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किसान की होशियार बेटी की कहानी हिंदी में

एक समय की बात है रामपुर गांव में बलदेव नाम का एक किसान रहता था। उसकी एक बेटी मीना थी जो बहुत सुन्दर और होशियार थी। बलदेव के खेत जमींदार के पास गिरवी थे। बलदेव खेतों में मेहनत करके घर का गुजारा चलाता था। उसने 3-4 महीने खेत में काम करके एक फ़सल उगाई थी। जो फ़सल अब पक कर …

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चार भाइयों की कहानी

एक बार की बात है एक गाँव में एक मछुआरा रहता था उसके चार लड़के मोहन, सोहन , अनिल और कपिल थे। मछुआरा नदी में जाकर मछलियाँ पकड़ता था और उसको लेकर जाकर मार्किट में बेच देता था। जिससे उनके खाने का गुजारा ही केवल हो पाता था। एक दिन मछुआरा अपने चारों लड़कों को बुलाता है और कहता है …

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पैतृक धन

Tenali Ram ki Khanikya

एक बार की बात है कृष्णदेव राजा के दरबार में एक व्यक्ति आया। उस व्यक्ति के हाथ में एक लोहे का बक्सा था। जिसमे ताला लगा हुआ था। वह राजा से बोला की इस बक्से में मेरे पूर्वजो की धन सम्पति है। आप इसको अपने पास रख लो जिससे की मै उत्तर भारत के सभी मंदिरों में दर्शन के लिए …

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खजाने की खोज

एक गांव में एक रामलाल नाम का एक किसान अपनी पत्नी और चार लड़को के साथ रहता था। रामलाल खेतों में मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता था। लेकिन उसके चारो लड़के आलसी थे। जो गांव में वैसे ही इधर उधर घूमते रहते थे। एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा की अभी तो मै खेतों में काम …

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क्षणभंगुर जीवन

shanbhar-jiwanbhar

सभी धर्मों में मानव जीवन को क्षणभंगुर बताते हुए हर क्षण सत्कर्म व अपने कर्तव्यपालन में लगे रहने की प्रेरणा दी गई है। कहा गया है कि भगवान् व मृत्यु को हर क्षण याद रखना चाहिए ।

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आसक्ति से पतन

जैन संत आचार्य तुलसी कहते थे कि किसी भी तरह की आसक्ति या महत्त्वाकांक्षा से सर्वथा मुक्त रहने में ही कल्याण है। वे भरत की कथा सुनाते हुए चेतावनी दिया करते थे कि हिरण की आसक्ति के कारण ही उन्हें हिरण बनना पड़ा था। एक दिन उन्होंने एक कथा सुनाई एक महात्मा की घोर तपस्या से उनके आश्रम में सिंह …

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मन पवित्र करो

छत्रपति शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास मन की शुद्धि पर बहुत जोर दिया करते थे। वे कहा करते थे, जिसका मन कलुषित होता है, वह अपने परिवारजनों के साथ भी आनंदपूर्वक नहीं रह सकता। दूसरी ओर जिसका मन निश्छल होता है, वह सहज ही सभी का विश्वास प्राप्त कर लेता है। समर्थ रामदास ने मन की पवित्रता और निश्छलता की …

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सत्कर्म की प्रेरणा

महामना पंडित मदनमोहन मालवीयजी श्रीमद्भागवत के गहन अध्येता थे। एक बार संत प्रभुदत्त ब्रह्मचारी मालवीयजी के दर्शन करने काशी गए। उन्होंने उनसे प्रश्न किया, ‘आपको श्रीमद्भागवत के किस श्लोक ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया?’ महामना ने कहा 'मनसैतानि भूतानि प्रणमेद्रहु मानयन। ईयवरो जीवकलया प्रविष्टो भगवानिति॥ अर्थात् सभी प्राणियों में भगवान् ने ही अंशभूत जीव के रूप में प्रवेश किया है, …

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अहंकार से दूर

सभी धर्मों के आचार्य और दार्शनिक ‘मैं’ अर्थात् अहंकार को ईश्वर साक्षात्कार में सबसे बड़ी बाधा मानते रहे हैं। महात्मा बुद्ध ने भी कहा है कि अहंकार के कारण मानव को अनेक संकटों से जूझना पड़ता है। आचार्य रजनीश (ओशो) भक्तों को एक कहानी सुनाया करते थे-एक साधु किसी गाँव से गुजर रहा था। उस गाँव में उसका परिचित साधु …

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साक्षात् माँ स्वरूपा

स्वामी कृष्ण परमहंस का मूल मंत्र था, ‘प्रत्येक प्राणी में आत्मा स्वरूप भगवान् विद्यमान हैं। यदि किसी प्राणी की सेवा करोगे , तो समझ लो कि साक्षात् परमात्मा की सेवा का पुण्य स्वतः प्राप्त हो रहा है। यदि किसी को दुःख पहुँचाओगे, तो ईश्वर के प्रकोप को सहन करना ही पड़ेगा। स्वामी रामकृष्ण प्रत्येक पुरुष में भगवान् के दर्शन करते …

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