एक छोटा-सा बच्चा था। उसका नाम था सोना। वह बहुत नटखट था लेकिन वह बहुत बुद्धिमान और हाज़िरजवाब था। एक दिन, मोनू की मां ने उसे कुछ फल और सब्जियां लाने दुकान पर भेजा।
मोनू ने कुछ सब्जियां खरीदी और फिर वह एक फल बेचने वाले के पास गया। उसने आधा किलो नाशपतियां खरीदीं। लेकिन फल बेचने वाला बेईमान आदमी था।
उसने बेईमानी से केवल साढ़े तीन सौ ग्राम नाशपतियां ही तोल कर दीं। मोनू ने यह देखा तो बोला, “यह तो आधा किलो नाशपतियां नहीं हैं। यह कम दिखाई देती हैं।”
“नहीं, ये बिल्कुल ठीक है, और वैसे भी तुम्हें इन्हें घर ले जाने में आसानी होगी।” मोनू एक चतुर लड़का था। उसने तीन सौ पचास ग्राम वजन के पैसे दिए।
फल बेचने वाला कहने लगा, “मैंने तुम्हें आधा किलो नाशपतियां दी हैं। तुम मुझे कम पैसे दे रहे हो।” मोनू ने कहा, “नहीं, पैसे बिल्कुल ठीक हैं।
और इसके साथ ही इन्हें गिनने और अपनी जेब में डालने में भी तो तुम्हें आसानी होगी।” फल बेचने वाला यह सुन कर बहुत शर्मिंदा हुआ।
शिक्षा: जैसे को तैसा।