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“आपसी तालमेल…..

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सुधा जी अपने कमरे में बड़बड़ाती हुए घुसी….
सब अपने मन की करते रहते है….मेरी तो कोई सुनता ही नहीं है….
पत्नी का चेहरा गुस्से से तमतमाए देखते हुए मोहनबाबू ने पूछा….क्या हो गया सुधा….किस पर बड़बड़ा रही हो…
हूं….. पूछ तो ऐसे रहे हो जैसे कुछ जानते ही नहीं…..
वही तुम्हारी लाडली बहू…..आज उसका मन हो गया कि एयर कंडीशन खरीदना है तो शाम तक देखना खरीद कर ही मानेगी….
मैंने उससे कहा कि पंखे है कूलर है ….इनमें भी तो ठंडी हवा तो आती है…. मगर कोई मेरी सुनता ही नही…
सुमित तो उसका गुलाम हो गया है तुम देखना दिला ही देगा….जोरु का गुलाम जो ठहरा…..
मोहनबाबू समझ गए कि रिश्तो की आपसी खींचतान का असर केवल सास बहू पर ही नही बल्कि पूरे घर होगा… उन्होंने अपनी पत्नी सुधाजी से कहा….सुधा…बैठो मेरे पास….तुमसे कुछ बात करनी है….
सुधा जी बडबडाते हुए पलंग पर मोहनबाबू के समीप बैठ गई….तब मोहनबाबू ने कहना शुरू किया…
सुधा ….याद है तुमको कि गर्मी के दिनों में जब हमारी नई नई शादी हुई थी तब हम दिन का समय कैसे व्यतीत किया करते थे….
अरे याद क्यो नहीं ….मुझे सब अच्छे से याद है उस जमाने में कूलर वगैरह तो आते नहीं थे तब तुम खस की पट्टियां बाजार से लेकर आते थे और उन्हें गीला कर के पंखे के सामने बाँध देते थे, ताकि मुझे गर्मी ना लगे…
तुम कितना ख्याल रखते थे मेरा उस समय… जबकि मां जी पीछे से चिल्ला….ती……
ऐसा कहते कहते अचानक सुधा जी की नजर मोहनबाबू पर जा टिकी और वह सब समझ गई कि मोहनबाबू उन्हें क्या समझाना चाहते है….
मोहनबाबू ने प्यार से सुधाजी का हाथ अपने हाथों में लेकर कहा….देखो सुधा….वह सिर्फ तुम्हारी बहू ही नही सुमित की पत्नी भी है जो अपेक्षाएं तुम्हारी मुझसे थी… वही अपेक्षाएं बहू की सुमित से भी होंगी…
और यही जमाने का दस्तूर भी है अगर पत्नी अपने पति से नहीं तो और किस से अपेक्षा रखेगी कि कोई उसके दुख दर्द को समझे और उस की सुविधाओं का ध्यान रखें… हमारे जमाने में तो कूलर भी नहीं थे तो एयर कंडीशनर की कहां से सोचते, आज जब चीजें उपलब्ध है और हमारा सामर्थ्य हैं तो क्यों ना सुविधाओं का लाभ उठाएं…और सुधा हमारे दोनों बच्चे बहुत अच्छे है वे हम दोनों के बारे में अच्छा ही सोचते है फिर क्यो हम गलत धारणा बना कर आपसी विश्वास को कमजोर करे..
मैं अपने बेटे और बहू दोनों को अच्छी तरह जानता हूं… तुम देखना पहला एयर कंडीशनर वह हमारे कमरे में लगाएंगे तब उनके खुद के कमरे के बारे में सोचेंगे…यह सत्ता परिवर्तन है सुधा….तुम बहू और बेटे के हाथ में जिम्मेदारी सौंप दो और चैन से रहो…जैसे एक वक्त मां ने तुमपर भरोसा करते हुए सबकुछ तुम्हारे जिम्मेदारी पर छोड दिया था ….हां …देखना वक्त वक्त पर वो मार्गदर्शन के लिए हमारी राय सलाह जरूर लेगे …..तुम बहु को बहु नही बस बेटी जैसा फील कराओ ….उसे बेटियों जैसा प्यार करो उसकी बातों को समझने की कोशिश करो …यकीन मानो वो तुम्हें कभी मां से कम मान सम्मान देने से नही हिचकिचाएगी …..
तभी बाहर से आवाज आई …..मम्मी ….पापा …..
देखिए तो आ गया एयरकंडीशनर …..
मोहनबाबू और सुधाजी बहु की आवाज से चौके …..
एक इलेक्टिशियन साथ था दो दो एयरकंडीशनर लेकर आए थे बेटा बहु …..
मां ….दो लाए हैं …एक आपके पापाजी के कमरे के लिए दूसरा हमारे कमरे के लिए …..
आखिर गर्मी मे हमसबको साथ मे चिल जो करना है …कहकर बहु मुस्कुरा दी ….मोहनबाबू की ओर देखकर सुधाजी भी मुस्कुरा दी और बहु के सिरपर हाथ रखते हुए माथे को चूमते हुए बोली ….जुग जुग जियो मेरे बच्चों ….