पर्शिया में अलीबाबा और कासिम नामक दो भाई रहते थे। कासिम एक धनवान सौदागर था पर अलीबाबा एक गरीब लकड़हारा था।
एक दिन अलीबाबा जंगल में लकड़ी काटने गया हुआ था। वहाँ उसने चालीस लुटेरों को घोड़े पर सवार आते देखा। एक गुफा के सामने उनका नेता घोड़े से उतरा और बोला,
“खुल जा सिमसिम!” गुफा का दरवाजा खुल गया और लुटेरे भीतर चले गए। थोड़ी देर बाद वे बाहर आए। उनके नेता ने फिर कहा,
“बंद हो जा सिम सिम!” और गुफा का दरवाजा बंद हो गया। उनके जाने के बाद अलीबाबा उसी तरह बोलकर गुफा में चला गया।
वहाँ उसने ढेर सारे सोने, जवाहरात, अशर्पिफयाँ और तरह तरह की बहुमूल्य वस्तुएँ देखीं। जितना भर सकता था अपने थैले में भरकर, गधे की पीठ पर लादा और घर आ गया।
अलीबाबा ने अपने भाई कासिम को जाकर सारी बातें बताईं। कासिम उन जादुई शब्दों को याद करता हुआ गुफा के पास जाकर बोला, “खुल जा सिमसिम!” गुफा का दरवाजा खुला, कासिम भीतर गया और दरवाजा बंद हो गया।
अपार संपत्ति देखकर वह अपने सुध-बुध खो बैठा। थैले भरे पर जादुई शब्द वह भूल गया। वह वहीं बंद रहा और लुटेरों के आने पर वह मारा गया।
Moral of Story
शिक्षा : सोच समझ कर कार्य करना चाहिए।