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भक्त की मदद

हम उस समय गंगा अपार्टमेंट बस स्टैंड गुड़गांव के पास रहते थे,

मेरी नाईट शिफ़्ट होती है, मैं सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल हूँ, अक्सर घर से ही अमेरिकन मल्टी नैशनल कंपनी के लिए काम करती हूँ,

रात को पौने दस पर मुझे एलर्जी हो गयी और घर पर दवाई नहीं थी, ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था और बाहर हल्की बारिश की बूंदे जुलाई महीने के कारण बरस रही थी।

दवा की दुकान ज्यादा दूर नहीं थी पैदल जा सकते थे लेकिन बारिश की वज़ह से मैंने रिक्शा लेना उचित समझा।

बगल में राम मन्दिर बन रहा था एक रिक्शा वाला भगवान की प्रार्थना कर रहा था। मैंने उससे पूंछा चलोगे तो उसने सहमति में सर हिलाया और हम बैठ गए।

काफ़ी बीमार लग रहा था और उसकी आँखों में आँसू भी थे।

मैंने पूंछा क्या हुआ भैया रो क्यूँ रहे हो और तुम्हारी तबियत भी ठीक नहीं लग रही,

उसने बताया बारिश की वजह से तीन दिन से सवारी नहीं मिली और वह भूखा है बदन दर्द कर रहा है,

अभी भगवान से प्रार्थना कर रहा था क़ि मुझे आज भोजन दे दो, मेरे रिक्शे के लिए सवारी भेज दो।

मैं बिना कुछ बोले रिक्शा रोककर दवा की दूकान पर चली गयी, खड़े खड़े सोच रही थी कहीं मुझे भगवान ने तो इसकी मदद के लिए नहीं भेजा।

क्योंकि यदि यही एलर्जी आधे घण्टे पहले उठती तो मैं ड्राइवर से दवा मंगाती, रात को बाहर निकलने की मुझे कोई ज़रूरत भी नहीं थी,

और पानी न बरसता तो रिक्शे पर भी न बैठती। मन ही मन गुरुदेव को याद किया और कहा मुझे बताइये क्या आपने रिक्शे वाले की मदद के लिए भेजा है।

मन में जवाब मिला हाँ। मैंने गुरुदेव को धन्यवाद् दिया, अपनी दवाई के साथ क्रोसीन की टेबलेट भी ली, बगल की दुकान से छोले भटूरे ख़रीदे और रिक्शे पर आकर बैठ गयी।

जिस मन्दिर के पास से रिक्शा लिया था वहीँ पहुंचने पर मैंने रिक्शा रोकने को कहा।

उसके हाथ में रिक्शे के 20 रुपये दिए, गर्म छोले भटूरे दिए और दवा देकर बोली।

खाना खा के ये दवा खा लेना, एक गोली आज और एक कल। मन्दिर में नीचे सो जाना।

वो रोते हुए बोला, मैंने तो भगवान से दो रोटी मांगी थी मग़र भगवान ने तो मुझे छोले भटूरे दे दिए।

कई महीनों से इसे खाने की इच्छा थी। आज भगवान ने मेरी प्रार्थना सुन ली। और जो मन्दिर के पास उसका बन्दा रहता था उसको मेरी मदद के लिए भेज दिया। कई बातें वो बोलता रहा और मैं स्तब्ध हो सुनती रही।

घर आकर सोचा क़ि उस मिठाई की दुकान में बहुत सारी चीज़े थीं, मैं कुछ और भी ले सकती थी समोसा या खाने की थाली पर मैंने छोले भटूरे ही क्यों लिए ?

क्या भगवान ने मुझे रात को अपने भक्त की मदद के लिए भेजा था ?

हम जब किसी की मदद करने सही वक्त पर पहुँचते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति की भगवान ने प्रार्थना सुन ली और आपको अपना प्रतिनिधि बना, देवदूत बना उसकी मदद के लिए भेज दिया।

English Translation

We lived at that time near Ganga Apartment Bus Stand Gurgaon,

I have night shift, I am software professional, often work from home for american multi national company,

At quarter to ten in the night I got allergic and there was no medicine at home, the driver had also gone to his house and it was raining outside due to the month of July.

The drugstore was not far away, could go on foot but because of the rain I thought it appropriate to take a rickshaw.

A Ram Mandir was being built beside it, a rickshaw driver was praying to God. When I asked him, he nodded his head in agreement and we sat down.

He looked very ill and had tears in his eyes.

I asked what happened brother, why are you crying and your health is also not feeling well,

He told that due to rain, he did not get ride for three days and he is hungry, his body is hurting

Was just praying to God to give me food today, send a ride for my rickshaw.

I stopped the rickshaw without saying anything and went to the medicine shop, standing thinking that God has not sent me to help me.

Because if this allergy had arisen half an hour earlier, I would have asked the driver for medicine, I did not even need to go out at night,

And if it had not rained, I would not have sat on a rickshaw. I remembered Gurudev in my mind and said, tell me, have you sent a rickshaw to help.

Got the answer yes. I thanked Gurudev, took crocin tablet along with my medicine, bought Chole Bhature from the next shop and sat on the rickshaw.

On reaching the temple from where I had taken the rickshaw, I asked to stop the rickshaw.

He gave 20 rupees for a rickshaw in his hand, gave hot chickpeas and gave medicine and said.

Take this medicine after eating food, one pill today and one tomorrow. Sleeping down in the temple.

He said crying, I had asked God for two rotis, but God gave me Chole Bhature.

I wanted to eat it for many months. Today God has heard my prayer. And the man who lived near the temple sent him to help me. He kept on saying many things and I kept listening in stunned.

Coming home, I thought that there were so many things in that sweet shop, I could have taken something else, why did I take Chole Bhature on a samosa or dinner plate?

Did God send me at night to help his devotee?

When we reach at the right time to help someone, it means that God has listened to that person’s prayer and sent you as his representative, as an angel, to help him.

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