एक घना जंगल था। जिसमें छोटे बड़े सभी तरह के जानवर रहते थे। जंगल के बीचोबीच एक बड़ा तालाब था। जिसपर सारे जानवर पानी पीने आते थे। सबका पानी पीने का समय तय था।
प्रायः सुबह-सुबह छोटे जानवर पानी पीने आते थे। जबकि शाम के समय हाथी, भालू, आदि बड़े जानवर पानी पीने आते थे। दोपहर के समय जंगल का राजा शेर पानी पीने के लिए आता था। उस समय प्रायः कोई अन्य जानवर नहीं आता था।
एक दिन शेर दोपहर में पानी पीने आया। उसी समय एक नौजवान तगड़ा भालू भी पानी पीने आ पहुंचा। नौजवानी के जोश में भालू किसी को कुछ नहीं समझता था। दोनों पहले पानी पीने के लिए बहस करने लगे।
शेर बोला, “मैं सबसे ताकतवर हूँ। इसलिए सबसे पहले मैं ही पानी पिऊंगा।” लेकिन भालू बोला, “मैं तुमसे कम ताकतवर नहीं हूँ। फिर तुम तो केवल जमीन पर ही शिकार कर सकते हो। जबकि मैं तो पेड़ पर भी चढ़कर शिकार कर सकता हूँ। इसलिए पहले पानी मैं पिऊंगा।”
जब बातों से दोनों का फैसला न हो सका। तब वे लड़ने पर उतारू हो गए। दोनों ने घात लगाकर एक दूसरे पर वार करने शुरू कर दिए। तभी शेर की नजर ऊपर की ओर गयी। उसने देखा कि आकाश में चीलों के झुंड मंडरा रहे हैं।
उसने सोचा कि ये हमारे युद्ध के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। जिससे ये हमारे मांस से अपना पेट भर सकें। उसने भालू से कहा, “हम दोनों कितने मूर्ख हैं। जो एक छोटी सी बात पर आपस में लड़ रहे हैं।”
“हमारी लड़ाई का फायदा उठाने के लिए आसमान में चीलों का झुंड तैयार है। इसलिए मेरी सलाह यह है कि हमें यह लड़ाई छोड़ देनी चाहिए और एक साथ पानी पी लेना चाहिए। भालू को भी यह बात समझ में आ गयी और उन्होंने लड़ना बंद कर दिया।
सीख- Moral
लेकिन हम इंसान यह साधारण सी बात नहीं सीख पाते। हम छोटी-छोटी बातों पर आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। जिसका फायदा दूसरे लोग उठाते हैं। इसलिए किसी बात पर लड़ने से पहले हमें ठंडे दिमाग से उस पर बातचीत कर सुलझाने का प्रयास करना चाहिए।