एक जंगल में एक बारहसिंगा रहता था। उसे अपने खूबसूरत सींगों पर बहुत घमंड था। जब भी वह पानी पीते हुए नदी में अपनी परछाई देखता तो सोचता, ‘मेरे सींग कितने सुंदर हैं, पर मेरी टांगें कितनी पतली और भद्दी हैं।’।
एक दिन उस जंगल में कुछ शिकारी आए। उन्होंने जब सुंदर सींगों वाले बारहसिंघा को देखा तो वे उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़े। बारहसिंगा बहुत तेजी से दौड़ता हुआ शिकारियों से काफी दूर निकल गया।
तभी अचानक उसके सींग एक पेड़ की शाखा में अटक गए। बारहसिंगा अपने सींग छुड़ाने की भरसक कोशिश कर रहा था, पर सींग थे कि निकल ही नहीं रहे थे। उधर शिकारी लगातार पास आते जा रहे थे।
बड़ी मुश्किल से उसने सींग छुड़ाए और वहाँ से जान बचाकर भागा। सुरक्षित स्थान पर पहुँचकर वह सोचने लगा, ‘मैं भी कितना बड़ा मूर्ख हूँ। जिन सींगों की सुंदरता पर मैं इतना घमंड करता था,
आज उनकी वजह से मैं भारी संकट में फँस गया था और जिन टांगों को मैं बदसूरत कहकर कोसा करता था उन्हीं टांगों ने आज मेरी जान बचाई है।
Moral of Story
शिक्षा: सूरत नहीं सीरत देखनी चाहिए।