लंका मे रावण को परास्त करने के बाद श्रीराम माता सीता लक्ष्मण और हनुमान के साथ अयोध्या लौट चुके थे। प्रभु राम के आने की खुशी में पूरे अयोध्या में हर्षोल्लास का माहौल था। राजमहल में राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थी। राज्याभिषेक के बाद जब लोगों को उपहार बांटे जा रहे थे तभी माता सीता ने हनुमान जी से …
Read More »God Leela
माता सीता के स्वयंवर की कथा
सीता के स्वयंवर की कथा वाल्मीकि रामायण और रामचरित मानस के बालकांड सहित सभी रामकथाओं में मिलती है। वाल्मीकि रामायण में जनक द्वारा सीता के लिए वीर्य शुल्क का संबोधन मिलता है। जिसका अर्थ है राजा जनक ने यह निश्चय किया था कि जो व्यक्ति अपने पराक्रम के प्रदर्शन रूपी शुल्क को देने में समर्थ होगा, वही सीता से …
Read More »अमरनाथ यात्रा का महत्त्व
अमरनाथ हिन्दुओं का एक प्रमुख तीर्थस्थल है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित …
Read More »भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा
✨ जगन्नाथ रथयात्रा भारत में मनाए जाने वाले धार्मिक महामहोत्सवों में सबसे प्रमुख तथा महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। यह रथयात्रा न केवल भारत बल्कि विदेशों से आने वाले पर्यटकों के लिए भी ख़ासी दिलचस्पी और आकर्षण का केंद्र बनती है। भगवान श्रीकृष्ण के अवतार जगन्नाथ की रथयात्रा का पुण्य सौ यज्ञों के बराबर माना जाता है। सागर तट पर …
Read More »भगवान शिव ने क्यों किया था चंद्र को मस्तक पर धारण
पौराणिक कथानुसार चंद्र का विवाह दक्ष प्रजापति की 27 नक्षत्र कन्याओं के साथ संपन्न हुआ। चंद्र की सभी पत्नियों में रोहिणी बहुत खूबसूरत थीं। इसलिए चंद्र का रोहिणी से ज्यादा लगाव था। चंद्र का रोहिणी पर अधिक स्नेह देख शेष कन्याओं ने अपने पिता दक्ष से अपना दु:ख प्रकट किया। दक्ष स्वभाव से ही क्रोधी प्रवृत्ति के थे और उन्होंने …
Read More »कच्छपावतार
पुराने समय की बात है। देवताओं और राक्षसों में आपसी मतभेद के कारण शत्रुता बढ़ गयी। आये दिन दोनों पक्षों में युद्ध होता रहता था । एक दिन राक्षसो के आक्रमण से सभी देवता भयभीत हो गए और ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी के परामर्श के बाद वे जगद्गुरु की शरण में जाकर प्रार्थना करने लगे। देवताओं की …
Read More »शिवाराधना से दैत्यगुरु शुक्राचार्य को संजीवनी विद्या की प्राप्ति
एक बार दैत्यों के आचार्य शुक्र को अपने शिष्यों दानवों का पराभव देखकर बहुत दुख हुआ और उन्होंने तपस्यों बल से देवों को हराने की प्रतिज्ञा की तथा वे अर्बुद पर्वत पर तपस्या करने चले गए। वहां उन्होंने भूमि के भीतर एक सुरंग में प्रवेश कर ‘शुक्रेश्वर’ नामक शिव लिंग की स्थापना की और प्रतिदिन श्रद्धाभक्तिपूर्वक षोडशोपचार से भगवान …
Read More »परशुरामअवतार
प्राचीन काल की बात है। पृथ्वी पर हैहयवंशीय क्षत्रिय राजाओं का अत्याचार बढ़ गया था। चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था। गौ, ब्राह्मण और साधु असुरक्षित हो गए थे। ऐसे समय में भगवान स्वयं परशुराम के रुप में जमदग्नि ऋषि की पत्नी रेणुका के गर्भ से अवतरित हुए। उन दिनों हैहयवंश का राजा सहस्त्रबाहु अर्जुन था। वह बहुत ही अत्याचारी …
Read More »मधु-कैटभ की कथा
प्राचीन समय की बात है। चारों ओर जल-ही-जल था, केवल भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर सोये हुए थे। उनके कान की मैल से मधु औरकैटभ नाम के दो महापराक्रमी दानव उत्पन्न हुए। वे सोचने लगे कि हमारी उत्पत्ति का कारण क्या है? कैटभ ने कहा- इस जल में हमारी सत्ता को कायम रखने वाली भगवती महाशक्ति ही हैं। उनमें …
Read More »भगवान गणेश का स्वरूप अत्यंत ही मनोहर एवं मंगलदायक है।
वे एकदंत और चतुर्बाहु हैं। अपने चारों हाथों में वे क्रमश: पाश, अंकुश, मोदकपात्र तथा वरमुद्रा धारण करते हैं। वे रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। वे अपने उपासकों पर शीघ्र प्रसन्न होकर उनकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। एक रूप में भगवान श्रीगणेश उमा- महाश्रर के पुत्र हैं। वे अग्रपूज्य गणों के ईश, स्वस्तिक रूप तथा प्रणवस्वरूप हैं। उनके …
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