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कर्तव्यपरायणता का अद्भुत आदर्श

Kartavya Parayanta ka adbhut adarsh

प्राचीन काल में सर्वसमृद्धिपूर्ण वर्धमान नगर में रूपसेन नाम का एक धर्मात्मा राजा था। एक दिन उसके दरबार में वीरवर नाम का एक गुणी व्यक्ति अपनी पत्नी, कन्या एवं पुत्र के साथ वृत्ति के लिए उपस्थित हुआ। राजा ने उसकी विनयपूर्ण बातों को सुनकर प्रतिदिन एक सहस्त्र स्वर्णमुद्रा का वेतन नियत कर सिंहद्वार के रक्षक के रूप में उसकी नियुक्ति …

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नवरात्र में कलश स्थापना (प्रतिपदा)

Navratre main kyo karein ghatna sathapnaain kalesh sathapna

चैत्र के नवरात्र में शक्ति की उपासना तो प्रसिद्ध ही है, साथ ही शक्तिधर की उपासना भी की जाती है । उदाहरणार्थ एक ओर देवीभागवत, कालिकापुराण, मार्कण्डेयपुराण, नवार्णमंत्र के पुरश्चरण और दुर्गापाठ की शतसहस्त्रायुतचण्डी आदि होते हैं तो दूसरी ओर श्रीमद्भागवत, अध्यात्म – रामायण, वाल्मीकीय रामायण, तुलसीकृत रामायण, राममंत्र पुरश्चरण, एक तीन पांच सात दिन की या नवाह्निक अखण्ड रामनामध्वनि …

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नवरात्र में क्यों करें घटस्थापन ?

Navratre main kyo karein ghatna sathapnaain kalesh sathapna

किसी भी पूजन कार्यक्रम में घटस्थापना की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । घटस्थापना के बिना किसी भी पूजन कार्यक्रम को सफल नहीं किया जा सकता है । आइये जानते हैं आखिर क्यों करते है घटस्थापना । 1- मंगलमयी कार्यक्रमों में वेद-पुराणों के अनुसार घट में इस सृष्टि के रचियता भगवान ब्रह्मा का निवास हैं, घटस्थापना से सभी देवी-देवताओं की पूजा …

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चक्रिक भील

अर्थात् ‘ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र और जो अन्य अन्त्यज लोग हैं, वे भी हरिभक्तिद्वारा भगवान की शरण होने से कृतार्थ हो जाते हैं, इसमें संशय नहीं है । यदि ब्राह्मण भी भगवान के विमुख हो तो उसे चाण्डाल से अधिक समझना चाहिए और यदि चाण्डाल भी भगवान का भक्त हो तो उसे भी ब्राह्मण से अधिक समझना चाहिये ।’ द्वापरयु …

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नवरात्र व्रत की कथा

प्राचीन काल में एक सुरथ नाम का राजा हुआ करता था । उसके राज्य पर एक बार शत्रुओं ने चढ़ाई कर दी । मंत्री गण भी राजा के साथ विश्वासघात करके शत्रु पक्ष के साथ जा मिले । मंत्जिसका परिणाम यह हुआ कि राजा परास्त हो गया, और वे दु:खी और निराश होकर तपस्वी वेष धारण करके वन में ही …

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नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों?

भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है । आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यावहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है …

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नवरात्र व्रत की कथा

Navratri Puja

प्राचीन काल में एक सुरथ नाम का राजा हुआ करता था । उसके राज्य पर एक बार शत्रुओं ने चढ़ाई कर दी । मंत्री गण भी राजा के साथ विश्वासघात करके शत्रु पक्ष के साथ जा मिले । मंत्जिसका परिणाम यह हुआ कि राजा परास्त हो गया, और वे दु:खी और निराश होकर तपस्वी वेष धारण करके वन में ही …

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उगादि

happy-ugadi

हिंदू नवसंवत्सर यानी चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को हम कई नामों से जानते हैं। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा तो दक्षिण भारत में उगादि (युगादि) के रुप में नये साल का स्वागत करते हैं । उगादि को युगादि, इसलिए भी कहते हैं क्योंकि यह युग+आदि से मिलकर बना है । युगादि का अर्थ युग का प्रारंभ होता है । उगादि …

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मुक्ति के लिये साधन की आवश्यकता

Mukati Ke Liye Sadhna Ki

भगवान सर्वज्ञ हैं, सब कुछ जानते हैं, परंतु किसकी मुक्ति होगी इसको भगवान भी पहले से नहीं जानते हैं, यदि पहले से ही जान जाएं तो प्रयत्न की क्या आवश्यकता है ? भगवान तो जानते हैं फिर प्रयत्न क्या हो ? यह बात नहीं कि भगवान जान नहीं सकते, जीवों को अवसर दिया है, यदि भगवान निश्चित कर दें कि …

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आदिगुरु श्रीकृष्ण

Adi Guru Shri Krishan

वसुदेवसुतं देवं कंसचाणूरमर्दनम् । देवकीपरमानंद कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम् ।।यह संसार एक बहुत बड़ी पाठशाला है । इसमें अगणित जीव शिक्षा ग्रहण करने के लिये आते हैं, और यथाधिकार निर्दिष्ट काल तक शिक्षा – लाभ कर चले जाते हैं, और फिर कुछ विश्राम के पश्चात् पुन: नये वेशभूषा के साथ इसमें आकर प्रवेश करते हैं । कहने का आशय यह है …

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