एक समय की बात है. एक राज्य में राजा राज करता था. उसकी केवल एक आँख थी और एक पैर था. इन कमजोरियों की बाद भी वह एक कुशल, दयालु और बुद्धिमान शासक था. उसके शासन में प्रजा बहुत ख़ुशहाल जीवन व्यतीत कर रही थी.
एक दिन राजा अपने महल के गलियारे से टहल रहा था. सहसा उसकी दृष्टि गलियारे की दीवार पर लगे चित्रों पर पड़ी. वे चित्र उसके पूर्वज के थे. उन चित्रों को देख राजा के मन में विचार आया कि भविष्य में जब उसके उत्तराधिकारी महल के उस गलियारे से टहलेंगे, तो उन चित्रों को देख अपने पूर्वजों का स्मरण करेंगे.
राजा का चित्र अब तक उस दीवार पर नहीं लगा था. अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण वह नहीं जानता था कि उसका चित्र कैसा दिखेगा? लेकिन उस दिन उसने सोचा कि उसे भी अपना चित्र उस दीवार पर लगवाना चाहिए.
अगले दिन उसने अपने राज्य के श्रेष्ठ चित्रकारों को दरबार में आमंत्रित किया. दरबार में उसने घोषणा की कि वह महल में लगवाने के लिए अपना सुंदर चित्र बनवाना चाहता है. जो उसका सुंदर चित्र बना सकता है, वह चित्रकार आगे आये. चित्र जैसा बनेगा, वैसा ही उस चित्रकार को ईनाम दिया जायेगा.
दरबार में उपस्थित चित्रकार अपनी कला में निपुण थे. लेकिन राजा की घोषणा सुनने के बाद वे सोचने लगे कि राजा तो काना और लंगड़ा है. ऐसे में उसका सुंदर चित्र कैसे बन पायेगा? चित्र सुंदर नहीं दिखा, तो हो सकता है राजा क्रोधित होकर उन्हें सजा दे दे. यह विचार किसी को आगे आने का साहस न दे सका. सब कोई न कोई बहाना बनाकर वहाँ से चले गए.
वहाँ मात्र एक युवा चित्रकार खड़ा रहा. राजा ने उससे पूछा, “क्या तुम मेरा चित्र बनाने को तैयार हो?”
युवा चित्रकार ने हामी भर दी. राजा ने उसे अपना चित्र बनाने की आज्ञा दे दी. अगले ही दिन से वह चित्रकार राजा का चित्र बनाने में जुट गया.
कुछ दिनों बाद चित्र बनकर तैयार था. जब चित्र के अनावरण का दिन आया, तो दरबार में दरबारी सहित वे सभी चित्रकार भी उपस्थित हुए, जिन्होंने राजा का चित्र बनाने से इंकार कर दिया था. सभी उत्सुकता से चित्र के अनावरण की प्रतीक्षा कर रहे थे.
जब चित्र का अनावरण हुआ, तो राजा सहित सबके मुँह खुले के खुले रह गए. चित्र बहुत ही सुंदर बना था. उस चित्र में राजा दोनों तरफ पैर कर घोड़े पर बैठा हुआ था, जिसे एक ओर से चित्रित किया था और उसमें राजा का एक ही पैर नज़र आ रहा था. साथ ही राजा धनुष चढ़ाकर एक आँख बंद कर निशाना साध रहा था, जिससे उसके काने होने की कमजोरी छुप गई थी.
यह चित्र देख राजा बहुत प्रसन्न हुआ. चित्रकार ने अपनी बुद्धिमत्ता से उसकी अक्षमताओं को छुपाकर एक बहुत सुंदर चित्र बनाया था. राजा ने उसे पुरुस्कृत करने के साथ उसे अपने दरबार का मुख्य चित्रकार बना दिया.
सीख (Moral of the story)
जीवन में आगे बढ़ना है, तो हमें सदा सकारात्मक सोच रखना चाहिए. विषम परिस्थितियों में भी सकारात्मक दिशा में सोचने से किसी भी समस्या का समाधान आसानी से हो जाता है.