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अक्षौहिणी सेना

महाभारत एवं भगवद्गीता में अंक 18 की विशिष्टता

  1. हम सभी जानते हैं कि विश्व के विशालतम ग्रंथ महाकाव्य महाभारत में 18 पर्व हैं – आदि पर्व , सभा पर्व , वन पर्व , विराट पर्व , उद्योग पर्व , भीष्म पर्व , द्रोण पर्व , कर्ण पर्व , शल्व पर्व सौप्तिक पर्व , स्त्री पर्व , शान्ति पर्व , अनुशासन पर्व , आश्वमेधिक पर्व , आश्रमवासिक पर्व , मौसल पर्व , महाप्रास्थानिक पर्व एवं स्वर्गारोहण पर्व।
  2. महाभारत युद्ध 18 दिनों तक चला।
  3. महाभारत युद्ध में भाग लेने वाली कुल सेना अठारह अक्षौहिणी थी – धृतराष्ट्र पक्ष की 11 तथा पांडू पक्ष की 7 अक्षौहिणी सेना।
  4. एक अक्षौहिणी सेना में 21870 रथ 21870 हाथी 65610 घोड़े और 109350 पैदल सैनिक होते थे।
    अलग-अलग इन अंको को जोड़ने पर योग 18 ही होता है। जैसे 2+1+8+7+0 = 18
    6+5+6+1+0 = 18
    1+0+9+3+5+0 = 18
  5. महाभारत युद्ध में भाग लेने वाले दोनों पक्षों के कुल 18 सेनापति थे। कौरव पक्ष से 11 अक्षौहिणी सेना के 11 सेनानायक थे – कृपाचार्य , द्रोणाचार्य , कर्ण, शल्य , जयद्रथ , अश्वत्थामा , भूरिश्रवा , शकुनि , सुदक्षिण , कृतवर्मा एवं बाह्लिक। (धृतराष्ट्र पक्ष के सेनाध्यक्ष थे – भीष्म पितामह।)
    पांडव पक्ष की 7 अक्षौहिणी सेना के सेनापति के नाम –
    राजा द्रुपद , विराट , सात्यकि , धृष्टद्युम्न , धृष्टकेतु , शिखंडी एवं मगधराज सहदेव। (धृष्टद्युम्न सेनाध्यक्ष भी थे। सेनाध्यक्ष के भी अध्य्ष अर्जुन बनाए गए थे। अर्जुन के भी नेता भगवान श्री कृष्ण थे।)
  6. महाभारत की भांति भगवद्गीता में भी 18 अध्याय हैं। उनके नाम – अर्जुनविषाद योग , सांख्य योग , कर्मयोग , ज्ञानकर्मसंन्यास योग , कर्मसंन्यास योग ,आत्मसंयम योग , ज्ञानविज्ञान योग , अक्षरब्रह्म योग , राजविद्या राजगुह्य योग , विभूति योग , विश्वरूपदर्शन योग , भक्ति योग , क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभाग योग , गुणत्रयविभाग योग , पुरुषोत्तम योग , दैवासुरसंपत्तिविभाग योग , श्रद्धात्रयविभाग योग तथा मोक्षसंन्यास योग।
    7.भगवद्गीता में प्रथम अध्याय के 15 वें श्लोक से 18 वें श्लोक के अंतर्गत पांडव – पक्ष के 18 शूर-वीरो द्वारा शंखनाद किए जाने का उल्लेख है – भगवान श्री कृष्ण , अर्जुन , भीम , युधिष्ठिर , नकुल , सहदेव , काशीराज , शिखंडी , धृष्टद्युम्न , विराट , सात्यकि , द्रुपद , द्रौपदी के पांच पुत्र (प्रतिविन्ध्य , सुतसोम , श्रुतकर्मा , शतानीक एवं श्रुतसेन) तथा अभिमन्यु।
  7. भगवद्गीता में प्रथम अध्याय के अंतर्गत अर्जुन का प्रश्न एवं विषाद 18 श्लोकों में समाहित है। (श्लोक संख्या 29 से श्लोक संख्या 46 तक।)
  8. भगवद्गीता का 18वां अध्याय सबसे बड़ा है। इसमें सर्वाधिक श्लोक हैं। इसमें श्लोकों की कुल संख्या 78 है।
  9. भगवद्गीता में प्रथम अध्याय के अंतर्गत संजय ने दूसरे श्लोक से ही धृतराष्ट्र को कहना शुरू किया है। लेकिन धृतराष्ट्र को पहला संबोधन सञ्जय ने 18 वें श्लोक में ही किया है। सञ्जय ने धृतराष्ट्र को ” पृथ्वीपति ” कहकर संबोधित किया है।
    ।। महर्षि वेदव्यास की जय ।। ।। भगवान श्री कृष्ण की जय ।

अक्षौहिणी सेना क्या होती है?

एक अक्षौहिणी सेना में समस्त जीवधारियों- हाथियों, घोड़ों और मनुष्यों-की कुल संख्या ६,३४,२४३ होती है। अठारह अक्षौहिणीयों के लिए यही संख्या ११,४१६,३७४ हो जाती है अर्थात् ३,९३,६६० हाथी, २७,५५,६२० घोड़े, ८२,६७,०९४ मनुष्य।

एक अक्षौहिणी सेना कितनी होती है?

इनमें करीब 70 लाख कौरव पक्ष से तो 44 लाख लोग पांडव सेना के सैनिक व योद्धा थे. महायुद्ध में दोनों पक्षों से कुल 18 अक्षौहिणी सेनाएं लड़ी थीं. जिनमें 11 कौरवों के पास और 7 पांडवों के पास थी. महाभारत के अनुसार एक अक्षौहिणी में 21,870 रथ, 21,870 हाथी, 65,610 घुड़सवार एवं 1,09,350 पैदल सैनिक होते थे.

अक्षौहिणी का अर्थ क्या है?

अक्षौहिणी प्राचीन भारत में सेना का माप हुआ करता था। ये संस्कृत का शब्द है। विभिन्न स्रोतों से इसकी संख्या में कुछ कुछ अंतर मिलते हैं। महाभारत के अनुसार इसमें २१,८७० रथ, २१,८७० हाथी, ६५, ६१० घुड़सवार एवं १,०९,३५० पैदल सैनिक होते थे।

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