जंगल के किनारे एक गाँव बसा हुआ था। गाँव में चारो और ख़ुशहाली थी और गाँव के लोग शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रहे थे।
गाँव के मध्य गाँव वालों ने एक मंदिर का निर्माण करवाया था, जहाँ वे प्रतिदिन पूजा-आराधना किया करते थे। मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक बड़ी सी घंटी लगी हुई थी।एक दिन एक चोर (Thief) ने मंदिर की घंटी (Bell) चुरा ली और जंगल की ओर भाग गया।
जंगल में वह दौड़ता चला जा रहा था, जिससे घंटी बज रही थी और उसकी आवाज़ दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। घंटी की आवाज़ जंगल में घूम रहे शेर (Tiger) के कानों में भी पड़ी और वह जिज्ञासावश आवाज़ का पीछा करने लगा।
गाँव से लेकर जंगल तक दौड़ते-दौड़ते चोर बहुत थक गया था। सुस्ताने के लिए वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी पीछा करते-करते शेर भी वहाँ पहुँच गया। चोर शेर का सामना नहीं कर पाया और मारा गया। घंटी वहीं गिर गई.
अगले दिन बंदरों का एक झुण्ड उस स्थान से गुजरा।उन्हें वह घंटी दिखी, तो वे उसे उठाकर अपने साथ ले गए। घंटी की मधुर ध्वनि उन्हें बड़ी ही रोचक लगी और वे उससे खेलने लगे।
अक्सर रात के समय बंदर (Monkey) इकठ्ठा होते और घंटी बजाकर खेला करते थे। रात के समय जंगल से आने वाली घंटी की आवाज़ के पीछे के कारण से अनजान गाँव वालों को ये बड़ा विचित्र लगा।
एक दिन सबसे फ़ैसला किया कि रात में आने वाली घंटी का रहस्य जानना होगा। उन्होंने गाँव के युवक को तैयार कर जंगल में भेजा। युवक जब जंगल में गया, तो उसे चोर का कंकाल दिख गया। उसने गाँव वापस आकर बताया कि जंगल में कोई प्रेतआत्मा घूम रही है, जो लोगों का खून करती है और उसके बाद घंटी बजाती है।
गाँव वालों ने बिना सोचे-समझे उसकी बात पर विश्वास कर लिया। ये बात पूरे गाँव में जंगल की आग की तरह फ़ैल गई। गाँव में भय का वातावरण व्याप्त हो गया। धीरे-धीरे गाँव के लोग पलायन कर दूसरे गाँव जाने लगे।
जब राज्य के राजा (King) को यह बात चली कि उसके राज्य के एक गाँव के लोग वहाँ से पलायन कर रहे हैं, तो उसने पूरे राज्य में मुनादी करवाई कि जो व्यक्ति जंगल में घूम रही प्रेतआत्मा को वहाँ से भगा देगा और घंटी (Bell) की आवाज़ बंद कर देगा, उसे उचित पुरूस्कार प्रदान किया जायेगा।
राजा की यह मुनादी उसी गाँव में रहने वाली एक बूढ़ी औरत ने भी सुनी। उसे विश्वास था कि प्रेतआत्मा की बात महज़ एक अफ़वाह है। एक रात वह अकेले ही जंगल (Forest) की ओर निकल गई। वहाँ उसे बंदरों का समूह दिखाई पड़ा, जो घंटी बजा-बजाकर खेल रहा था।
बूढ़ी औरत को रात में बजने वाली घंटी की आवाज़ का रहस्य पता चल चुका था। वह गाँव वापस आ गई। उस रात वह आराम से अपने घर पर सोई और अगले दिन राजा से मिलने पहुँची।
राजा को उसने कहा, “महाराज! मैं जंगल में भटक रही प्रेतआत्मा पर विजय प्राप्त कर सकती हूँ और उसे वहाँ से भगा सकती हूँ”। उसकी बात सुनकर राजा बड़ा प्रसन्न हुआ। बूढ़ी औरत बोली, “महाराज! प्रेतआत्मा को नियंत्रण में लाने के लिए एक पूजा आयोजित करनी होगी और उसके लिए मुझे कुछ धन की आवश्यकता पड़ेगी”।
राजा ने बूढ़ी औरत के लिए धन की व्यवस्था करवा दी, जिससे उसने कुछ मूंगफलियाँ, चने और फल ख़रीदे। गाँव में मंदिर के परिसर में उसने एक पूजा का आयोजन किया। वहाँ एक गोला बनाकर उसने खाने की सारी चीज़ें रख दी और भगवान की प्रार्थना करने लगी। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने खाने की सारी चीज़ें उठाई और जंगल में चली गई।
जंगल पहुँचकर एक पेड़ के नीचे उसने खाने की सारी चीज़ें रख दी और छुपकर बंदरों के आने की प्रतीक्षा करने लगी। कुछ देर बाद बंदरों का समूह वहाँ आया। उन्होंने जब खाने की ढेर सारी चीज़ें देखी, तो घंटी को एक तरफ़ फेंक उन्हें खाने दौड़ पड़े। बंदर बड़े मज़े से मूंगफलियाँ, चने और फल खा रहे थे। इस बीच मौका पाकर बूढ़ी औरत ने घंटी उठा ली और राजा के महल आ गई।
घंटी राजा को सौंपते हुए वह बोली, “महाराज! वह प्रेतआत्मा यह घंटी छोड़कर जंगल से भाग गई है। गाँव वालों को अब डरने की कोई आवश्यकता नहीं है”।
राजा बूढ़ी औरत की बहादुरी से बहुत प्रसन्न हुआ। उसने उसे पुरूस्कार देकर विदा किया। उस दिन के बाद से गाँव वालों को कभी घंटी की आवाज़ सुनाई नहीं दी और वे फिर से ख़ुशी-ख़ुशी रहने लगे।
सीख –
- बिना सोचे-समझे किसी भी निर्णय पर नहीं पहुँचना चाहिए.
- बुद्धिमानी से हर समस्या का समाधान निकाला जा सकता है ||