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आँखें नम हो गईं !!

गांधीजी के अनन्य सहयोगी काका कालेलकर ने अनेक बार स्वाधीनता आंदोलन के सिलसिले में जेल यातनाएँ सहन की थीं। वे विदेशी शासन की कारगुजारियों के विरुद्ध खुलकर लेख लिखते थे। वे गांधीजी के आश्रम में रहकर स्वदेशी और स्वदेश का महत्त्व प्रकट करनेवाला साहित्य सृजन करते थे। एक बार काका साहब को गिरफ्तार कर साबरमती की जेल में रखा गया। …

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अनूठी सादगी !!

देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की धर्म व भारतीय संस्कृति में अनूठी निष्ठा थी । वे अपने भाषणों में प्रायः कहा करते थे कि भारतीय संस्कृति मानवता, करुणा, सत्य और अहिंसा रूपी सद्गुणों को अपनाने की प्रेरणा देती है। गांधीजी के सान्निध्य में रहकर उन्होंने सत्य पर अडिग रहने का संकल्प लिया था।  राजेंद्र बाबू समय-समय पर संतों …

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संन्यासी का स्वदेश प्रेम !!

विरक्त संत स्वामी कृष्णबोधाश्रमजी ने बचपन में ही अपनी विशेष पोशाक पहनने और संस्कृत व हिंदी भाषा पर गर्व करने का संकल्प लिया था। साधु बनने के बाद स्वामीजी धर्म प्रचार के लिए जहाँ भी जाते, तो वहाँ श्रद्धालुओं को स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करते थे। एक बार मथुरा जिले के किसी नगर में उन्होंने प्रवचन करते …

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दसवाँ व्यक्ति !!

सोहन एक बेरोजगार युवक था। वह कुछ कार्य करना चाहता था। इसलिए उसने महल के द्वार पर खड़े होकर राजा से नौकरी माँगने का निर्णय लिया। अगले दिन वह महल के द्वार पर खड़े होकर राजा का इंतजार करने लगा। समय व्यतीत करने के लिए वह महल के अंदर आने जाने वाले व्यक्तियों की गिनती करने लगा। पूरे दिन उसने …

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काजी का न्याय !!

एक दिन तीन भाई न्याय पाने के लिए काजी के पास गए। उनका मामला बड़ा अनोखा था। वे काजी से बोले, “हमारे पिता की मृत्यु हो चुकी है। मरने से पहले हमारे पिता ने कहा था कि आधी जायदाद बड़े बेटे की होगी. जायदाद का एक-चौथाई हिस्सा दूसरे बेटे और जायदाद का छठवाँ हिस्सा तीसरे बेटे का होगा। इसलिए हमने …

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सोच-समझकर बोलो !!

एक गाँव में एक गरीब किसान और उसकी पत्नी रहते थे। एक बार देवी को उनकी गरीबी पर दया आ गई। वह उनके पास आई और बोली, “तुम लोग वर्षों से गरीबी में रह रहे हो। इसलिए मैं तुम्हारी सहायता करना चाहता हूँ। तुम लोग आज जो भी तीन इच्छाएँ करोगे, वे तुरंत ही पूरी हो जाएँगी।” वे बोले,”इस दया …

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अंतिम इच्छा !!

एक राजा थे। उनके दरबार में एक विदूषक था। वह बहुत चालाक था वह न सिर्फ अच्छे-अच्छे चुटकुले सुनाता था, बल्कि शासन के कार्यों में भी राजा की सहायता करता था। वह विदूषक कई बार तो राजा के ऊपर ही किस्से बनाकर सुना देता था। एक दिन राजा को उसकी किसी बात से अपना अपमान महसूस हुआ। वे क्रोधित होते …

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जैसी करनी वैसी भरनी !!

एक बूढ़ा सन्यासी था। अपने जीवन-यापन के लिए वह प्रतिदिन पास के गाँव में जाकर भिक्षा माँगता था। यद्यपि वह भिक्षा माँगकर पेट भरता था, परन्तु फिर भी अपना भोजन जरूरतमंदों के साथ अवश्य बाँटता था। एक दिन वह एक वृद्धा के घर भिक्षा माँगने के लिए गया। उसने भिक्षा माँगी तो उस वृद्धा ने भोजन न होने का बहाना …

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हठ का परिणाम !!

एक ब्राह्मण था। उसके पास सब कुछ था, बस कमी थी तो एक पुत्र की। इसलिए वह सभी सुख-सुविधाएँ होने के बावजूद भी दुखी रहता था। उसने पुत्र-प्राप्ति के लिए भगवान से कई बार प्रार्थना की। यहाँ तक कि उसने घर छोड़ दिया और हिमालय पर जाकर कई वर्षों तक तपस्या की। भगवान उसकी तपस्या से प्रसन्न हुए और बोले, …

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तीन दोस्त !!

एक बार तीन दोस्त कहीं जा रहे थे रास्ते में उन्होंने एक होटल देखा। उन्होंने उसे खरीदकर एक नया व्यवसाय शुरू करने का निर्णय लिया। वे होटल के बाहर उसे खरीदने को लेकर आपस में सलाह-मशवरा करने लगे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया और बोला, “मैं इस होटल का मालिक हूँ। मैंने सुना है कि तुम लोग मेरे होटल …

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