एक बुद्धिमान चित्रकार था। एक बार एक बूढ़ी धनी महिला अपना चित्र बनवाने के लिए उसके पास पहुंची। चित्रकार ने एक हफ्ते में उसका चित्र पूरा कर दिया। जब वह बूढी अपना चित्र लेने के लिए पहुँची तो उसके साथ उसका कुत्ता भी था।
चित्रकार ने उसे चित्र दिखाया और उसकी टिप्पणी का इंतजार करने लगा। बूढ़ी महिला ने एक बार अपने कुत्ते की ओर देखा फिर वह चित्रकार से बोली, “मैं तुम्हें इस चित्र के लिए कोई मूल्य नहीं दूंगी।
तुमने एकदम बकवास चित्र बनाया है। मेरा कुत्ता भी उसकी तरफ ध्यान नहीं दे रहा है। मैंने तो तुम्हारी बड़ी प्रशंसा सुनी थी!” चित्रकार बोला, “यदि आपको चित्र पंसद नहीं है तो आप कल सुबह आइए।
तब तक मैं अपनी गलती सुधार लूँगा। मुझे आशा है कि कल निश्चित ही आपको चित्र पसंद आएगा।” अगले दिन फिर बूढी अपने कुत्ते के साथ आई। इस बार कुत्ता चित्र को चाटन लगा।
दरअसल चित्रकार ने रात में चित्र के नीचे किनारे पर माँस का एक टुकड़ा रगड़ दिया था जिस कारण कुत्ता उसे चाटने लगा था।
बूढ़ी महिला ने सोचा कि उसके कुत्ते का चित्र बहुत पंसद है। इसलिए उसने चित्रकार को मल्य स्वरूप बहुत सारा धन दिया।