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अपना हुनर कभी नहीं भूलें !!

एक बार एक राजा था। उसके राज्य में सभी अच्छे से चल रहा था। उस राजा ने अपने सैनिकों को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत की थी। तलवारबाजी, खेलकूद और शासन कला ये गुण तो सभी राजाओं में होते ही है लेकिन इस राजा को इसके अलावा एक और भी शौक था। वह था कालीन बुनना।

ये गुण हर किसी राजाओं में नहीं मिलता। राजा के इस काम को बहुत पसंद किया जाता था। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा जाता था कि ये काम एक राजा के लायक का नहीं होता।

एक बार की बात है जब वह राजा अपने सैनिकों के साथ जंगल में शिकार के लिए गया। वहां पर अचानक वह अपने सैनिकों से बिछड़ गया। राजा को अकेला देख वहां के डाकुओं ने उस पर हमला बोल दिया और उसे बंदी बना दिया। राजा के पास से कुछ नहीं मिलने के कारण डाकुओं ने राजा को मारने का निर्णय किया।

इस पर राजा को एक युक्ति सूझी “राजा ने डाकुओं से कहा कि यदि तुम मुझे कालीन बुनने का सामान ला दो तो मैं तुम्हे इस राज्य के राजा से सौ सोने के सिक्के दिलवाऊंगा।”

इस पर डाकू मान गये। राजा को कालीन बुनने का सामान दिया गया। राजा ने कालीन बुनना शुरू किया। जब ये कालीन पूरा बुन दिया तो इसे राजभवन में भेजा गया।

वहां पर रानी इस कालीन को देखकर राजा के काम को पहचान गई और उसमें लिखे राजा के सन्देश को पढ़ लिया। राजभवन में आये डाकुओं को पकड़ लिया गया और राजा को जंगल से छुड़वाया गया।

राजा के अपने हाथों के इस हुनर ने राजा की जान बचा ली।

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