सूफी फकीर फरीद से एक बार उनके गांव के व्यक्ति ने कहा कि गांव में मदरसे की जरूरत है। बादशाह तुम्हारी बात मानते हैं, इसलिए तुम उनसे कहो।
फरीद ने कहा कि, ठीक में चला जाउंगा। फरीद सुबह के वक्त गए। उनके लिए कोई रोक-टोक नहीं थी। उन्हें सीधे महल में ले जाया गया। उस समय बादशाह खुदा को याद कर रहा था। और दोनों हाथ उठाकर याचक की तरह परमात्मा से कुछ मांग रहा था।
फरीद तत्काल लौट पड़े। बादशाह की इबादत पूरी हो चुकी थी। किसी ने लौटने पर बादशाह ने पूछा कौन आया था। उत्तर मिला फरीद आकर चले गए हैं। बादशाह ने सोचा आज फरीद खुद चलकर आए हैं तो जरूर कोई खास बात होगी।
वह फरीद के करीब जाकर बोला, मुझसे कुछ भूल हुई है क्या? फरीद ने कहा कि न भूल तुमसे हुए न मुझस। दरअसल मैं तुमसे गांव के लिए एक स्कूल मांगने आया था। लेकिन देखा कि तुम खुद खुदा से भीख मांग रहे हो तो सोचा कि जिससे तुम खुद मांग रहे हो उसी से मैं भी मांग लूंगा।
अब तक मैनें समझा कि तुम एक सम्राट हो, लेकिन मेरा वह भ्रम आज टूट गया। दरअसल, जब तक मांग है, तब तक कोई सम्राट नहीं। जब तुम खुद मांगने वाले हो तो दोगे कैसे ?
अगर दोगे भी तो वह सौदा होगा, कुछ पाने के लिए तुम्हारे दान में कुछ पाने की आकांक्षा होगी। इसलिए चाह से भरा हुआ आदमी भिखारी होता है।
In English
Once from Sufi Fakir Farid, the person of his village said that there is a need for a madrasa in the village. The king regards you, so you tell them.
Fareed said, I will go in right. Fareed went in the morning. There was no blockage for them. They were taken directly to the castle. At that time the king was remembering God. And lifting both hands was demanding something like God, like a yacht.
Farid returned immediately. The emperor’s adoration had been completed. When someone returned, the king asked who came. Answer: Fareed has come and gone. The Emperor thought that Farid himself has come and gone, surely it would be a special thing.
He approached Farid and said, what have you forgotten me? Fareed said that neither did you forget nor did you get me Actually, I came to ask you for a school for the village. But if you see that you are begging yourself with God, then you will demand that from whom you are asking for yourself.
By now I have understood that you are an emperor but my illusion of that broke today. Actually, there is no emperor as long as there is a demand. If you are going to ask yourself, how will you do?
If you do, it will be a deal, you will have the desire to get something in your donation to get something. Therefore a man full of desire is beggars.