के दुकान पर जाएंगे। अगर बूढ़े की बात झूठ निकली, तो जितना रुपया उसपर बनता है उससे दोगुना उससे वसूल करेंगे। जब सभी दुकान के अंदर गए और उन्होंने जो देखा उससे उनकी आंखें खुली की खुली रह गईं। दुकान के अंदर सच में भेड़-बकरी के मीट के बजाय एक इंसान का मीट टंगा था।
असल में सच्चाई तो यह थी कि वह बूढ़ा एक जादूगर था, जो जादू से आंखों के सामने भ्रम पैदा करने में माहिर था। उसने यही भ्रम अलकूज के सामने भी पैदा किया। पांच महीनों तक उसे कागज के गोल टुकड़े देता रहा है, लेकिन मेरे भाई के आंखों के सामने वो टुकड़े चमकदार चांदी के सिक्के की तरह दिखते रहें। उसके बाद, उसने अब लोगों के आंखों के सामने भ्रम पैदा कर दिया। दुकान के अंदर मरे हुए भेड़ को मरा हुआ इंसान दिखा दिया। वह बूढ़ा जानता था कि मेरे भाई ने कुछ देर पहले ही एक भेड़ मारी है। उसने उसी को लोगों के सामने एक इंसान की तरह दिखा दिया। वहां मौजूद लोग नहीं जानते थे कि वह बूढ़ा एक जादूगर है और उसने न सिर्फ मेरे भाई के साथ, बल्कि सभी के साथ धोखा किया है।
लोगों ने जब दुकान में इंसान का मृत शरीर देखा, तो वो सभी आग बबूला हो उठे और मेरे भाई को सभी ने गुस्से में आकर जमकर मारा। लोगों ने उसपर इल्जाम लगाया, उसे नीच, पापी कहा। उसे इतना मारा गया कि उसकी एक आंख ही फूट गई। यही वजह थी कि मेरा भाई अलकूज एक आंख वाला था।
मेरे भाई को जब सभी लोग मार रहे थे, तो उसमें वह बूढ़ा भी शामिल हो गया था। उसने मेरे भाई को सिर्फ मार-पीट कर नहीं छोड़ा, बल्कि उसने इस बात को काजी तक पहुंचाया। वह बदमाश बूढ़ा लोगों के साथ और उस लाश के साथ काजी के यहां पहुंच गया। काजी के यहां जाते ही, उस बूढ़े ने एक बार फिर से अपने जादू का प्रयोग किया। उसके जादू के कारण ही अन्य लोगों की तरह ही काजी को भी वह भेड़ की लाश एक इंसान के मृत शरीर की तरह दिखाई दी। काजी भी इस बात से काफी नाराज हुआ और उसने मेरे भाई की एक न सुनी। मेरा भाई काजी से रहम की दुआ करता रहा, रो-रोकर दया दिखाने और उसकी बात पर यकीन करने के लिए कहता रहा, लेकिन काजी ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और उसे पांच सौ कोड़े मारने और ऊंट पर बिठा कर पूरे शहर में घूमाने के बाद उसे नगर से निकाल देने का आदेश दे दिया। काजी का कहा पूरा किया गया और अलकूज को नगर से बाहर निकाल दिया गया।
मेरा भाई जिस वक्त इस मुश्किल समय से गुजर रहा था, उस वक्त मैं बगदाद शहर में था। मेरा भाई नगर से निकाले जाने के बाद किसी अनजान जगह पर छिपा रहा। जब कुछ दिन बीत गए और उसके शरीर में चलने-फिरने की ताकत आई, तब वह वहां से निकला और सबकी नजरों से दूर छिपता हुआ एक ऐसे नगर में पहुंचा जहां उसे कोई नहीं पहचानता था। इसी तरह उसने भूखे-प्यासे कुछ दिन बिताए। कभी कुछ काम मिलता, तो कुछ खाने को भी नसीब हो जाता। जब कुछ न होता, तब वह भीख मांग कर अपना गुजारा करता था।
ऐसे ही वक्त बीत रहा था कि एक दिन जब वह सड़क से गुजर रहा था, तब उसे कुछ घोड़ों की टापों कि आवाज सुनाई दी। उसने मुड़कर देखा, तो पाया कि कुछ घुड़सवार उसका पीछा कर रहे थे। उसने सोचा कि शायद वो लोग उसे पकड़ने आ रहे हैं। मेरा भाई डरकर एक बड़े मकान में घुसने लगा। तभी मेरे भाई को दो लोगों ने पकड़ लिया और कहा कि ‘हम तीन दिन से यहां तुम्हारी ही खोज में थे। अच्छा हुआ तुम खुद हमारे हाथ लग गए।’
यह सुनकर मेरा भाई हैरान रह गया। उसने कहा, ‘ तुम लोग क्या कह रहे हो और तुम लोगों को मुझसे क्या चाहिए? मैं कुछ भी नहीं समझ पा रहा हूं। लगता है तुम लोगों को कोई धोखा हुआ है। आखिर तुम लोगों ने मुझे क्यों पकड़ा है?’
उन लोगों ने तेज आवाज में कहा, ‘हमें कोई धोखा नहीं हुआ। तुम वही चोर आदमी हो, जिसने हमारे मालिक का सारा धन लूटकर उसे कंगाल बना दिया और जब इससे भी तुम्हारा मन नहीं भरा, तो अब तुम उन्हें मारना चाहते हो। तुम हमारे मालिक की जान लेने के लिए ही यहां आए हो। तुम कल रात भी इसी वजह से यहां आए थे और जब तुम्हें पकड़ने के लिए हम सब तुम्हारे पीछे दौड़े, तो हमने तुम्हारे हाथ में चाकू भी देखा था। बता वो चाकू अभी भी तेरे पास है न?’ यह कहते ही दोनों ने मेरे भाई की तलाशी लेनी शुरू कर दी, लेकिन यह शायद मेरे भाई का ही दुर्भाग्य था कि उसके कपड़ों में वह चाकू मिल गया, जिससे वह जानवरों को काटता था।
उन दोनों ने मेरे भाई के पास चाकू देखकर कहा, ‘अब तो कोई शक ही नहीं रहा कि तू हमारे मालिक को मारने के लिए ही आया था।’ मेरा भाई रोते हुए बोला, ‘ये कैसा न्याय हुआ भाई कि अगर कोई चाकू रखे, तो वह हत्यारा या चोर हो जाता है? तुम लोग एक बार मेरी कहानी सुनो, मैं पहले से ही दुखों का मारा हुआ हूं। मेरी आप-बीती सुनोगे, तो तुम्हें विश्वास हो जाएगा कि मैं झूठा नहीं हूं।’ यह कहते हुए मेरे भाई अलकूज ने अपनी दुखभरी कहानी उन दोनों को सुनाई।
अलकूज की दुखभरी कहानी खत्म हुई, लेकिन उन लोगों पर अलकूज की दुखद दास्तां का भी कोई असर न हुआ और वो लोग उसे पीटने लगे। उन्होंने उसे बहुत मारा, उसके कपड़े फाड़ दिए और उसके शरीर पर पड़े चोट के निशानों को देखते हुए बोले, ‘तू पुराना पापी है और लगता है तूने बहुत अपराध किए हैं, इसलिए पहले भी मार खा चुका है।’ ऐसा कहते हुए उन दोनों ने मेरे भाई को बहुत मारा। मेरा भाई चिल्लाता रहा, रोता हुआ भगवान से अपने भाग्य को लेकर तोहमतें देता रहा और भगवान को कोसते हुए पूछने लगा, ‘आखिर मेरा क्या कसूर है, जो मुझे बिना अपराध के पहले भी सजा मिली और अब फिर बिना किसी अपराध के ये दंड मिल रहा है।’
मेरा भाई अलकूज रोता-बिलखता रहा, लेकिन उन लोगों पर इसका कुछ भी असर नहीं हुआ। उन लोगों का इससे भी मन नहीं भरा और वो अलकूज को खींच कर काजी के यहां ले गए। उन दोनों ने अलकूज की छुरी दिखाते हुए उसके चोर और अपराधी होने का दावा किया। अब मेरा भाई काजी को बड़े ही अरमान से देख रहा था और उनसे कहने लगा, ‘मालिक मेरी फरियाद भी सुनिए, आप मेरी बातों को सुनकर समझ पाएंगे कि मेरे साथ कितना अन्याय हुआ है और मैं कितना बड़ा अभागा हूं।’ इससे पहले कि काजी कुछ कहतें, उन दोनों आदमियों ने काजी को कहा कि वो अलकूज की झूठी कहानी न सुनें। अगर वो इसका सच और इसके बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं, तो इसके कपड़ों को हटाकर देंखे और इसके शरीर पर चोटों के निशान को देखें। यह पुराना अपराधी है, जिसे हमेशा सजा मिलती रही है।
काजी ने मेरे भाई को अनसुना करते हुए उन दोनों की बात को सुना और उसके कपड़े उतरवाकर देखे। अलकूज के पुराने घाव देख काजी को अंदाजा लग गया कि मेरा भाई सच में कोई चोर-बदमाश है। काजी ने आदेश दिया कि अलकूज को सौ कोड़े मारे जाएं और ऊंट पर बैठा कर पूरे नगर में इसे घुमाया जाए। साथ ही इसकी कहानी सभी को सुनाई जाए और फिर इसे शहर से बाहर कर दिया जाए।
अपने भाई की इतनी कहानी सुनने के बाद नाई ने आगे कहा कि ‘कुछ लोगों ने मुझे मेरे भाई की इस हालत के बारे में जानकारी दी। यह सुनते ही मैं वहां गया और अपने भाई को खोज कर उसे घर ले आया।’
नाई की यह कहानी सुनकर खलीफा को बहुत मजा आया और उसने नाई को इनाम देकर विदा करने को कहा, लेकिन नाई ने कहा, ‘मेरे मालिक, मेरे सरकार अभी तो मेरे दो भाईयों की कहानी भी बाकी है।’