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कैल्शियम से सम्बंधित जानकारी

जनसामान्य ( और गठिया-रोगियों ) के मन में कैल्शियम को लेकर तमाम भ्रान्तियाँ प्रचलित हैं। हड्डियों और जोड़ों से सम्बन्धित हर रोग को कैल्शियम से जोड़कर देखा जाता है। हर टूटी हड्डी कैल्शियम की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करती है और हर सूजा-दुखता जोड़ कैल्शियम खाने से ठीक होने की उम्मीद जगाता है। कैल्शियम के विषय में कुछ बातों पर ध्यान आकर्षित करना ज़रूरी समझता हूँ। क्रमवार ढंग से उनपर चर्चा की जाए, तो बेहतर रहेगा।

1. कैल्शियम की शारीरिक उपयोगिता : शरीर का निन्यानवे प्रतिशत कैल्शियम हड्डियों में भाण्डारित रहता है और उसी से आवश्यकतानुसार रक्त में घुल-घुलकर पहुँचता रहता है। ख़ून में कैल्शियम की मात्रा को 8.5 – 10.2 मिग्रा / डेली के बीच बनाये रखना होता है ; इससे अधिक और कम , दोनों होने पर शरीर की कार्यप्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

कैल्शियम कई स्थानों पर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हड्डियों और दाँतों को शक्तिमत्ता देने के अलावा तन्त्रिकाओं और मांसपेशियों के सुचारु कार्यान्वयन से लेकर रक्त जमने तक में उसकी बड़ी भूमिका होती है। इसके अलावा वह सभी कोशिकाओं के भीतर में अनेकानेक रासायनिक अभिक्रियाओं में भी हिस्सेदारी करता है।

2 . कैल्शियम का विटामिन डी से सम्बन्ध : विटामिन डी विटामिन कहलाने के बावजूद भी दरअसल एक हॉर्मोन है। विटामिन नाम उन पदार्थों को दिया गया था , जिनको मानव-शरीर अपने भीतर अमूमन निर्मित नहीं कर पाता और उसे इसके लिए बाहर स्रोतों की आवश्यकता होती है। लेकिन बाद में यह पाया गया कि मनुष्य की त्वचा सूर्य के प्रकाश की सहायता से विटामिन डी संश्लेषित कर लेती है , इसलिए इसके लिये विटामिन नाम अनुकूल नहीं है।

विटामिन डी का मुख्य कार्य कैल्शियम का आँतों द्वारा शोषण है। अतः इस विटामिन की कमी होने पर शरीर में खाया गया कैल्शियम भी पाचन-तन्त्र से ख़ून में नहीं पहुँच पाता और मल में निकल जाता है। लेकिन विटामिन डी की कमी होने पर भी रक्त के नमूनों में कैल्शियम की मात्रा अमूमन सामान्य आती है , क्योंकि हड्डियों से आवश्यकतानुसार कैल्शियम ले लिया जाता है। इसे ऐसे समझिए। मान लीजिए आपकी आमदनी बन्द हो जाए किन्तु आपके पास मज़बूत बैंक-बैलेंस हो। ऐसे में आपके ख़र्चे और जीवनशैली में किसी तरह की कमी पैदा नहीं होती , क्योंकि यह जमा किया धन आपके काम आता रहता है। इसलिए जब तक विटामिन डी की कमी दीर्घकालिक न हो — इतनी कि हड्डियों का अधिकांश कैल्शियम ख़त्म हो चुका हो — तब तक रक्त में कैल्शियम का स्तर कराने से कोई लाभ नहीं है।

3 . कैल्शियम के खाद्यस्रोत : दूध और दूध से निर्मित वस्तुओं के सेवन से शरीर को अपनी आवश्यकता का कैल्शियम प्राप्त होता है। डेरी-उत्पादों के अलावा हरी पत्तेदार सब्ज़ियों , बादाम-इत्यादि मेवों , मछली में भी कैल्शियम की भरपूर मात्रा होती है। एक सामान्य व्यक्ति को प्रतिदिन लगभग एक ग्राम कैल्शियम चाहिए होता है। एक पाव दूध उसे 250 मिग्रा मात्रा उपलब्ध कराता है , ऐसे में चार गिलास दूध ( अर्थात् एक लीटर ) सेवन से उसे यह मात्रा प्राप्त हो सकती है। साथ ही 400-800 अन्तरराष्ट्रीय यूनिट विटामिन डी की भी आवश्यकता होती है , जिसे डी-3 या कोलीकैल्सीफ़ेरॉल के रूप में होना चाहिए। कैल्शियम और विटामिन डी की यह आवश्यकता बढ़ते बच्चों में , गर्भावस्था के समय और स्तनपान के दौरान बढ़ जाती है और इसकी पूर्ति के लिए ख़ुराक में कैल्शियम-विटामिन डी बढ़ाने के साथ-साथ उचित गोलियाँ ले लेनी चाहिए।

जो लोग गोलियों के माध्यम से कैल्शियम और विटामिन डी प्राप्त करते हैं , उन्हें इन गोलियों के पीछे अंकित जानकारी से प्रत्येक गोली में मौजूद कैल्शियम और विटामिन डी की जानकारी मिल सकती है और उसे ध्यानपूर्वक पढ़ना-जानना आवश्यक है ।

ग़ौरतलब बात यह भी है कि बहुत सी कैल्शियम की गोलियों में विटामिन डी का एक दूसरा स्वरूप कैल्सीट्रायॉल मिलाया जाता है। ऐसा करने से अनावश्यक रूप से गोली का दाम बढ़ जाता है और कई बार गुर्दों में अतिरक्त कैल्शियम जमा होने की स्थिति भी पैदा हो सकती है , जिसे नेफ़्रोकैल्सीनोसिस के नाम से जाना जाता है। ऐसे में इस तरह की कैल्सीट्रायॉल-युक्त गोलियों के सेवन से बचना चाहिए और इस बारे में अपने चिकित्सक से चर्चा करनी चाहिए।

4 .बिना वजह बार-बार कैल्शियम की जाँच न कराएँ। और अगर इसे कराना आवश्यक जान पड़े , तो साथ में आयोनाइज़्ड कैल्शियम के बिना टोटल कैल्शियम की जाँच का कोई लाभ नहीं। ख़ून के नमूने में मिलने वाला आयोनाइज़्ड कैल्शियम ही दरअसल जैविक रूप से शरीर के काम आ रहा होता है ; उसी के स्तर से यह जानकारी मिलती है कि उपलब्ध कैल्शियम वास्तव में कम है अथवा नहीं।

गठिया-रोगों का कैल्शियम से कोई प्रत्यक्ष सम्बन्ध नहीं होता। हड्डियों की बलिष्ठता और मांसपेशियों के सुचारु कार्यान्वयन के अलावा इनमें इसका कोई और विशेष महत्त्व नहीं है।गठिया-रोगों में डॉक्टर की सलाह से उचित व्यायाम के साथ सही औषधियों का सेवन ही उन्हें नियन्त्रित रखने में कारगर है।

और फिर एक अन्तिम बात जिससे बहुत से लोग भ्रम में रहा करते हैं कि पित्ताशय अथवा गुर्दे की पथरी होने पर कैल्शियम-सेवन के लिए क्या रुख़ अपनाया जाए। चल रही कैल्शियम की गोलियाँ रोक दी जाएँ अथवा उन्हें जारी रखा जाए ? ऐसे में सबसे सटीक उत्तर यह है कि स्वयं इंटरनेट पर ज्ञान बटोरकर पथरी का डॉक्टर न बना जाए। शरीर को अपनी आवश्यकता का कैल्शियम लेते रहना चाहिए अन्यथा उसके अन्य दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। पथरियों का कैल्शियम से सम्बन्ध है भी और उन्हें रोकने पर गुर्दे में कई बार दूसरी तरीक़े की पथरियाँ ( ऑग्ज़ेलेट ) पनप भी सकती हैं। ऐसे में कैल्शियम-सेवन रोकने से लाभ की बजाय हानि भी हो सकती है। योग्य चिकित्सक से परामर्श ही इस विषय में सही प्रासंगिक जानकारी उपलब्ध करा सकता है।

कैल्शियम की कमी से शरीर में क्या क्या दिक्कत होती है?
कैल्शियम की कमी से ब्लड प्रेशर, मांसपेशियों और जोड़ों में जकड़न, दांतों में दर्द, ड्राई स्किन, नाखून का कमजोर होना और टूटना जैसी कई परेशानियां होती हैं. शरीर में कैल्शियम की कमी से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ जाती है. कैल्शियम की कमी से हार्ट अटैक और स्ट्रोक होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है.

शरीर में कैल्शियम क्या काम करता है?
कैल्शियम हड्डियों और दांतों के विकास और विकास में सहायता करता है। यह दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है, रक्त जमावट में सहायता करता है, और तंत्रिका आवेगों को स्वतंत्र रूप से प्रवाहित करने की अनुमति देता है। कैल्शियम की कमी को कैल्शियम सप्लीमेंट (1000 मिलीग्राम से 1500 मिलीग्राम प्रति दिन) लेने से पूरा किया जाता है।

शरीर में कैल्शियम की कमी कब होती है?
शरीर में कैल्शियम की कमी खान पान में लापरवाही के कारण तो होती ही है, कई बार ये किसी तरह की दवाओं के सेवन, डायटरी इंटॉलरेंस, हार्मोनल बदलाव, मेनोपॉज, न्यूट्रिशन की कमी और कई बार जेनेटिक बदलाव के कारण भी हो सकता है. शरीर में विटामिन डी की कमी से भी कैल्शियम का अवशोषण बेहतर तरीके से नहीं हो पाता है.

हड्डियों में दर्द किसकी कमी के कारण होता है?
विटामिड की कमी से होती है हड्डियों में दर्द
अगर आपके शरीर में विटामिन डी की मात्रा काफी कम होने लगे तो इसकी वजह से हड्डियों में दर्द, मसल्स का कमजोर होना, हड्डियों का हल्दी टूटना, थकान, कमजोरी, नींद न पूरी होना जैसे लक्षण दिख सकते हैं। ऐसे में शरीर में विटामिन डी की पूर्ति करना बहुत ही जरूरी है।

कैल्शियम की आवश्यकता क्यों होती है?
Calcium Function:हड्डियों-दांतों के …
दूध और अन्य डेयरी उत्पादों में कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाई जाती है और ये हड्डियों-दांतों को मजबूत बनाने के लिए सबसे आवश्यक है। यही कारण है कि जिन बच्चों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाता है उनमें हड्डियों की कमजोर की समस्या पूरी जिंदगी बनी रहती है।

कैल्शियम के मुख्य स्रोत क्या है?
स्रोत दूध और इसके उत्पाद, दाले, सोयाबीन, हरी पत्तीदार सब्जियां, नीबू जाति के फ़ल, सार्डीन, मटर, फ़लियां, मूंगफ़ली, वाटनट (सिंघाडा) सूर्यमुखी के बीज इस खनिज के महत्वपूर्ण स्रोत है। यदि आहार में पर्याप्त कैल्शियम न हो तो विविध शरीरिक प्रक्रियाओं के लिये आवश्यक उस व्यक्ति की हडिडयों से लिया जाता है।

कौन से फल में सबसे ज्यादा कैल्शियम पाया जाता है?
हाई कैल्शियम रिच फूड्स की लिस्ट में खुबानी (Apricots) सबसे ऊपर है। नियमित रूप से इस फल को खाने से आपको कैल्शियम की कमी पूरी करने और अपनी हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद मिल सकती है। NCBI पर छपी एक स्टडी (Ref) के अनुसार, कीवी फल न केवल विटामिन सी से भरपूर होता है, बल्कि इसमें कैल्शियम की मात्रा भी होती है।

मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा कैल्शियम कम है?
कम कैल्शियम के लक्षणों में शामिल हैं: दर्दनाक मांसपेशियों में ऐंठन और ऐंठन । मांसपेशियों का हिलना. पैरों और हाथों में सुन्नता या झुनझुनी।

कैल्शियम कितने प्रकार के होते हैं?
कैल्शियम सप्लीमेंट के प्रकार
कैल्शियम कार्बोनेट (40% मौलिक कैल्शियम) कैल्शियम साइट्रेट (21% मौलिक कैल्शियम) कैल्शियम ग्लूकोनेट (9% मौलिक कैल्शियम) कैल्शियम लैक्टेट (13% मौलिक कैल्शियम)

कौन से अनाज में सबसे ज्यादा कैल्शियम होता है?
सभी अनाजों में से सबसे ज्यादा की बात करें तो सबसे ज्यादा गेहूं में पाया जाता है. आईसीएआर की तरफ से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गेहूं (Wheat) में सबसे अधिक कैल्शियम होता है, जिसमें 100 ग्राम गेहूं में 39.4 ग्राम तक कैल्शियम की मात्रा पाई जाती है.

हड्डियों से कट कट की आवाज क्यों आती है?
एयर बबल्स बनना
ज्वाइंट्स से अगर कट-कट की आवाज आती है या फिर आपको गर्दन, उंगलियां फोड़ने की आदत है। तो इन ज्वाइंट्स से निकलने वाली कट-कट की आवाज की वजह एयर बबल्स हैं। जो दो हड्डियों के ज्वाइंट्स पर बन जाते हैं। इन्हीं के टूटने पर आवाज आती है।

एक दिन में कितना कैल्शियम लेना चाहिए?
NIH के मुताबिक, पुरुष और महिलाओं को 19 से 50 वर्ष के बीच 1000 mg कैल्शियम हर दिन चाहिए। वहीं, 51 से 70 वर्ष के बीच पुरुषों को 1000 mg और महिलाओं को 1200 mg कैल्शियम चाहिए। 70 वर्ष से ज्यादा उम्र में दोनों लिंगों के लिए यह मात्रा 1200 mg होनी चाहिए।

कैल्शियम का सूत्र क्या होता है?
कैल्सियम कार्बोनेट (Calcium carbonate) एक रासायनिक यौगिक है जिसका रासायनिक सूत्र CaCO3 है। यह संसार के सभी भागों की शैलों में पाया जाने वाला आम पदार्थ है।

किस कमी से मांसपेशियों में दर्द होता है?
लोगों को कुछ खाद्य पदार्थों से भी विटामिन डी मिलता है – जिनमें मछली, अंडे की जर्दी, और फोर्टिफाइड दूध और अनाज – या आहार अनुपूरक शामिल हैं। जब विटामिन डी का स्तर कम होता है और शरीर कैल्शियम और फास्फोरस को ठीक से अवशोषित नहीं कर पाता है, तो हड्डियों में दर्द, हड्डी टूटने, मांसपेशियों में दर्द और मांसपेशियों में कमजोरी का खतरा बढ़ जाता है।

शरीर में कैल्शियम कहाँ स्थित होता है?
कैल्शियम की कमी को कैसे दूर करें …
शरीर का 99 फीसदी कैल्शियम हड्डियों और दांतों में पाया जाता है। इसके माध्यम से उन्हें कठोरता एवं बनावट प्राप्त होती है। बचा हुआ 1 फीसद खून, मांसपेशियों एवं अन्य टिशूज़ मे होता है।

कैल्शियम खाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
आपको भोजन के साथ कैल्शियम कार्बोनेट लेने की आवश्यकता है, क्योंकि आपके शरीर के लिए इसे अवशोषित करना आसान होता है। आप कैल्शियम साइट्रेट को खाली पेट या भोजन के साथ ले सकते हैं। कैल्शियम के अवशोषण को अधिकतम करने के लिए, एक बार में 500 मिलीग्राम से अधिक न लें। आप 500 मिलीग्राम का एक पूरक सुबह और दूसरा रात में ले सकते हैं।

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