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आओ साथ चलें

शांता के घर में पूरी बुजुर्गों की टोली बैठी थी और शांता बड़ी खुशी- खुशी उन्हें बड़े प्रेम के साथ चाय-नाश्ता करा रही थी ।यह सारे लोग साथ में मॉर्निंग वॉक करते ,योगा करते तथा साथ में हंसते- बोलते और छोटी मोटी पार्टियाँ कर मस्ती करते रहते थे। एक समय ऐसा था जब शांता और उसके पति इस बुजुर्ग टोली का मजाक उड़ाया करते थे तथा उन पर तंज कसते,” घर में इन लोगों को कोई काम नहीं है। बस इस बुढ़ापे में मस्ती करते रहते हैं।”
शांता की पड़ोसन कई बार उससे साथ चलने को बोलती ,पर वह साफ मना कर देती थी। ऐसे ही एक दिन पड़ोसन के घर सारे बुजुर्गों की टोली का जमघट लगा हुआ था। उनके शोरगुल से चिढ़ते हुए दोनों पति- पत्नी घर की साफ- सफाई में लगे हुए थे तथा घर को सजा रहे थे ।बेटा-बहू ऑफिस और पोता- पोती स्कूल गए हुए थे। शांता के पति जैसे ही स्टूल पर चढ़कर अलमीरा के ऊपर से कुछ उठाना चाहा, उनके पाँव लड़खड़ा गए और वे गिर पड़े। उनके पाँव की हड्डी टूट गई थी और दर्द के कारण वे बार-बार बेहोश हो जा रहे थे। शांता घबरा गई ।उसने अपने पड़ोसन का दरवाजा खटखटाया। फिर क्या था… सारे बुजुर्ग उसके घर के अंदर थे। फिर उसे तो पता ही नहीं चला कैसे उसके पति हॉस्पिटल गए, कैसे उनके पाँव में प्लास्टर लगा। जब उसके बेटा- बहू ऑफिस से छुट्टी लेकर घर आए, वह अपने पति के साथ घर पर थी।यह देखकर बेटा- बहू ने सारे बुजुर्ग टोली को धन्यवाद दिया।
” मिसेज शर्मा का कल जन्मदिन है। उनके दोनों बच्चे विदेश में है ।ऐसा करते हैं केक और कुछ खाने- पीने का सामान लेकर उनके घर चलते हैं ।उन्हें खुशी होगी।”…शांता की पड़ोसन बोल रही थी।
अभी कोई इस पर कुछ कहता या अपनी सहमति देता ,उससे पहले ही शांता बोल उठी,” मैं भी साथ चलूँगी।”

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