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बाज और मुर्गी

एक बरगद के पेड़ के ऊपर एक बाज का घोंसला था। घोसले में उसका अंडा रखा था। वही उस पेड़ के नीचे एक मुर्गी का घोसला था। एक दिन अचानक तेज़ हवा चलने लगी। तेज हवा चलने की वजह से ऊपर के घोसले में रखा हुआ बाज का अंडा नीचे गिर गया और वह सीधे मुर्गी के अंडे के साथ मिल गया। मुर्गी उसे अपना ही अंडा मानकर उसका ध्यान रहती थी। समय आने पर वह अंडा फूट गया जिसमें से एक बाज का बच्चा निकला। लेकिन मुर्गी उसे अपना ही बच्चा मानने लगी। वह बच्चा समय के साथ-साथ मुर्गी के तौर-तरीकों के अनुसार बड़ा हुआ। बाज का बच्चा खुद को एक मुर्गी मानता था. वह मुर्गियों के जितना ही ऊंचा उड़ता और उनके जैसे ही चला करता। एक दिन उसने ऊपर देखा कि धन्य पंछी आसमान की ऊंचाइयों तक उठ रहे थे। तब उसने अपनी मां से पूछा कि वह पंछी कौन है जो इतना ऊंचा हो रहा है?

तब उसकी मां मुर्गी ने जवाब दिया, “वह बाज है।”

“तो फिर हम इतनी ऊंचाई तक क्यों नहीं उड़ पाते?” बाज ने मुर्गी से फिर पूछा।

माँ ने जवाब दिया, “क्योंकि हम मुर्गी है।”

इस कहानी से हमें यह पता चलता है कि हमें अपने विचारों और सोच को बड़ा करते हुए काम को करना है। तभी हम ज्यादा ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं। अगर वह बाज का बच्चा खुद को हौसला देखकर ऊंचा उड़ने की कोशिश करता तो वह एक दिन जरूर ऊंचाइयों तक उड़ पाता। इसीलिए हमें भी अपनी सोच को ऊंचा रखते हुए काम करते जाना है। एक ना एक दिन सफलता हमें जरूर मिलेगी।

कभी किसी पंछी को देखा है,,,?

जब उसे अंडे देने होते है तो वो सर्वप्रथम एक स्थान खोजता है,,,,

एक स्थान जो वर्षा, धूप, शत्रुओं से सुरक्षित हो फिर वो अपना घोंसला बनाता है ,,,,फिर अंडे देता है ,,,,और फिर जब उन अण्डों से नन्हीं संतानें निकल आती है,,, तो उन्हें भोजन देता है, उनकी सुरक्षा करता है परन्तु जब उनके पंख निकल आये तो ना उन्हें भोजन देती है ना ही उन्हें घोंसला बनाना सिखाती है,,,,

केवल एक ही कला सिखाती है,,,,”उड़ने की”

बस फिर वो नन्हीं संतानें उड़ने की कला सीख कर अपना भोजन लाना सीख जाते है स्वयं घोंसला बनाना सीख जाते है और हम मनुष्य क्या करते है,,,,?

संतान के बड़े होने के पश्चात भी उनकी चिंता में सूखते है,,,, प्रयास करते है कि उनके लिए घर बना सके,,,, संतान को और भी शक्तिशाली बनाने के स्थान पर हम उन्हें पंगु कर जाते है,,,,

जीवन में वही कीजिये जो एक पंछी करता है अपनी संतान को उड़ने की कला सिखाइये,,,, संस्कार दीजिये और एक समय के पश्चात उसे स्वयं अपना आकाश चुनने को मुक्त कर दीजिये,,,,

राधे राधे जी सुप्रभात,आप सभीका हरपल मंगलमयी हो🙏🌹

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