हरियाणा में रामकृष्ण यादव के नाम से पैदा हुए रामदेव को बाबा रामदेव के नाम से जाना जाता है। उन्हें एक ऐसा आध्यात्मिक नेता समझा जाता है जिसने योग, आयुर्वेद, कृषि और राजनीति में योगदान दिया है जिसने योग, आयुर्वेद, कृषि और राजनीति में योगदान दिया है। उन्हें भारतीय लोगों के बीच योग को लोकप्रिय बनाने वाले के तौर पर सर्वाधिक जाना जाता है।
हरियाणा के महेन्द्रगढ़ जिले के अली सैयद पुर या अलीपुर गांव में राम निवास यादव और गुलाबो देवी के घर रामकृष्ण यादव का 26 दिसंबर, 1965 को जन्म हुआ था। औपचारिक रूप से उनकी शिक्षा केवल 8वीं तक ही हुई है।औपचारिक रूप से उनकी शिक्षा केवल 8वीं तक ही हुई है। इसके बाद उन्होंने भारत के धर्मग्रंथों, योग और संस्कृत का विभिन्न गुरुकुलों में अध्ययन किया। अंतत: वे संन्यासी बनकर बाबा रामदेव बन गए।
हरियाणा के जींद जिले के कलवा गुरुकुल में रहते हुए उन्होंने गांव वालों को मुफ्त योग का प्रशिक्षण दिया। बाद में वे उत्तराखंड के हरिद्वार चले गए और गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में उन्होंने योग और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया।
उन्हें प्रसिद्धि तब मिलना शुरू हुई जब उन्होंने दिव्य योग मंदिर ट्रस्ट की स्थापना की और लोगों को योग की शिक्षा देने लगे। देश, विदेश की बड़ी हस्तियों के अलावा बहुत सारे लोगों ने उनके योग शिविरों में भाग लिया।
उन्होंने पहली बार सार्वजनिक तौर पर देवबंद के मुस्लिम धर्मगुरुओं को योग की शिक्षा दी। भारत में योग को प्रसिद्ध करने के अलावा उन्होंने ब्रिटेन, अमेरिका और जापान में भी योग को लोकप्रिय बनाया। भारत के अलावा वे अन्य देशों में भी लोकप्रिय हैं। उन्होंने पातंजलि योग पीठ को विदेशों में भी लोकप्रिय बनाया।
रामदेव ने कई अवसरों पर कहा है कि उनकी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है और कोई राजनीतिक पार्टी शुरू करने को लेकर वे उत्सुक नहीं हैं लेकिन उनका मानना है कि योग को लोकप्रिय बनाने के साथ यह भी उनका कर्तव्य है कि वे समाज में सुधार करें और देश को मजबूत बनाने के लिए राजनीति को स्वच्छ बनाने की कोशिश करें। वे वर्ष 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन और जन लोकपाल को लेकर आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं।
27 फरवरी 2011 को बाबा रामदेव ने रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक रैली की थी जिसमें राम जेठमलानी, अण्णा हजारे, अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, स्वामी अग्निवेश और अन्य लोग शामिल हुए थे। इस रैली से जुड़ी सबसे बड़ी बात यह थी कि सभी बड़े मीडिया हाउसेज ने इसका बहिष्कार किया था।
सरकार पर दबाव डालने के लिए उन्होंने 4 जून, 2011 को रामलीला ग्राउंड पर अनशन की शुरुआत की थी। उन्होंने काले धन को भारत लाने पर जोर दिया तो सरकार ने उन्हें खुश करने के लिए भ्रष्टाचार रोकने के सुझाव देने वाली एक समिति बना दी। बाद में उनके समर्थकों पर पुलिस कार्रवाई की गई और सरकार ने रैली को छिन्न-भिन्न कर दिया। इस कार्रवाई में बहुत सारे लोग घायल हो गए थे जिनमें से एक महिला की मौत भी हो गई थी।
बाबा रामदेव भी विवादों के चलते चर्चित हुए हैं और उन पर भी बहुत सारे आरोप लगाए गए हैं। उन पर आरोप लगे कि वे कर चोरी करते हैं और उनके उत्पादों को अमेरिका में प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि कुछ उत्पादों को अमेरिका में प्रतिबंधित कर दिया गया क्योंकि कुछ उत्पादों में कथित तौर पर पशुओं की हड्िडयां पाई गई थीं।
उन्हें मिलने वाली दान की राशि काला धन होती है। उनके करीबी सहयोगी आचार्य बालकृष्ण की नागरिकता नेपाली है और वे अपराधी हैं जो कि नेपाल में अपराध कर भारत भाग आए हैं। बालकृष्ण ने एक फर्जी पासपोर्ट ले रखा है और उन पर आर्म्स एक्ट के तहत भी एक मामला दर्ज किया गया है। उन पर यह भी आरोप लगाया गया है कि हरिद्वार में उनके आश्रम के लोगों ने आसपास के गांववासियों की जमीन पर अवैध कब्जा कर लिया था।
बाबा रामदेव पर यह भी आरोप लगाया जाता है कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के मोहरे हैं और उनकी शह पर वे सरकार के खिलाफ अनशन, प्रदर्शन और रैलियां करते हैं। उन पर यह आरोप भी लगा कि वे संघ के पैसे का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस पर बाबा का कहना था कि प्रत्येक देशभक्त उनका समर्थक है और अगर संघ या इससे जुड़े लोग उनका समर्थन करते हैं तो वे कोई भी बने रहें उनको कोई फर्क नहीं पड़ता है।
शुरुआत में संघ परिवार ने उनकी रैलियों और प्रदर्शनों से दूरी बनाई, लेकिन बाद में संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ आवाज उठाने को कहा है।
वे सैकड़ों कैंसर रोगियों को योग और अपनी दवाओं से ठीक करने का दावा करते हैं। उन्हें कई बड़ी शिक्षण संस्थाओं ने मानद डॉक्टरेट भी दी है जिनमें आई.आई.टी. भुवनेश्वर और एमिटी विश्वविद्यालय शामिल हैं।