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स्वर्ग से सुंदर ससुराल

शादी के बाद पहली बार मायके में आई आरोही अपने मम्मी सुधा और पिता मोहनबाबू के साथ शाम की चाय का लुत्फ उठा रही थी सामने टीवी पर चल रहे सीरियल को देखकर अचानक ही वह बोली…

सच मम्मी मुझे तो आजतक यह समझ में नहीं आता कि आखिर यह सास बहू का झगड़ा क्यों होता है अरे अपने बेटे के लिए हर सास स्वयं ही तो लड़की पसंद करती है लेकिन जब वही लड़की बहू बन कर घर आ जाती है फिर वह अच्छी नहीं लगती सभी सासूमां ऐसी ही होती हैं

कयुं कुछ हुआ क्या…. वहां सब कुछ ठीक तो है ना

क्या ठीक और क्या ना ठीक मम्मी ये टीवी सीरियल में जैसा दिखाते हैं ना ठीक ही होता है मेरी सासूमां जब देखो मुंह फुलाकर बैठ जाती है में इनके साथ कुछ समय क्या बीताने की कोशिश भर करुं बस उन्हें बर्दाश्त नहीं होता किसी ना किसी बहाने बस सुनाना शुरू कर देती है और एक ये है सीधे सादे मां के बहकावे में तुरंत आ जाते हैं आरोही की बात सुनकर मोहनबाबू ने टीवी की आवाज कम करते हुए कहा आरोही साफ साफ बताओ आखिर बात क्या है

पापाजी मेरी सासूमां मेरी गृहस्थी बसने नहीं दे रही अब मै उनके आफिस से लौटकर आने पर उन्हें पानी दे देती हू तो बस उन्होंने मुंह फुला लिया अरे घरवाली हूं अपने पति को पानी चाय नहीं पूछूंगी

उस दिन मन हुआ तो पिज्जा मंगवाकर खा रही थी अब वो ठहरी बुढ़िया पिज्जा बर्गर नहीं खाती तो अपने लिए मंगवाकर खा रही थी और ऊपर से ये आ गये तो मैंने उन्हें थोड़ा सा पिज्जा खिला क्या दिया तब भी मुंह बनाकर बैठ गई अब हमारी शादी हुई है और अगर कपल्स साथ में टाइम स्पेंड नहीं करेंगे तो….

ओह …. में सब समझ गया आरोही जो तुम समझ रही हो वैसा कुछ भी नहीं मोहनबाबू ने कहा तो सुधा ने उन्हें हैरानी से देखा और फिर पूछा… क्या समझ गये और वो ठीक ही तो समझ रही है आखिर समधन जी कयुं दोनों के बीच में घुसने की कोशिश कर रही है

सुधा….तुम तो समझदार हो घर गृहस्थी की उलझनों को सुलझाने के बखूबी बाद भी ऐसी बात कह रही हो आरोही का तो मुझे समझ आया उसकी अभी अभी शादी हुई है तो उसे घर गृहस्थी को घरपरिवार को समझने में वक्त लगेगा मगर मुझे पूरा विश्वास है कि मेरी आरोही जल्दी सब समझ जाएंगी

में सचमुच समझ नहीं पा रही पापा आखिर आप कहना क्या चाहते हैं मैं तो गृहस्थी बसाने की पूरी कोशिश कर रही हूं मगर मेरी सासूमां ही …. कहकर आरोही गुस्से से भर गई

आरोही….कहते हुए मोहनबाबू उसके पास पहुंचे और उसके मुंह को ऊपर करते हुए बोले….देखो बेटा ये सब नजरिए का खेल है ….

हूह…. इसे ऐसे समझो मानो एक माली ने एक पौधे की जी जान से देखभाल की और जब वह पौधा एक वृक्ष बन गया और फलने फूलने लगा तब अचानक एक अनजान नया माली आया और उसने झपट्टा मारकर उस वृक्ष पर अपना कब्जा कर लिया अब बताओ भला पुराने माली को यह नये वाला माली कैसे पसंद आ सकता है

मोहनबाबू की पहेली नुमा बात सुनकर आरोही हैरतअंगेज नजरें लिए उनसे बोली… क्या मतलब पापा मैं समझ नहीं पा रही

मेरी बच्ची…. शादी से पहले उस घर परिवार में केवल दामाद जी और उनकी मां यानि समधन जी ही थे दोनों एक दूसरे की परेशानी एक दूसरे की पसंद नापसंद जरुरतों का ख्याल रखते थे मगर अब तुम वहां उस परिवार का हिस्सा बन गई हो ऐसे में एक मां के द्वारा किए गए अपने बेटे को दुलार की तरह एक फ़िक्र की तरह चाय पानी देना भाता होगा ये स्वाभाविक है और हो सकता है दोनों एकसाथ खाते भी हो मगर बेटा अब तुम उनके बीच में हो तुम्हारी अपने पति के लिए की दैनिक चर्या उनके प्यार के बीच में आ गई और शायद यही वजह है कि वो तुम्हारे साथ कुछ रुखा व्यहवार कर रही है

में समझ गई पापा मगर उन्हें भी तो समझना चाहिए ना कि अब उनके बेटे की शादी हो चुकी है और उसकी एक पत्नी भी है

वो भी जल्दी समझ जाएंगी और इसके लिए तुम्हें ही पहल करनी होगी बेटा दो लोगों के बीच तालमेल बैठाने से सब समस्या खत्म हो जाती है देखो अब से अपने पति के लौटने पर पानी तुम लेकर आओ मगर उसे एक मां के हाथ से उसके बेटे को दिलवाओ

जब भी बाहर से कुछ मंगवाओ तो एक बुजुर्ग मां की इच्छा का मान करते हुए मंगवाओ तुम देखोगी वो तुम्हें कभी भी किसी भी चीज के लिए मना नहीं करेगी बल्कि स्वयं सामने से मंगवाकर देगी बेटा ये जो उम्र होती है ना बुढ़ापे की इसमें इंसान सिर्फ अपनापन और वक्त चाहता है और कुछ सम्मान इसके अलावा और कुछ नहीं….

आरोही का चेहरा अब खुशी से खिल उठा था वापस ससुराल जाकर उसने अपने पिता की बातों पर अमल किया और जल्द ही उसका और उसकी सासूमां के बीच एक मां बेटी जैसा रिश्ता बन गया और कुछ ही दिनों में दुबारा अपने मम्मी पापा से मिलने पर उसने बताया कि अब उसका घर परिवार स्वर्ग से सुंदर बन गया है

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