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मुंशी प्रेमचंद की कहानी : नेउर!!
मौसम का मिजाज बदला हुआ था। बरसात के दिन थे। आकाश में बादल इधर-उधर भाग रहे थे, आपस में गले मिल रहे थे। कभी छाया, तो कभी चमकती धूप हो रही थी। ऐसा लग रहा था मानों सूरज और बादलों में लड़ाई हो रही हो। वहीं, गांव के बाहर कई मजदूर एक खेत में मेड़ बांध रहे थे। सभी पसीने …
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