बहुत समय पहले की बात है, एक नगर में घनश्याम नाम का व्यापारी रहता था। उसकी तीन बेटियां थीं, जिन्हें वो बहुत प्यार करता था। व्यापारी को अपनी सभी बेटियों की चिंता रहती थी, क्योंकि उसे व्यापार के लिए विदेश जाना पड़ता था। जब भी वह वापस आता था, तो अपनी बेटियों के लिए कोई न कोई उपहार जरूर लेकर आता था। तीनों में से सबसे छोटी बेटी का नाम ब्यूटी था, जो सुंदर होने के साथ ही समझदार भी थी। उसे हर कोई पसंद करता था।
एक बार घनश्याम को व्यापार के सिलसिले में समुद्र के पार जाना पड़ा। लौटते समय एक बहुत बड़े तूफान के कारण उसका सारा कमाया हुआ धन समुद्र में डूब गया। जैसे-तैसे वह अपनी जान बचाकर एक टापू पर पहुंचा, जहां उसे एक बड़ा-सा महल दिखा। वह महल के दरवाजे के पास पहुंचा। दरवाजा जादुई था, तो वह अपने आप खुल गया और व्यापारी महल के अंदर चला गया। महल अंदर से बहुत सुंदर था और उसके बीचों बीच एक बड़ी मेज पर बहुत सारा खाना रखा हुआ था।
व्यापारी को तेज भूख लगी थी, तो उसने मेज से एक सेब उठाकर खा लिया। तभी वहां एक बीस्ट यानी राक्षस के हंसने की आवाज आने लगी। व्यापारी आवाज सुनकर डर गया और छुपने लगा। तभी बीस्ट ने कहा कि डरो नहीं आप हमारे मेहमान हैं। आराम से खान खाकर आप जा सकते हैं। बीस्ट के व्यवहार से व्यापारी बहुत खुश हुआ और उसने पेट भरकर खाना खाया और उसे धन्यवाद कहकर जाने लगा।
महल से बाहर निकलते हुए व्यापारी की नजर एक गुलाब पर पड़ी। उसने गुलाब को उठाने की कोशिश की। यह देखकर बीस्ट को गुस्सा आया और वह व्यापारी पर चिल्लाने लगा। उसने कहा कि तुमने बहुत बड़ी गलती की है और इसकी सजा तुमको मिलेगी। अब तुम्हें जीवन भर यहां रहना पड़ेगा।
यह सुनकर व्यापारी डर गया और उसने कहा कि मुझे माफ कर दो। घर में तीन बेटियां मेरा इंतजार कर रही हैं। मेरे अलावा उनका कोई नहीं है। तब बीस्ट ने कहा कि यदि तुमको यहां नहीं रहना है, तो तुम्हारी जगह किसी और को यहां रहने के लिए भेज दो।
व्यापारी दुखी होकर अपने घर चला गया और उदास रहने लगा। उसकी उदासी देखकर तीनों बेटियों ने कारण पूछा। तब घनश्याम ने राक्षस के महल की पूरी बात बता दी। पिता की बात सुनकर ब्यूटी कहती है कि वो महल जाने के लिए तैयार है। घनश्याम ने उसे समझाना चाहा कि ऐसे ही किसी महल में जाकर रहना अच्छा नहीं होगा। उसका पूरा जीवन बर्बाद हो जाएगा। ब्यूटी ने पिता की बात बिल्कुल नहीं सुनी। मजबूर होकर घनश्याम ने बीस्ट के महल में अपनी सबसे छोटी बेटी को भेज दिया।
महल जाकर ब्यूटी ने सभी को अपने स्वभाव से दोस्त बना लिया। बीस्ट भी उससे खुश था। थोड़े समय बाद बीस्ट को ब्यूटी पसंद आने लगी थी और वो उससे शादी करने के सपने देखने लगा। यह सपना देखते ही वो हर बार यह सोचकर डर जाता था कि वह एक राक्षस है। उससे इतनी अच्छी लड़की कैसे प्यार कर सकती है।
एक दिन उस राक्षस ने ब्यूटी से पूछा कि क्या वो उससे शादी करेगी? ब्यूटी ने बिना डरे राक्षस को मना कर दिया। ब्यूटी के मुंह से ना सुनने के बाद बीस्ट दुखी होकर चला गया। राक्षस रोज ब्यूटी से शादी की बात करता और वह रोज मना कर देती। देखते ही देखते बीस्ट ने उसे अपने घर वापस जाने की इजाजत दे दी। ब्यूटी बहुत खुश हुई। फिर राक्षस ने ब्यूटी को एक अंगूठी देते हुए कहा कि अगर तुम्हें कभी भी वापस आने का मन करे, तो तुम इसे अपनी उंगली से उतार देना।
ब्यूटी घर पहुंची और अपने परिवार के साथ खुशी-खुशी रहने लगी। दो हफ्ते बाद उसे अचानक राक्षस की याद आई। उसने हाथ से अंगूठी उतारी और महल पहुंच गई। वहां जाकर उसे पता चला कि बीस्ट बीमार पड़ गया है। तब ब्यूटी ने उसका बहुत ख्याल रखा और वो कुछ दिन बाद ठीक हो गया।
ठीक होने के बाद राक्षस रोज ब्यूटी की सेवा करता था। उसका प्यार देखकर ब्यूटी को वह पसंद आने लगा। एक दिन जब दोबारा राक्षस ने उससे शादी के बारे में पूछा, तो ब्यूटी ने हां कर दी। तब बीस्ट ने पूछा कि क्या वो इतने बड़े और अजीब-से दिखने वाले राक्षस के साथ जिंदगी भर रह सकती है। उसने कहा कि हां वो उससे प्यार करने लगी है।
ब्यूटी ने जैसे ही ऐसा कहा, तो वह राक्षस अचानक राजकुमार बन गया। तब राक्षस ने उसे बताया कि वह बुरे श्राप के कारण राजकुमार से बीस्ट बन गया था। उसने कहा है कि यह श्राप केवल सच्चे प्यार से ही दूर हो सकता था, जो हो गया। इसके बाद ब्यूटी और राजकुमार ने शादी कर ली और दोनों खुशी-खुशी रहने लगे।
कहानी से सीख:
किसी की भी शक्ल देखकर उसे अच्छा या बुरा नहीं कहते। इंसान के चेहरे की जगह उसके गुण देखने चाहिए।