सन् 1952 में इज़राइल के प्रथम राष्ट्रपति कैम वीजमान का निधन हो गया तो इज़राइल का राष्ट्रपति पद स्वीकारने के लिए महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन से प्रार्थना की गई। आइंस्टीन ने विनम्रता से उस प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया और इज़राइली राजदूत अब्बा एवान को एक पत्र लिखा।
वो पत्र कुछ इस तरह था, ‘मुझे प्रकृति के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान है, पर मनुष्य के बारे में लगभग कुछ भी नहीं मालूम। हमारे राष्ट्र इज़राइल के इस निमंत्रण ने मेरे ह्दय को गहरा छुआ है और मुझे एक साथ उदास और लज्जित कर दिया है, क्योंकि मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता।’
आइंस्टीन ने आगे लिखा कि, ‘ जीवन भर मेरा पाला भौतिक पदार्थों से पड़ा है। मुझमें मनुष्यों से समुचित व्यवहार करने और सरकारी कामों को निभाने की न स्वाभाविक क्षमता है, न ही अनुभव। अगर बढ़ती उम्र मेरी शक्ति को सोखने न लगी होती, तो भी में सिर्फ ये कारण ही मुझे इस उच्च पद के लिए अनुपयुक्त ठहराने के लिए काफी है।’
In English
In 1952, after the death of the first President of Israel, Cam Vijamman, a great scientist, Albert Einstein, was asked to accept Israel’s presidency. Einstein politely rejected that proposal and wrote a letter to Israeli Ambassador Abba Evan.
The letter was like this, ‘I have a little knowledge about nature, but almost nothing is known about man. This invitation of our nation Israel has touched my heart deeply and has made me sad and ashamed, because I can not accept it. ‘
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Einstein further wrote that, ‘My entire life has been plagued by physical substances. I have no natural ability to behave properly with human beings and to do government work, nor experience. If the growing age had not begun to absorb my power, then only this reason is enough to make me inappropriate for this high post. ‘